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Interview: पंजाब के पूर्व सीएम बादल का बेबाक अंदाज, बाेले-सिद्धांतों पर भाजपा के साथ टूटा गठबंधन


लंबी (मुक्तसर साहिब)। Punjab Election 2022ः  आवाज में हल्की सी लड़खडाहट़ आ जाती है। गाड़ी से उतरने से लेकर कुर्सी में बैठने तक दो लोगों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन संगत (जनता) को सामने देख आंखों में चमक आ जाती है। भाषण में आज भी वही संतुलन है, जिसके लिए पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को जाना जाता है। 95 वर्ष की आयु में भी बादल पंजाब के मुद्दों पर बहुत संजीदगी से बात करते हैं।

विरोधियों पर कटाक्ष भी करते हैं और अपनी पार्टी का रोडमैप भी बताते हैं। भाजपा के साथ गठबंधन टूटने पर वो कहते हैं कि यह गठबंधन सिद्धांतों पर टूटा है। देश के सबसे उम्रदराज उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल से उनके विधानसभा क्षेत्र लंबी (मुक्तसर साहिब) में राजनीति के वर्तमान हालात पर बात की विशेष बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश :-

2022 के चुनाव में क्या नया दिख रहा है?

बहुत कुछ बदल गया है। पहले दो या तीन पार्टियां होती थीं, अब तो कई पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। महामारी के कारण लंबी-लंबी रैलियों के स्थान पर छोटी-छोटी बैठकें हो रही हैं। पहले नेताओं का स्वाभिमान होता था, अब ऐसा कुछ नहीं है।

 इस चुनाव में क्या चुनौतियां हैं?

चुनाव हमेशा ही एक चुनौती होता है। फिर चाहे विधानसभा हो या पंचायत का। मैंने अपने जीवन में बहुत से चुनाव लड़े और लड़वाए। मैंने चुनाव को हमेशा ही एक नई चुनौती के रूप में देखा है। आज भी वैसे ही देखता हूं।

मैने हमेशा पार्टी को सुप्रीम माना है। हां, आजकल कई ऐसे लोग हैं, जो पार्टी ही नहीं मतलब के लिए अपनी मां को भी बदल दें, लेकिन मेरे लिए पार्टी हमेशा ही सुप्रीम है। पार्टी का आदेश था चुनाव लड़ने का, तो मैं चुनाव मैदान में आ गया।

आप मतलब के लिए मां को भी बदलने वाली बात किसके लिए कहना चाहते हैं?

आज बहुत से लोग चुनाव मैदान में ऐसे हैं, जो पार्टी ऐसे बदलते हैं, जैसे कुर्ता-पायजामा हो। फिर चाहे गुरमीत सिंह खुड्डिया हों या कैप्टन अमरिंदर सिंह। खुड्डिया (लंबी से आप के उम्मीदवार) पहले शिअद मान में चले गए और बाद में कांग्रेस में। अब आप के साथ जुड़े हैं। इसी प्रकार कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले अकाली दल में थे। रामपुरा फूल से टिकट मांग रहे थे, मैंने नहीं दी। फिर बठिंडा से मांगने लगे, वहां से भी टिकट नहीं मिली तो कांग्रेस में चले गए, अब भाजपा चले गए हैं। ऐसे लोग पंजाब का क्या भला कर सकते हैं।

 इस बार आप केवल अपने विधानसभा क्षेत्र में ही सक्रिय है। ऐसा क्यों?

कोई खास वजह नहीं है। मेरा शरीर जितना साथ दे रहा है, मैं उतना ही काम कर रहा हूं। लंबी हलके की मैंने 50 साल सेवा की है। यह मेरा परिवार है। मैं अपने परिवार के पास ही रहता हूं।

अरविंद केजरीवाल 80 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। आप क्या मानते हैं?

-केजरीवाल पंजाब के दुश्मन हैं। उनका न तो पंजाब से कोई लगाव है और न ही यहां पर उनकी जड़ है। यह वहीं, केजरीवाल हैं, जो दिल्ली में पंजाब के थर्मल प्लांटों को बंद करने की बात और यहां आकर वोट मांगते हैं।

चुनाव के बाद कोई संभावना बने तो क्या भाजपा के साथ रिश्ता फिर जुड़ सकता है?

-बहुत पुराना रिश्ता सिद्धांतों पर टूटा है। बीबा जी (हरसिमरत कौर बादल) ने केंद्रीय वजारत से इस्तीफा दिया। हमारे सिद्धांत अलग-अलग हो गए..। (उन्होंने यहीं अपनी बात खत्म कर दी।)