सम्पादकीय

झूठकी नींवपर चीनके दावे

डा. समन्वय नंद कम्युनिस्ट चीनके सरकार द्वारा नियंत्रित समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्समें चीनी सैनिकोंके बारेमें विस्तृत ब्योरा दिया गया है तथा यह बताया गया है कि इसमेंसे चार सैनिकोंको मरणोपरांत चीनी सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। गलवान घाटीमें हुए संघर्षमें भारतके बीस सैनिकोंने बलिदान दिया था। भारत एवं विश्वके अनेक सैन्य विशेषज्ञोंने इस संघर्षमें चीनी […]

सम्पादकीय

सही इलाजसे ही सिर दर्दसे छुटकारा सम्भव

 डा. अमोद मनोचा       अमूमन हर उम्रका व्यक्ति सिरदर्दका अनुभव करता है। आम तौरपर सिरदर्द सौसे भी ज्यादा प्रकारके होते हैं, लेकिन कुछ प्रकार अन्यकी तुलनामें ज्यादा आम हैं। विश्व स्तरपर पिछले साल लगभग आधी दुनियाने कमसे कम एक बार सिरदर्दका अनुभव किया। वहीं कुछ लोग हर महीने १५ या ज्यादा दिनोंतक इसका अनुभव करते हैं। […]

सम्पादकीय

अनंत तत्व

दिव्यचेतनानंद आनंद मार्गका साधारण अर्थ है. वह मार्ग जो मनुष्यको परमानंदका रास्ता दिखाये। आनंद मार्ग मनुष्यको त्रिस्तरीय विकासके लिए प्रेरित करता है। विकासके ये तीन स्तर हैं-शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास। परम आनंदकी प्राप्तिके लिए योग साधना नितांत आवश्यक है। आनंद मार्गका उद्देश्य है, आत्म मोक्षार्थम् जगत हिताय च। यानी आत्माकी मुक्ति (मोक्ष) के साथ […]

सम्पादकीय

निर्मलाका उचित सुझाव

पेट्रोल और डीजलकी कीमतोंमें अप्रत्याशित भारी वृद्धिसे चिन्तित केन्द्र सरकार भी इनके मूल्योंको कम करनेकी दिशामें सोचने लगी है जिससे कि आम जनताके आक्रोशको शांत किया जा सके। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने कहा है कि केन्द्र और राज्य सरकारोंको एक साथ मिलकर कोई ऐसा तरीका ढूंढऩा होगा जिससे कि तेलकी कीमतोंको नीचे लाया जा सके। […]

सम्पादकीय

बैंकोंका निजीकरण आवश्यक

डा.जयंतीलाल भंडारी   वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने एक फरवरीको केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए कुछ सरकारी बैंकोंके निजीकरण करनेकी घोषणा की थी। उनके मुताबिक अब सार्वजनिक क्षेत्रके बैंक भारतीय बैंकिंग प्रणालीके लिए पहलेकी तरह अहम नहीं रह गये हैं। अब कुछ सरकारी बैंकोंका निजीकरण अपरिहार्य है क्योंकि सरकारके पास पुनर्पूंजीकरणकी राजकोषीय गुंजाइश नहीं है। ज्ञातव्य है कि […]

सम्पादकीय

टीकाकरणपर उपजा भ्रम

योगेश कुमार गोयल  दुनियाभरमें अभीतक कोरोना मरीजोंकी संख्या करीब ११ करोड़ हो चुकी है, जिनमेंसे २४ लाखसे अधिक मौतके मुंहमें समा चुके हैं। भारतमें भी अबतक एक करोड़से ज्यादा व्यक्ति संक्रमणके शिकार हो चुके हैं। हालांकि हमारे यहां रिकवरी दर अन्य देशोंके मुकाबले काफी बेहतर रही है और पिछले कुछ समयमें देशभरमें कोरोना संक्रमितोंकी संख्यामें […]

सम्पादकीय

अर्थव्यवस्थाका पुनरावलोकन आवश्यक

 डा. अम्बुज   देशमें बैंकिंग प्रणालीका इतिहास दो सौ वर्षसे भी पुराना है जब देशमें पहली बार सन्ï १८०६ में बैंक आफ बंगाल शुरू हुआ। देशमें नवआर्थिक स्थितिको देखते हुए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंककी स्थापना एक अप्रैल, १९३५ को कोलकातामें हुई। बैंकोंकी उपयोगिताको देखकर उस दौरके कई राज्योंने अपने […]

सम्पादकीय

श्रमका महत्व

शिवप्रसाद ‘कमल’ आज विज्ञानका युग है। हाथों द्वारा किया जानेवाला श्रम हम नहीं कर पा रहे हैं। अब जीवनमें मशीनों-यंत्रोंका महत्व अधिक हो गया है। इन मशीनोंने हमारा समय बचाया अवश्य किन्तु हमें बेकार-सा कर दिया है। इससे हम सही विश्राम नहीं कर पाते। एक बार सुप्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियसका एक शिष्य किसी गांवमें गया। विश्रामके […]

सम्पादकीय

गलवान घाटीका सत्य

चीनकी सेनाओंने गलवान घाटीसे जिस प्रकार पीछे हटनेकी प्रक्रिया जारी की है उससे भारतकी सामरिक एवं कूटनीतिक सफलता परिलच्छित होती है। पिछले वर्ष मईके अंतमें चीनी फौजोंने लद्दाखमें नियन्त्रण रेखाको बदलनेकी शातिर योजना शुरू की थी। उसकी फौजें इस इलाकेमें अवरोध उत्पन्न करना चाहती थीं। चीनकी इस काररवाईका भारतने विरोध किया। फलस्वरूप जून,२०२० में लद्दाखकी […]

सम्पादकीय

अंतसकी भाषा है प्रार्थना

हृदयनारायण दीक्षित सभी सभ्यताओंमें प्रार्थना है। ऋषियोंने नदियों, धरतीको माता कहा, आकाशको पिता कहा। ऐसे रिश्तोंकी आंचमें तर्क पिछलते रहे। ऊपर आकाश पिताकी छाया और संरक्षण नीचे धरती माताका आधार। शंकराचार्यने ब्रह्मïको सत्य और जगत्को माया देखा था। उन्हें समूचे ब्रह्मïको ‘अद्वैत’- दो नहीं बताया लेकिन प्रार्थना और स्तुतियां उन्होंने भी की। प्रार्थनाकी शक्ति अनूठी […]