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Gehraiyaan: दीपिका पादुकोण-सिद्धांत चतुर्वेदी की इंटेसिटी तो बस ‘धोखा’ है, रिव्यू


नई दिल्ली। शकुन बत्रा की फिल्म ‘गहराइयां’ सतही तौर पर रिश्तों में उलझी हुई एक रोमांटिक-ड्रामा फिल्म लग सकती है, मगर गहराई में उतरने पर ये फिल्म इंसानी फितरत के उस पहलू को दिखाती है, जहां सरवाइवल की बात आने पर इंसान किसी भी हद से गुजरने को मजबूर हो जाता है। प्यार करने की चाहत हो या फिर जिंदगी बिखरने का डर।

‘गहराइयां’ शहरी पृष्ठभूमि में अपर मिडिल क्लास के परिवार की कहानी भी कही जा सकती है, जहां दो कजिंस (बहनों) का अतीत कुछ कड़वी यादों के साथ एक-दूसरे से गुंथा हुआ है और वो वर्तमान से होते हुए भविष्य को इस अतीत की गिरफ्त से आजाद करना चाहती हैं। यहां अतीत का एक हादसा भी है, जो बाप-बेटी के बीच भावनात्मक खाई की वजह बन गया है और इस खाई की गहराई में दफ्न है एक ऐसा राज, जिसके खुलने पर बेटी के जहन में मां को अच्छी-बुरी यादों को लेकर दृष्टिकोण ही बदल सकता है।

बेवफाई को पर्दे पर दिखाना हिंदी फिल्मों के लिए नया नहीं है। कभी कॉमेडी, कभी ड्रामा, कभी रोमांस तो कभी मिस्ट्री-थ्रिलर के रूप में बेवफाई की कहानियां पर्दे पर आती रही हैं, लेकिन ‘गहराइयां’ जिस परिपक्वता के साथ इस विषय को डील करती है, वो इसे दूसरी फिल्मों से अलग करता है। ‘गहराइयां’ उन गिनी-चुनी रोमांटिक ड्रामा फिल्मों का प्रतिनिधित्व करती है, जहां रोमांस देखते-देखते अचानक रोमांच का अनुभव होने लगता है।

अलिशा योग इंस्ट्रक्टर है और करण के साथ छह सालों से लिव-इन रिलेशनशिप में है। करण, अलिशा और टिया का बचपन का दोस्त भी है। फिलहाल संघर्षरत नॉवल राइटर है। अलिशा के पिता यानी टिया के अंकल नासिक में रहते हैं। अलिशा जब छोटी थी, उसकी मां ने सुसाइड कर ली थी। अलिशा इसके लिए पिता को जिम्मेदार मानती है। फिल्म शुरू होती है टिया के मुंबई आने के बाद इन चारों के छुट्टी मनाने टिया के पैतृक घर अलीबाग जाने से।  हैं। यहां, जेन अलिशा की ओर आकर्षित होने लगता है।

अलिशा भी उसके आकर्षण को स्वीकार करती रहती है और दोनों के बीच एक इंटेंस रिलेशनशिप शुरू हो जाती है। अलिशा इस रिश्ते में स्थायित्व चाहती है और जेन से बात करती है। जेन, टिया को छोड़कर अलिशा से शादी करने का फैसला कर लेता है और छह महीने का वक्त मांगता है, ताकि वो इंगेजमेंट तोड़ने से पहले टिया के परिवार का इनवेस्टमेंट वापस कर सके।

मगर, यहां एक ऐसा मोड़ आता है, जहां से कहानी रोमांस का एंगल छोड़कर किसी थ्रिलर फिल्म के रास्ते पर चल पड़ती है। जेन के बिजनेस पार्टनर को प्रवर्तन निर्देशालय मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लेता है। जांच का खतरा जेन की कम्पनी पर भी मंडरा रहा है। ईडी की जांच शुरू होने की वजह से जेन की कम्पनी से इनवेस्टर हाथ खींचने लगे हैं। इन सब मुश्किलों में घिरे जेन की हालत तब और खराब हो जाती है, जब अलिशा बताती है कि वो प्रेग्नेंट है।

अब जेन के सामने एक ही चारा है कि वो टिया से शादी करे, ताकि उसका इनवेस्टमेंट फर्म में बना रहे। साथ ही अलीबाग वाली प्रॉपर्टी के जरिए कुछ पैसा जुटाया जा सके। अब जेन आगे क्या करेगा, प्रेग्नेंट अलिशा को छोड़ देगा या टिया को छोड़ेगा? टिया को जब पता चलेगा कि अलिशा उसके मंगेतर को छीन रही है तो उसकी क्या हालत होगी? या जेन सब कुछ छोड़कर अलिशा को अपना लेगा? ऐसे कई सवालों और जवाबों के साथ ‘गहराइयां’ आगे बढ़ती है। लेकिन, यहां उसके बारे में बताना सही नहीं होगा। बेहतर है कि दर्शक खुद फिल्म में इसे देखें, क्योंकि जैसा मैंने पहले कहा, ‘गहराइयां’ का ट्रेलर देखकर आप इस ट्विस्ट की कल्पना भी नहीं कर सकते। फिल्म क्लाइमैक्स के जिस दृश्य पर खत्म होती है, वो शॉकिंग है और उसे ओपन एंडेड रखा गया है।

निर्देशक शकुन बत्रा के साथ आएशा देवित्रे, सुमित रॉय और यश सहाय का स्क्रीनप्ले बिल्कुल किसी इंटेंस रोमांटिक नॉवल राइटिंग वाली फीलिंग देता है, जहां कहानी और किरदार एक-दूसरे को सपोर्ट करते नजर आते हैं। ‘गहराइयां’ सबसे बड़ी खूबी इसकी रियलिस्टिक एप्रोच है। अलग-अलग सिचुएशंस में किरदारों की प्रतिक्रियाएं, उनके संवाद और उनके हाव-भाव बेहद नेचुरल लगते हैं।

इन किरदारों को देखकर लगता है कि यह एक अपर मिडिल क्लास वालों की दुनिया है, जहां समस्याएं भी अलग होती हैं। लेखक टीम ने जिस तरह के सभी किरदारों के भावनात्मक ग्राफ को बारीकी से कवर किया है, वो भी काबिले-तारीफ है। दीपिका पादुकोण ने एक बार फिर अपनी अभिनय क्षमता साबित की है। उनका किरदार भावनात्मक रूप से काफी उलझा हुआ है, जिसे दीपिका ने पूरी पारदर्शिता और बिना किसी संकोच के साथ पर्दे पर पेश किया है।

सिद्धांत चतुर्वेदी की यह परफॉर्मेंस ‘बंटी और बबली 2’ के दुख को कम करेगी, साथ नुकसान की भरपाई भी करेगी। गहराइयां का सरप्राइज फैक्टर अनन्या पांडेय हैं। एक इंटरव्यू में आउटसाइडर-इनसाइडर पर चल रहे विमर्श के दौरान सिद्धांत के साथ अपने संघर्ष की तुलना करने पर सोशल मीडिया में हंसी का पात्र बनीं अनन्या ‘गहराइयां’ में बहुत संतुलित और सधी हुई नजर आती हैं। असल में ऐसे किरदार किसी एक्टर की अभिनय क्षमता को पॉलिश करने का काम सही मायनों में करते हैं। धैर्य करवा ने अपना हिस्सा सही से निभाया है। हालांकि, उनका किरदार इन चारों में सबसे हलका है। जेन के बिजनेस पार्टनर जितेश के किरदार में रजत कपूर और अलिशा के पिता के किरदार में नसीरुद्दीन शाह कम स्क्रीन प्रेजेंस के बावजूद असर छोड़ते हैं।

यह फिल्म पूरी तरह से कलाकारों के अभिनय और उनकी एक-दूसरे के लिए प्रतिक्रियाओं पर टिकी है। इसका पूरा श्रेय निर्देशक शकुन बत्रा को जाना चाहिए, जिन्होंने कैरेक्टर्स और स्क्रीनप्ले की कॉम्प्लेक्सिटी के बावजूद फिल्म को ढीला नहीं पड़ने दिया। गहराइयां के स्क्रीनप्ले को सिनेमैटोग्राफी की बेहतरीन जुगलबंदी मिलती है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्पेनिश और दूसरी विदेशी भाषाओं की ऐसी बहुत-सी फिल्में मौजूद हैं, जिनमें उलझे हुए रिश्तों को कहानी का आधार बनाया गया है। गहराइयां ऐसी फिल्मों की लिस्ट में इंडियन कंटेंट का प्रतिनिधित्व करती है। यहां बता दें, फिल्म प्राइम पर एडल्ट केटेगरी में स्ट्रीम की गयी है।

कलाकार- दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पांडेय, धैर्य करवा, रजत कपूर, नसीरुद्दीन शाह आदि।

निर्देशक- शकुन बत्रा

निर्माता- करण जौहर, हीरू जौहर, शकुन बत्रा, अपूर्व मेहता।

प्लेटफॉर्म- अमेजन प्राइम वीडियो

अवधि- 2.28 घंटा।

रेटिंग- ***1/2