सम्पादकीय

कांट्रैक्ट फार्मिंगसे किसानोंको खतरा

कुलभूषण उपमन्यु दुनियाभरमें ट्रेड वार, जलवायु परिवर्तन, वैश्वीकरण और कॉर्पोरेट खेतीके चलते छोटा किसान दबावमें आ गया है। छोटा किसान उस स्तरका मशीनीकरण खेतीमें प्रयोग नहीं कर सकता जैसा बड़ा किसान या कारपोरेट घराने कर सकते हैं। इसलिए छोटे किसानके मुकाबले बड़े किसान या कारपोरेट कृषक सस्ता उत्पादन कर सकते हैं। इसके चलते छोटा किसान […]

सम्पादकीय

गतिरोध कायम

सरकार और किसानोंके बीच कई दौरकी वार्ताके बाद भी गतिरोध कायम है। सरकारने किसानोंकी कई मांगोंको स्वीकार भी कर लिया है फिर भी किसान आन्दोलन समाप्त नहीं कर रहे। लग रहा कि यह किसान अन्यत्रसे संचालित हो रहे हैं। क्योंकि सरकारने कई मुद्दोंपर लिखित आश्वासन भी दिया है। उम्मीद थी कि किसान अपने अडिय़लपनसे डिगेंगे […]

सम्पादकीय

देशको कौशल विकासकी जरूरत

डा. भरत झुनझुनवाला कैबिनेटने हालमें जापानके साथ एक अनुबंधको मंजूरी दी है जिसके अंतर्गत भारतके कुशल श्रमिक जापान जाकर कार्य कर सकेंगे। यह कदम सुदिशामें है और इसे पूरी क्षमतासे लागू करना चाहिए। मैकेन्सी ग्लोबल सलाहकारी कम्पनीके अनुसार वर्तमानमें विश्वमें आठ करोड़ कुशल कर्मचारियोंकी कमी है जबकि विकासशील देशोंमें नौ करोड़ अकुशल कर्मी बेरोजगार हैं। […]

सम्पादकीय

जीवनशैलीका प्राण असहमति

हृदयनारायण दीक्षित भारतमें सृष्टिके सभी अवयवोंपर समग्र विचारकी परम्परा है। यहां जनके साथ लोकका भी विचार चलता है। भारतीय जनतंत्र लोकसे रस लेता है। लोकको सींचता है, स्वयं भी रससिक्त है। लोक प्रीतिकर है। भारतीय चिन्तनकी मूल भूमि लोकतंत्र है। अनेक विचार हैं। आठ प्रतिष्ठित दर्शन है। विचार भिन्नता है। सब मिलकर लोकतंत्रकी भावभूमि बनाते […]

सम्पादकीय

अग्रिम पंक्तिके लिए कोरोना टीकाकरण

आर.डी. सत्येन्द्र कुमार अन्तत: वैक्सीनसे जुड़ी अटकलोंपर पूर्णविराम लगाते हुए विशेषज्ञ मानी जानेवाली समितिने आक्सफोर्ड वैक्सीनको भारतके लिए सर्वाधिक उपयुक्त पाया। इस निर्णयमें नया और सनसनीखेज कुछ भी नहीं था। वैसे जानकार क्षेत्रोंमें इस निर्णयका पूर्वानुमान लगाया जा रहा था। जैसा कि स्वाभाविक है विशेषज्ञ समितिने व्यापक तुलनात्मक अध्ययन अवश्य किया होगा। हकीकत और वस्तुपरक […]

सम्पादकीय

दिव्यताके लिए गीता

आर.एन. तिवारी हमारे धर्माचार्योंने श्रीमद्भगवत गीताको संजीवनीकी संज्ञा दी है। यह हमें जीनेकी राह बताती है। दुर्योधनके अपने जीवन मूल्योंसे भटकनेके कारण ही महाभारतका युद्ध हुआ जिसमें करोडों लोगोंकी मौत हुई। जो केवल अपना भला चाहता है वह दुर्योधन है। जो अपनोंका भला चाहता है वह युधिष्ठिर है और जो सबका भला चाहता है वह […]

सम्पादकीय

टीकाकरणका पूर्वाभ्यास

वैश्विक महामारी कोरोनाके खिलाफ मजबूत लड़ाईमें भारत दुनियाके अग्रणी राष्ट्रोंमें शामिल हो गया है। कोरोनाके लिए टीका विकसित करनेके बाद अब भारतमें टीकाकरणका महा अभियान शुरू होने जा रहा है। यह विश्वका एक बड़ा अभियान होगा। इसके लिए सभी स्तरोंपर आवश्यक तैयारियां हो चुकी हैं। कई क्षेत्रोंमें ‘ड्राई रन’ पूरा होनेके बाद शुक्रवारको देशके ७३६ […]

सम्पादकीय

टीकाकरणपर स्तरहीन राजनीति

निरंकार सिंह दुनियामें आमूलचूल बदलाव लानेवाली विपत्तिके रूपमें प्रकट हुआ कोरोनाका असर आगे भी रहेगा। हालांकि वैक्सीनके आनेसे कुछ राहत जरूर मिलेगी लेकिन हम सबको अभी मुंह बांधनेसे छुटकारा नहीं मिलेगा। अच्छी बात यह है कि भारतने भी चुनौतियोंको अवसरमें बदलनेकी कला सीख ली है एक सालके भीतर कोरोनाकी दो वैक्सीन विकसित करना कोई मामूली […]