सम्पादकीय

आधुनिक जीवनशैलीसे बढ़ती उच्च रक्तचापकी समस्या


 डा. प्रितम भि. गेडाम

उच्च रक्तचाप अर्थात्ï हायपरटेंशन वह स्थिति है जिसमें धमनियोंमें रक्तका दबाव बढ़ जाता है, दबावकी इस वृद्धिके कारण, रक्तकी धमनियोंमें रक्तका प्रवाह बनाये रखनेके लिए हृदयको सामान्यसे अधिक काम करनेकी आवश्यकता पड़ती हैं। उच्च रक्तचापमें ब्लड प्रेशर बहुत अधिक होता है। जब आपका हृदय रक्तको बाहर निकालनेके लिए धड़कता है तब रक्तका दबाव सिस्टोलिक दबाव कहलाता है और जब हृदय दो धड़कनोंके बीच आराम करता है तब रक्तका दबाव डायस्टोलिक दबाव होता है। उच्च रक्तचाप यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओंका कारण बन सकता है और हृदय रोग, स्ट्रोक और कभी-कभी मृत्युके जोखिमको बढ़ा सकता है, यह साइलेंट किलरकी तरह काम करता है। रक्तचापको नियंत्रणमें रखना स्वास्थ्यके संरक्षण और संबंधित घातक स्थितियोंके जोखिमको कम करनेके लिए जरूरी है। हर साल विश्व उच्च रक्तचाप दिवस १७ मईको दुनियाभरमें जन-जागरूकताके लिए मनाया जाता है इस वर्ष २०२१ की थीम ‘अपने रक्तचापको सही ढंगसे मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समयतक जीवन जियेÓ यह है। उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, दिलके दौरे और गुर्देकी बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओंका एक प्रमुख कारण है, बहुतसे लोग जो उच्च रक्तचापसे पीडि़त हैं, उन्हें यह पता भी नहीं होता है क्योंकि कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं, अक्सर लोगोंको केवल दिलका दौरा या स्ट्रोक पीडि़त होनेके बाद पता चलता हैं।

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन, एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे और अन्य बीमारियोंके जोखिमको खतरनाक रूपसे बढ़ा देती है। दुनियाभरमें अनुमानित १.१३ बिलियन लोगोंको उच्च रक्तचाप है, जिनमेंसे अधिकांश (दो-तिहाई) जनसंख्या निम्न और मध्यम आयवाले देशोंमें रहती हैं। २०१५ में चारमेंसे एक पुरुष और पांचमेंसे एक महिलाको उच्च रक्तचाप था। उच्च रक्तचापवाले पांचमेंसे एकमें यह समस्या नियंत्रणमें होती है। उच्च रक्तचाप दुनियाभरमें असमय मृत्युका एक प्रमुख कारण है। गैर-संचारी रोगोंके लिए वैश्विक लक्ष्योंमेंसे एक २०२५ तक उच्च रक्तचापके प्रसारको २५ प्रतिशततक कम करना हैं। ९० प्रतिशतसे अधिक मामलोंमें उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के कारणोंका पता नहीं चलता है, लेकिन कई ऐसे कारक हैं जो इस बीमारीके खतरेको बढ़ा सकते हैं जैसे कि आपके भोजनमें नमककी अधिक मात्रा, वसा युक्त आहार, व्यायामकी कमी, अधिक वजन होना, तंबाकू, धूम्रपान, ज्यादा मात्रामें शराब पीना, बहुत अधिक चाय, कॉफी या अन्य कैफीन आधारित पेय पीना, उच्च रक्तचापका पारिवारिक इतिहास, तनाव इत्यादि। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उच्च रक्तचाप होनेकी संभावना बढ़ जाती है।

भारतमें उच्च रक्तचापके बारेमें जागरूकता कम है साथ ही उचित उपचार और नियंत्रण भी कम है। भारतमें उच्च रक्तचापवाले अधिकांश मरीज अपनी वास्तविक स्थितिसे अनजान हैं। उच्च रक्तचापके बारेमें जागरूकताका प्रसार केवल एक-चौथाई ग्रामीण और दो-तिहाई शहरी भारतीयोंमें है और केवल एक-चौथाई ग्रामीण और शहरी भारतमें पहचाने जानेवाले लोगोंमेंसे एक-तिहाई इसके लिए उपचार प्राप्त करते हैं। नियंत्रित उच्च रक्तचापका प्रसार क्रमश: उच्च रक्तचापवाले ग्रामीण और शहरी रोगियोंमें लगभग दस प्रतिशत और बीस प्रतिशततक ही है। जिन्हें उच्च रक्तचापके रूपमें पहचाना जाता है वह अक्सर अनुचित देखभाल प्राप्त करते हैं या चिकित्सा उपाय योजनाओंका पालन करनेमें विफल रहते हैं। अनियंत्रित उच्च रक्तचापके अलावा, भारतमें उच्च रक्तचापके गलत निदानकी भी चुनौती है। हाइपरटेंशन भारतमें नंबर एक स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कारक है, जिसका बीमारी और मृत्यु दरमें सबसे बड़ा योगदान है। यह इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोकके कारण भारतमें सालाना अनुमानित १.६ मिलियनसे अधिक मौतोंमें योगदान देता है। २०१६ के जीबीडी अध्ययनके अनुसार उच्च रक्तचापके कारण अकेले वर्ष २०१६ में भारतमें १.६३ मिलियन मौतें हुईं एवं इस्केमिक हृदय रोग (५४.२ प्रतिशत), स्ट्रोक (५६.२ प्रतिशत) और क्रोनिक किडनी रोग (५४.५ प्रतिशत) के कारण होनेवाली मौतोंमेंसे आधेसे अधिक उच्च सिस्टोलिक बीपीके कारण हुई। स्ट्रोकसे होनेवाली मौतोंका पचास प्रतिशत और कोरोनरी हृदय रोगसे संबंधित २४ प्रतिशत मौतें उच्च रक्तचापसे संबंधित हैं। वृद्ध लोगोंके बढ़ते अनुपातके साथ भारतका जनसांख्यिकीय संक्रमण और बढ़ते शहरीकरणसे जुड़ी एक गतिहीन जीवनशैली, मोटापा और अन्य जीवनशैलीके कारक जैसे नमकका उच्च स्तर, शराब और तंबाकूका सेवन, उच्च रक्तचापकी समस्याको बढ़ा रहा हैं। भारतमें रोगियोंमें अचानक दिलका दौरा पडऩेके लिए अनियंत्रित उच्च रक्तचाप सबसे सामान्य कारण है, जो भारतके उच्च रक्तचाप नियंत्रण उपक्रम द्वारा किये गये एक अध्ययनसे पता चलता है। चार वयस्कोंमेंसे एकको भारतमें उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचापवाले लोगोंमें, केवल आधेका निदान किया गया है और उनमेंसे केवल दस मेंसे एकका रक्तचाप नियंत्रणमें है।

चिकित्सक अक्सर उच्च रक्तचापसे पीडि़त मरीजोंको इलाजके साथ अपने जीवनशैलीमें बदलाव लानेका परामर्श अवश्य देतें है ताकि औषधियोंपर निर्भरता कम हो। इसके लिए मरीजको अपने दिनचर्या, खानपान, व्यवहारमें विशेष बदलाव लानेपर ध्यान देनेकी आवश्यकता है। हल्का-फुल्का व्यायाम करना शुरू करें, बढ़ते हुए वजनको नियंत्रणमें लानेकी ओर सकारात्मक सोचके साथ ही टहलना, साइकिल चलाना, एरोबिक करना, तैराकी जैसे शारीरिक व्यायाम करें। तनाव दूर करनेके लिए ध्यान, गहरी सांस लेना, मालिश, गर्म स्नान, योग यह तकनीक है जो तनावको दूर करनेमें मदद करते हैं। लोगोंको तनावसे निबटनेके लिए शराब, नशा, तंबाकू और जंक फूडका सेवन करनेसे बचना चाहिए, क्योंकि यह उच्च रक्तचापकी जटिलताओंको बढ़ानेमें योगदान कर सकते हैं। धूम्रपानसे रक्तचाप बढ़ सकता है, तंबाकू, धूम्रपानसे दूर रहने या छोडऩेसे उच्च रक्तचाप, गंभीर हृदयकी स्थिति और अन्य स्वास्थ्य मुद्दोंका खतरा कम हो जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) उच्च रक्तचाप और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओंके जोखिमको कम करनेके लिए एक दिनमें पांच ग्रामसे कम नमक विश्वसनीय स्रोतके तहत सेवन करनेकी सलाह देता है। अधिक फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और कम वसावाला भोजन करना योग्य है, रेड मीटके बजाय, मछली, टोफू, सी-फूड जैसे स्वस्थ प्रोटीनका विकल्प चुनें। खानेमें सलाद और साबुत अनाजकी मात्रा बढ़ायें। शक्करका उपयोग कम करें, चाय, कॉफी, शीत पेय, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ लेनेसे बचें। यह अनुमान लगाया गया है कि भारतमें सिस्टोलिक रक्तचापमें दो मिमीकी व्यापक कमीसे कोरोनरी धमनीकी बीमारीके कारण १,५१,००० मौतोंको रोका जा सकेगा और स्ट्रोकके कारण होनेवाली १,५३,००० मौतोंको रोका जा सकेगा। आजके इस आधुनिक युगमें हर उम्रके बुजुर्गोंके साथ ही बड़ी मात्रामें युवा वर्ग भी उच्च रक्तचापकी समस्यासे ग्रसित नजर आ रहे है। चिकित्सककी सलाह अनुसार कुछ समयके अंतरालपर बीपी चेक करते रहें, इलाज करायें, दिशा-निर्देशोंका पालन करें, जीवनशैलीमें बदलाव लायें और उच्च रक्तचापको नियंत्रित कर तनावमुक्त होकर भरपूर जीवन जीये।