हाईकोर्ट ने 60 दिनों में रिजल्ट प्रकाशित करने का दिया आदेश
पटना (आससे)। बिहार के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत अहर्ताधारी नियोजित शिक्षक भी अब बिहार के टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज (डायट/पीटीईसी/बाइट) में व्याख्याता (लेक्चरर) बनेंगे। पटना उच्च न्यायालय में दायर याचिका सीडब्ल्यूसी-२२७०/२०१८ (अजय कुमार तिवारी व अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य) के निष्पादन करते हुए न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पी.के. शाही ने बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग नियमावली-२०१४ और विज्ञापन संख्या-०६/२०१६ के अनुरूप नियोजित शिक्षकों को इस पद पर नियुक्ति हेतु वैध ठहराते हुए अपने दलील को पेश किया, जिससे कोर्ट भी सहमत हुआ।
ज्ञात हो कि वर्ष २०१६ में सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में व्याख्याता (लेक्चर्स) की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तथा शिक्षा विभाग की अधियाचना पर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के लिए विज्ञापन संख्या-०६/२०१६ प्रकाशित हुआ, जिसके लिए बिहार सरकार के विद्यालयों में न्यूनतम ३ वर्षों से कार्यरत शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित किया गया।
विज्ञापन एवं प्राप्त आवेदनों के आधार पर आयोग द्वारा लगभग दो वर्षों बाद २०१८ में लिखित परीक्षा भी ली गयी। मगर लिखित परीक्षा के उपरांत शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने आयोग को पत्र लिखकर नियोजित शिक्षकों को बाहर करते हुए परीक्षा का परिणाम घोषित करने को कहा।
शिक्षा विभाग के इस पत्र को अजय कुमार तिवारी व अन्य ने अधिवक्ता विपिन कुमार व वरीय अधिवक्ता पी.के. शाही के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय ने प्रधान सचिव के उस पत्र को निरस्त करते हुए नियोजित शिक्षकों की पात्रता को वैध ठहराया और ६० दिनों के अंदर परीक्षा के परिणाम को प्रकाशित करने का आदेश दिया।
उल्लेखनीय यह है कि बिहार में ६६ सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं। नयी शिक्षा नीति-१९८६ के लागू होने के साथ ही १९८६ में डायट (जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान) अस्तित्व में आया। ९० के दशक से लगभग सभी संस्थानों पर ताला लटका था। शिक्षा के अधिकार अधिनियम-२००९ के अस्तित्व में आने के साथ ही शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण को अनिवार्य बना दिया गया। फलत: बिहार सरकार ने २०१२ में बिहार के सभी बंद पड़े शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को खोला एवं इन्हीं संस्थानों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी थी।