Latest News अन्तर्राष्ट्रीय

Russia Ukriane War: आखिर किसके दम पर रूस जैसी महाशक्ति को ललकार रहा है यूक्रेन?


नई दिल्‍ली, रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी को शुरू हुआ युद्ध अब भी जारी है। इस जंग में न तो रूस जीतता दिख रहा है और न ही यूक्रेन की हार होती नजर आ रही है। इस युद्ध के प्रारंभ में यह माना जा रहा था कि रूस जैसी महाशक्ति के आगे यूक्रेनी सेना जल्‍द ही घुटने टेक देगी। हालांकि, रक्षा विशेषज्ञों की यह सोच गलत साबित हुई। इस जंग में अमेरिका और नाटो संगठन के देशों से मिली मदद और हथियारों के दम पर यूक्रेन ने रूस को कड़ी टक्‍कर दी है। इस युद्ध में रूस को अच्‍छा-खासा नुकसान हुआ है। अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन की सेना को रक्षा सहयोग के नाम पर प्रशिक्षित किया और कीव को बड़े युद्ध के लिए तैयार किया है। आइए जानते हैं कि अमेरिका के अलावा और कौन-से देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। आखिर यूक्रेन की मदद के पीछे उनका क्‍या स्‍वार्थ है। क्‍या रूसी राष्‍ट्रपति को यूक्रेन युद्ध का फैसला महंगा पड़ा है। 

जंग में अमेरिका यूक्रेन का बड़ा सहयोगी

इस जंग में अमेरिका यूक्रेन का प्रमुख सहयोगी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वर्ष 2014 में अपने कार्यकाल में ‘यूक्रेन फ्रीडम सपोर्ट एक्ट’ पर हस्ताक्षर किए थे। तब से अमेरिका लगातार यूक्रेन को घातक और खतरनाक हथियार मुहैया करा रहा है। वर्ष 2015 में अमेरिका ने यूक्रेन को 230 Humvee बख्तरबंद वाहन और रेवेन ड्रोन दिए थे। इतना ही नहीं, रूस का आरोप है कि मार्च 2014 के तख्तापलट में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिका ने मार्च से सितंबर तक सैन्य सुधार, अंधेरे में देखने वाले उपकरण और संचार संबंधित उपकरणों के लिए यूक्रेन को 32 मिलियन डालर की मदद की। अमेरिका ने यूक्रेन को राकेट सिस्टम, M777 हावित्जर, गोला-बारूद, स्ट्रिंगर मिसाइल, हार्पूर मिसाइल, सैनिकों के लिए वर्दी, सैन्य राशन की एक बड़ी खेप सौंपी है।

यूक्रेन की मदद में ब्रिटेन दूसरे स्‍थान पर

यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के मामले में अमेरिका के बाद ब्रिटेन का स्‍थान है। ब्रिटेन ने यूक्रेन को बख्तरबंद वाहन और लैंड रोवर डिफेंडर बख्तरबंद टोही और संचार वाहन दिए हैं। इसके अलावा उसने यूक्रेन को चिकित्सा उपकरण, सामरिक गियर, नाइट विजन उपकरण और जीपीएस नेविगेटर प्रदान किए हैं। इनकी कीमत 4.5 मिलियन डालर से अधिक है। 2022 में, लंदन ने यूक्रेन को हल्की एंटी टैंक मिसाइलों की एक बड़ी खेप भी सौंपी थी। यूक्रेनी सेना को मजबूत करने के लिए वर्ष 2015 में ब्रिटेन की सेना ने आपरेशन आर्बिटल चलाया था।

लिथुआनिया, यूक्रेन का बड़ा सहयोगी

सोवियत संघ से अलग हुए लिथुआनिया ऐसा पहला मुल्‍क है, जिसने 2014 में सत्ता बदलने के बाद सबसे पहले यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराई। सोवियत संघ के समय ही उसने यूक्रेन को हथियार और गोला बारूद दिए हैं। 2016 में लिथुआनिया ने यूक्रेन को 150 टन की सैन्य आपूर्ति की थी। लिथुआनिया ने यूक्रेन को असाल्ट राइफल्स दी थी। 2017 और 2019 में भी लिथुआनिया ने यूक्रेन को गोला-बारूद की आपूर्ति की। 2022 में लिथुआनिया ने यूक्रेन को थर्मल इमेजिंग मानिटरिंग उपकरण के अलावा मल्टीपल लांच राकेट सिस्टम सौंपा था।

पोलैंड, चेक गणराज्‍य और बुल्‍गारिया ने की सैन्‍य मदद

पोलैंड ने यूक्रेन को मोर्टार, बहुउद्देशीय बख्तरबंद व्यक्तिगत वाहन, 15 भारी मशीनगन, दो AK-176M गन माउंट, पैराशूट सिस्टम और 100 रिकोलेस गन दी थीं। दोनों देशों के बीच वर्ष 2016 में हथियारों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण को लेकर एक करार पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके अलावा चेक गणराज्य से यूक्रेन की गहरी दोस्‍ती है। उसने यूक्रेन को पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन मुहैया कराया। 2021 में चेक गणराज्य ने यूक्रेन को स्व-चालित बंदूकें की आपूर्ति की थी। बुल्गारिया ने अमेरिका के पैसों से यूक्रेन की सेना के लिए गोला बारूद का उत्पादन किया था। इस तरह से हैंड-हेल्ड एंटी टैंक ग्रेनेड लांचर और उसके गोले बनाए गए। फरवरी 2021 में, कीव ने बुल्गारिया से अंडरबैरल ग्रेनेड लांचर के लिए ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल्स और सबमशीन गन के लिए गोला बारूद के 1.5 मिलियन राउंड खरीदे थे।

फ्रांस और तुर्की से मिले घातक हथ‍ियार

फ्रांस से बुलेटप्रूफ जैकेट और एंटी-टैंक राकेट लांचर मिले थे। इसके अलावा उसने हैंड हेल्ड एंटी-टैंक राकेट लांचर भी यूक्रेन को दिया। इसके अलावा यूक्रेन ने तुर्की से मानव रहित हवाई वाहन खरीदा था। इसके माध्यम से यूक्रेनी सेना ने डोनबास में रूस समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ जबरदस्त हवाई हमले किए हैं। यहां तक कि 2022 में शुरू हुई लड़ाई के दौरान भी तुर्की के इस ड्रोन ने रूसी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया है।

अमेरिका और नाटो इस जंग में यूक्रेन की क्‍याें कर रहे हैं मदद

अमेरिका और नाटो देश रूस को इस जंग में उलझा कर रखना चाहते हैं। यही कारण है कि वह यूक्रेन को हर तरह की मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं इन मुल्‍कों ने रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगा रखा है। इन प्रतिबंधों का असर रूस की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ रहा है। अमेरिका और नाटो देशों ने अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर भी रूस का विरोध किया है। अमेरिका और उसके मित्र राष्‍ट्रों की मंशा है कि रूस, यूक्रेन युद्ध में उलझा रहे। यह तय है कि इन महाशक्तियों की मदद से ही यूक्रेन अब तक इस युद्ध में उलझा हुआ है। इन मुल्‍कों के सपोर्ट से यह उम्‍मीद है कि अभी यह जंग लंबी चलेगी।