पटना

नालंदा: जिराईन नदी पर अधूरे बने बियर की वजह से बिंद प्रखंड के दर्जनों गांवों के डूबने की आशंका


ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक लगायी गुहार

बिंद (नालंदा)(संसू)। जल संसाधन विभाग द्वारा जिरायन नदी पर वियर और उससे संबंधित नहर तथा पुल पुलिया के अधूरे और घटिया निर्माण की वजह से बिंद प्रखंड के हजारों एकड़ खेतिहर जमीन के डूबने की आशंका है। ग्रामीणों ने अधूरे घटिया निर्माण तथा संभावित डूब से बचाव के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई है।

बिंद प्रखंड के दर्जनों गांव के किसानों ने पत्र लिऽकर जिरायन नदी पर सदरपुर-बरहोग गांव के निकट बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा बनाए गए बियर के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल सहित पटवन हेतू नहर तथा दर्जनों पुल-पुलिया के निर्माण कार्य को ठेकेदार द्वारा अधूरा छोड़ देने की शिकायत की है।

स्थानीय विधायक को प्रेषित पत्र की कापी जिलाधिकारी सहित विभागीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक भेजी गई है। ग्रामीणों ने पत्र में अधूरे कार्य का बिंदुवार उल्लेख करते हुए उससे होने वाली संभावित क्षति की भी विस्तार से चर्चा की है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बार-बार निर्माण से संबंधित प्राक्कलन की मांग करने पर भी न तो ठेकेदार और न ही विभागीय अभियंता द्वारा ग्रामीणों को प्राक्कलन दिया गया। जिससे कहां और किस मानदंड से निर्माण किया जाना है इसकी जानकारी स्थानीय लाभुक किसानों को नही हो पाई।

ग्रामीणों द्वारा आपत्ति के बावजूद निर्माण कार्य करा रही ‘विरमपुर कंस्ट्रक्शन’ के कर्मचारी मनमाने तरीके से घटिया सामग्री से निर्माण कार्य करते रहे। ग्रामीणों के अनुसार किसी भी पुल में गेट का निर्माण नहीं कराया गया है। बियर से जुड़े पटवन के लिए मिराचक में नहर का निर्माण भी अधूरा ही किया गया है। बरहोग गांव के खंधा से निगार के लिए पूर्व में बने बॉक्स पुल को तोड़ कर छोटे मुंह का ह्यूम पाइप का पुल बना दिया गया है जिससे गांव में लंबे समय तक पानी जमा रह जायेगा।

ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी पुल में गेट नही बनाए जाने से जिरायन नदी के पश्चिम भाग के उतरथु, बरहोग, धरमपुर, जमसारी, दरियापुर, गाजीपुर, अहियाचक, गोविंदपुर समेत कई गांव के 5000 एकड़ से अधिक खेती योग्य भूमि डूब जायेगी।

किसानों ने बताया कि 4-5 दिनों के मानसूनी वर्षा और जिरायन नदी की पानी से ही क्षेत्र के बड़े हिस्से में पानी भर गया। उस पर पुल निर्माण के बाद मिट्टी भराई का कार्य भी कई जगह अधूरा ही है जिससे तटबंध टूटने की आशंका अलग से बनी हुई है। किसानों को अभी से डर सताने लगा है कि आने वाले दिनों के बरसात में खेती कहीं पूरी तरह डूब न जाय। ग्रामीणों ने अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करने और घटिया निर्माण की जांच कर दोषी पर कार्यवाई की भी मांग की है।