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ZyCov-D: कोरोना के खिलाफ दुनिया का पहली DNA वैक्‍सीन,


  • कोरोना वायरस वैक्‍सीन को लेकर एक और अच्‍छी खबर आई है. अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने इसी हफ्ते इंडियन ड्रग रेगुलेटर से प्‍लाज्‍़मिड डीएनए कोविड-19 वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल की अनुमति मांगी है. अगर जायडस कैडिला को इस वैक्‍सीन की मंजूरी मिल जाती है तो कंपनी सालाना 10 से 12 करोड़ डोज़ तैयार करेगी. इसके साथ ही यह पांचवीं वैक्‍सीन होगी, जिसे भारत में मंजूरी मिलेगी. अब तक कोविशील्‍ड, कोवैक्‍सीन, स्‍पुतनिक-वी और मॉडर्ना वैक्‍सीन को मंजूरी मिली है. जायडस कैडिला ने इस वैक्‍सीन का नाम Zycov-D रखा है.

ZyCov-D को केंद्र सरकार की बायोटेक्‍नोलॉजी डिपार्टमेंट और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मदद से तैयार किया गया है. सभी मौजूदा वैक्‍सीन की तुलना में इस वैक्‍सीन को लगाने का तरीका भी सबसे अलग है. इस वैक्‍सीन को लगाने के लिए सीरींज की जरूरत भी नहीं होगी.

कैसे काम करेगा यह वैक्‍सीन?

यह प्‍लाज्‍़मिड डीएनए वैक्‍सीन है. प्‍लाज्‍़मिड इंसानों में पाए जाने वाले डीएनए का एक छोटा सर्कुलर हिस्‍सा होता है. ये वैक्‍सीन इंसानों की बॉडी में सेल्‍स की मदद से कोरोना वायरस का स्‍पाइक प्रोटीन तैयार करता है. इससे बॉडी को कोरोना वायरस के अहम हिस्‍से की पहचान करने में मदद मिलती है. इस प्रकार बॉडी में इस वायरस का डिफेंस तैयार किया जाता है.

यह वैक्‍सीन इंसानों की स्किन में दी जाती है. इसे लगवाते समय चुभन जैसा महसूस होती है. इस वैक्‍सीन को लगाने के लिए स्प्रिंग की मदद से तैयार की गई एक डिवाइस का इस्‍तेमाल किया जाएगा और वैक्‍सीन को सीधे त्‍वचा में लगाया जाएगा.

इस वैक्‍सीन के कितने डोज़ दिए जाएंगे?

इस वैक्‍सीन की टेस्टिंग तीन डोज़ के हिसाब से की गई है. पहली डोज़ के 21 दिन बाद दूसरी डोज़ और तीसरी डोज़ 56 दिन बाद दी जाएगी. लेकिन कंपनी ने यह भी कहा कि उसने दो डोज़ में भी इस वैक्‍सीन की टेस्टिंग की है और एक जैसे ही नतीजे मिले हैं. ऐसे में इस बात के भी संकेत हैं कि इस वैक्‍सीन के भी दो ही डोज़ लगाए जाएंगी.

टेस्टिंग में अब तक क्‍या रहा है इस वैक्‍सीन का नतीजा?

करीब 28,000 लोगों में इस वैक्‍सीन की टेस्टिंग के बाद जायडस कैडिला ने कहा है कि यह 66.6 फीसदी तक प्रभावी है. हालांकि, कंपनी ने अब तक शुरुआती चरण में किए गए ट्रायल का आंकड़ा नहीं जारी किया है. जायडस कैडिला ने कहा कि पहले चरण का ट्रायल कोरोना वायरस की दूसरी लहर के पीक के दौरान हुआ था.

कंपनी ने इस वैक्‍सीन को डेल्‍टा वेरिएंट के प्रति भी प्रभावी बताया है. कंपनी की ओर से दी गई जानकारी से पता चलता है कि ट्रायल में 12 से 18 उम्र वर्ग के 1,000 किशोरों को भी शामिल किया गया है.

दूसरी वैक्‍सीन की तुलना से यह कितना अलग है?

डीएनए प्‍लाज्‍़मिड वैक्‍सीन mRNA वैक्‍सीन की तरह ही काम करता है. इसमें बॉडी को एंटीजेन बनाने के लिए तैयार किया जाता है. Zycov-D के मामले में बॉडी में स्‍पाइक प्रोटीन तैयार किया जाता है. कोव‍िशील्‍ड और स्‍पुतनिक-वी वायरल वेक्‍टर्स की मदद से बॉडी में ऐसे ही कोड तैयार करवाता है. नोवावैक्‍स तो बॉडी में यह प्रोटीन ही पहुंचाता है. कोवैक्‍सीन में इनएक्टिव वायरस की मदद से बॉडी में एंटीजेन तैयार किया जाता है.