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Jagannath Rath Yatra : पुरी विश्व प्रसिद्ध रथायात्रा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, भाई-बहन को साथ लेकर मौसी के घर पहुंचे जगत के नाथ जगन्नाथ


भुवनेश्वर-पुरी, । पुरी जगन्नाथ धाम में त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच महाप्रभु जगन्नाथ जी की आज विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली गई। कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद निकाली गई महाप्रभु की इस विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में देश विदेश एवं प्रदेश के लाखों की संख्या में भक्तों का समागम हुआ। प्रशासन के पूर्वानुमान से कहीं अधिक भक्तों का जमावड़ा जगन्नाथ धाम देखने को मिला है। पूरे बड़दांड के साथ पूरा जगन्नाथ धाम भक्तों के समागम से लोकारण्य हो गया। पूरा जगन्नाथ धाम जय जगन्नाथ नयन पथ गामी भव तुमे, जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ के जयकारे से गूंजयमान हो गया।

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दो साल के बाद भक्तों के समागम के बीच निकाली गई इस विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा को देखने के लिए प्रदेश के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केन्द्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्र मंत्री विशेश्वर टुडू, ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस.मुरलीधरन, राज्य कैबिनेट के कई मंत्री, मुख्य सचिव सुरेश महापात्र, पुलिस डीजी सुनील बंसल, मुख्य प्रशासक वीर विक्रम यादव के साथ कई विशिष्ट व्यक्ति पुरी पहुंचे और रथारूढ़ महाप्रभु का दर्शन किए।

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जानकारी के मुताबिक विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए रीति नीति पूर्व निर्धारित समय से 3 घंटे पहले ही शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक भोर 3 बजे मंगल आरती करने के बाद मइलम, तड़पालागी, रसोई होम, अवकाश पूजा, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, वेश, गोपाल बल्लभ एवं सकाल धूप की नीति सम्पन्न की गई। इसके बाद 5:30 रथ प्रतिष्ठा की गई। इससे सुबह 6:15 बजे मंगलार्पण एवं 6 बजकर 20 मिनट पर चतुर्द्धा विग्रहों की पहंडी बिजे शुरू हुई। सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन, इसके बाद बड़े भाई बलभद्र को पहंडी बिजे में लाने के बाद देवी सुभद्रा एवं फिर अंत में प्रभु जगन्नाथ जी को पहंडी पहंडी बिजे में लाकर रथ पर विराजमान किया गया। चतुर्द्धा विग्रहों की पहंडी बिजे 9 बजकर 15 मिनट पर खत्म हो जाने के बाद भगवान की विजे प्रतिमा मदन मोहन एवं राम कृष्ण को रथ पर विराजमान किया गया। इसके रथ के ऊपर चिता लागी किया गया।

इसके बाद रथ के ऊपर ही चतुर्द्धा विग्रहों को सजाया गया। तत्पाश्चता जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चचला नंद सरस्वती जी महाराज अपने पार्षद के साथ तीनों रथ पर जाकर दर्शन करने के साथ ही पूजा अर्चना किए। इसके बाद गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव रथ पर पहुंचे और राजकीय वंदापना के साथ तीनों रथों पर छेरा पहंरा किए। इसके बाद रथ की सीढ़ी निकाली गई और तीनों रथों घोड़ा लगाया गया है। इसके बाद 12 बजकर 30 मिनट पर सबसे प्रभु बलभद्र जी के तालध्वज रथ को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। तत्पश्चात 1 बजकर 20 मिनट पर देवी के दर्पदलन रथ को एवं जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को 2 बजकर 25 मिनट पर खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई।

रथयात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था

वहीं भक्तों की सुरक्षा के लिए जल, थल एवं नभ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सीसीटीवी कैमरे से तमाम गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी। वहीं रथयात्रा में भक्तों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन की तरफ से त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। जल, थल, नभ में सुरक्षा के कड़े पहरे लगा दिए गए हैं। समुद्र में दिन तमाम हेलीकाप्टर पैंतरे मार रहा है। कोस्टगार्ड के कर्मचारी समुद्र किनारे मुश्तैदी से तैनात है।