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CJI को 600 वकीलों की चिट्ठी पर क्या बोले बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद


नई दिल्ली। 600 वकीलों द्वारा सीजेआई को लिखे पत्र को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया है। शंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि कुछ लोग, जिनमें कांग्रेस प्रतिष्ठान के करीबी भी शामिल हैं, न्यायपालिका के बारे में हमेशा बहुत गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं।

 

प्रसाद ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका एक असाधारण संस्था है और उसे किसी भी मुद्दे पर अपनी इच्छानुसार निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। इससे पहले, पीएम मोदी ने भी वरिष्ठ वकील द्वारा उठाई गई चिंताओं का समर्थन किया और कहा कि डराना और धमकाना कांग्रेस की संस्कृति है।

यह वास्तव में बेहद दुखद कि…

भाजपा सांसद ने कहा ‘यह वास्तव में दुखद है कि कुछ लोग, जिनमें कांग्रेस प्रतिष्ठान के करीबी लोग भी शामिल हैं, हमेशा न्यायपालिका के बारे में बहुत गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह के फैसले आए हैं। ये वो लोग हैं जो एक समय प्रतिबद्ध न्यायपालिका की बात करते थे। ये वे लोग हैं जिन्होंने एक समय 1970 के दशक में कांग्रेस सरकार द्वारा न्यायाधीशों को अधिक्रमण करने की सराहना की थी। भारतीय न्यायपालिका एक असाधारण संस्था है। हमें इस पर बहुत गर्व है।’

600 वकीलों में किस-किस का नाम?

हरीश साल्वे जैसे प्रतिष्ठित वकीलों सहित 600 से अधिक वकीलों ने सार्वजनिक रूप से अपनी चिंता व्यक्त करते हुए CJI को पत्र लिखा है। भाजपा सांसद ने कहा कि न्यायपालिका को किसी भी मुद्दे पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। भारत के संविधान ने उन्हें यही शक्ति दी है और उस पर सवाल उठाना बेहद अनुचित है।

बता दें कि पत्र पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदीश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला और स्वरूपमा चतुर्वेदी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल और सुप्रीम कोर्ट सहित प्रमुख वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में क्या लिखा?

बता दें कि यह चिट्ठी सीजेआई को उस समय मिली है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के हाई प्रोफाइल मामलों से निपट रही हैं। सीजेआई को भेजे पत्र में वकीलों ने चिंता जताते हुए कहा है कि ये निहित स्वार्थ समूह अदालतों के पुराने तथाकथित सुनहरे युग के गलत नैरेटिव गढ़ते हैं और अदालतों की वर्तमान कार्यवाही पर सवाल उठाते हैं। ये राजनैतिक लाभ के लिए जानबूझकर कोर्ट के फैसलों पर बयान देते हैं।

पत्र में कहा गया है कि यह परेशान करने वाली बात है कि कुछ वकील दिन में नेताओं का बचाव करते हैं और रात में मीडिया के जरिए जज को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। इस समूह ने बेंच फिक्सिंग का पूरा सिद्धांत गढ़ा है जो कि न सिर्फ अपमानजनक और अवमानना पूर्ण है बल्कि अदालतों के सम्मान और प्रतिष्ठा पर हमला है।