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पटना

बिहार बोर्ड बनायेगा रिकार्ड, जल्द आयेगा रिजल्ट


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। देश भर के परीक्षा बोर्डों में सबसे पहले इंटरमीडिएट का रिजल्ट देकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति फिर नया रिकार्ड बनायेगी। कोरोना से बचाव को लेकर जारी दिशा-निर्देश के तहत देश भर के परीक्षा बोर्डों में सबसे पहले इंटरमीडिएट एवं मैट्रिक की परीक्षा लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पहले ही इतिहास रच चुकी है।

राज्य में इंटरमीडिएट की परीक्षा 1473 परीक्षा केंद्रों पर एक फरवरी से 13 फरवरी तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बीच हुई। इसमें शामिल होने के लिए 13,50,233 विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा फॉर्म भरे गये थे, जिनमें 7,03,693 छात्र एवं 6,46,540 छात्राएं थीं। कदाचारमुक्त परीक्षा संचालन को लेकर परीक्षा केंद्रों पर त्रिस्तरीय मजिस्ट्रेसी व्यवस्था की गयी थी। इसके तहत जोनल, सब जोनल एवं सुपर जोनल स्तर पर मजिस्ट्रेट तैनात किये गये थे।

परीक्षा प्रारंभ होने के 10 मिनट पहले परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों के प्रवेश की व्यवस्था पर सख्ती से अमल किया गया। परीक्षा केंद्रों के दो सौ गज की परिधि में अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक रही। ‘बीएसईबी एग्जाम 2021’ नाम से एक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया गया, जिससे सभी जिलाधिकारी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पदाधिकारी जोड़े गये। ऐसा सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान एवं उसके निराकरण के लिए किया गया।

परीक्षार्थियों को परीक्षा भवन में प्रवेश पत्र एवं पेन के अलावा कुछ भी ले जाने पर पाबंदी थी। कैलकुलेटर, मोबाइल फोन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स (ब्लूटूथ, इयरफोन) पर पूरी तरह बैन था। परीक्षार्थियों की तलाशी दो स्तर पर ली गयी। पहली तलाशी परीक्षा केंद्रों के मुख्य प्रवेश द्वार पर प्रवेश के समय और दूसरी तलाशी परीक्षा कक्ष में वीक्षकों द्वारा। इसके तहत एक वीक्षक पर पचीस परीक्षार्थियों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। तलाशी के बाद हर वीक्षक से इस आशय के घोषणा पत्र लिये गये कि परीक्षार्थियों के पास कोई आपत्तिजनक सामान नहीं है।

हर पाली की परीक्षा की रिपोर्ट परीक्षा केंद्रों से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा मोबाइल एप्प से लेने की व्यवस्था थी। परीक्षा सीसीटीवी कैमरे की नजर में ली गयी। परीक्षा केंद्र के मुख्य प्रवेश द्वार एवं परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये थे। हर परीक्षा केंद्र पर सम्पूर्ण परीक्षा संचालन प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग की भी व्यवस्था थी। सभी विषयों में प्रश्नपत्रों के 10 सेट थे। सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नकल के जुर्म में 672 परीक्षार्थी निष्कासित हुए एवं दूसरे के बदले परीक्षा देते पकड़े गये 75 फर्जी परीक्षार्थी गिरफ्तारी किये गये।

हालांकि, कोरोनाकाल में हुई पढ़ाई की क्षति के मद्देनजर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने परीक्षार्थियों को राहत भी दी। इसके तहत हर पेपर की परीक्षा में जितने सवालों के जवाब मांगे गये थे, उससे दूने क्वेश्चन दिये गये थे। छात्र-छात्राओं को उत्तर लिखने के लिए दी गयी हर विषय की कॉपी एवं ओएमआर शीट पर उनकी तस्वीर थी। उस पर उनके नाम, रौल नम्बर, रौल कोड, विषय आदि छपे हुए थे। इस व्यवस्था से रिजल्ट पेंडिंग होने की संभावना नहीं रहती।

कॉपियों की बारकोडिंग के बाद पांच मार्च से सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बीच कॉपियों की जांच शुरू हुई। इसके लिए विषयवार मूल्यांकन केंद्र बनाये गये। बारकोडेड कॉपियों के अंकों की प्रविष्टि सीधे मूल्यांकन केंद्रों से कम्प्यूटर के माध्यम से करने की व्यवस्था की गयी। आपको बता दूं कि रिजल्ट प्रोसेसिंग तेज गति से करने के लिए कई कम्प्यूटराइज्ड फॉर्मेटस खुद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनन्द किशोर द्वारा विकसित हैं।

आनन्द किशोर कानपुर आईआईटी के टॉपरों में रहे र्हैं। बहरहाल, अधिकांश मूल्यांकन केंद्रों पर कॉपियों की जांच समाप्त हो चुकी है। बचे मूल्यांकन केंद्रों पर भी शुक्रवार को कॉपियों की जांच समाप्त हो जायेगी। इसके साथ ही रिजल्ट की बारी आने वाली है।