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Sri lanka Crisis: श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे, प्रेमदासा समेत चार नेता लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव


कोलंबो, श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति पटरी पर लौटती दिख रही है। गोटाबाया राजपक्षे के त्यागपत्र के बाद श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अंतरिम राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा समेत चार नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा की है। विक्रमसिंघे और प्रेमदासा के अलावा वामपंथी पार्टी जेवीपी नेता अनुरा कुमार दिसानायके और सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) से अलग हुए धड़े के नेता दुल्लास अलहप्पेरुमा भी मैदान में हैं। यह जानकारी समाचार एजेंसी रायटर ने दी है।

20 जुलाई को 225 सदस्यीय संसद गुप्त मतदान से राष्ट्रपति चुनेगी

19 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन लिए जाएंगे और एक से ज्यादा प्रत्याशी होने पर 20 जुलाई को संसद गुप्त मतदान से नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। नए राष्ट्रपति गोटाबाया के कार्यकाल नवंबर 2024 तक पद पर बने रहेंगे। श्रीलंका में 1978 के बाद से कभी भी संसद ने गुप्त मतदान के जरिये राष्ट्रपति का चुनाव नहीं किया है।

1993 में राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या के बाद मध्यावधि चुनाव की नौबत आई थी, लेकिन प्रेमदासा के बचे कार्यकाल के लिए संसद द्वारा डी बी विजेतुंगा को सर्वसम्मति से चुन लिया गया था। आर्थिक संकट के बीच मई में प्रधानमंत्री बने विक्रमसिंघे मुकाबले में सबसे आगे हैं। हालांकि, उनकी यूनाटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के एक भी सांसद नहीं हैं, लेकिन एसएलपीपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

225 सदस्यीय संसद में जीत के लिए 113 सदस्यों की जरूरत होगी। सहयोगियों के साथ एसएलपीपी मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में उसके कुछ सदस्य दूसरे प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।

दूसरे नंबर पर प्रेमदासा हैं जिनकी पार्टी समागी जाना बालावेगया (एसजेबी) के 54 सदस्य हैं। उनकी छवि भी अच्छी है। बाकी नेताओं ने चुनाव लड़ने की घोषणा जरूर की है, लेकिन उनके पास समर्थन नजर नहीं आ रहा।

संसद में पढ़ा गया गोटाबाया का त्यागपत्र

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शनिवार को संसद का 13 मिनट का संक्षिप्त सत्र आयोजित हुआ। संसद में राष्ट्रपति पद से गोटाबाया के इस्तीफे को पढ़ा गया। गोटाबाया का इस्तीफा 14 जुलाई से प्रभावी हुआ है। स्पीकर को भेजे त्यागपत्र में गोटाबाया ने देश छोड़ने के अपने फैसले का बचाव किया है।

उन्होंने यह भी कहा है कि आर्थिक संकट को रोकने के लिए उन्होंने हर संभव कदम उठाए थे। श्रीलंका की सर्वश्रेष्ठ सेवा करने का दावा करने वाले गोटाबाया ने भविष्य में भी देश की सेवा करते रहने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने नौ जुलाई को पद छोड़ने का फैसला कर लिया था।