सुखदेव सिंह
कोरोना वायरसकी दूसरी लहर शुरू होनेपर मानवता भी शर्मसार होकर रह गयी है। लोग संक्रामक रोगसे पीडि़त व्यक्तियोंके साथ बहुत ही गलत व्यवहार कर रहे हैं। यही नहीं, कोरोना वायरसकी वजहसे मरनेवालोंके साथ पशुओंसे भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाय तो जागरूकताकी बजाय जनताको भयभीत किये जानेकी अधिक कोशिश की जा रही है। कैसा नाजुक दौर आ गया कि मृतक लोगोंके अंतिम संस्कारके लिए भी उनके परिजनोंको मजबूरन घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। रोगका पता लगानेके लिए जनताको भारी-भरकम रकम चुकाकर भी सिर्फ मानसिक प्रताडऩा ही मिल रही है। कोरोना वायरससे निजात पाये जानेको लेकर विश्व स्वास्थ्य संघटनकी ओरसे आये दिन जारी की जा रही एडवाइजरीको लेकर भी असमंजसकी स्थिति ज्यादा बन रही है।
प्रशासनिक अधिकारियोंको मजबूरन पल-पलकी अधिसूचनाएं जारी करनी पड़ रही हैं। प्रत्येक जिला प्रशासन कोरोना वायरससे सुरक्षाको लेकर अपने ही नियम बनाये हुए है। कोरोना सचमें एक संक्रामक रोग है या फिर लोगोंको बिना वजह भयमें रखनेकी कोई साजिश रची गयी है। जनता यदि भयमें रहे तो कोई भी देशकी अर्थव्यवस्थापर सवाल नहीं उठा सकता है। ऐसे दौरमें बेरोजगार युवाओंके पास सरकारोंसे रोजगार मांगनेका समय ही कहां मिलेगा। सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशनको लेकर सड़कोंपर उतरकर विरोध करनेकी सोच भी नहीं सकते हैं। सरकारी, गैर-सरकारी क्षेत्रोंमें उम्रदराज कर्मचारियोंको कोरोनाके बहाने बाहरका रास्ता दिखाकर युवाओंको रोजगारसे जोड़े जानेकी मुहिम ही क्यों न इसे कहा जाय। कहीं जनसंख्या नियंत्रणमें रखनेको लेकर ईजाद की गयी बीमारी इसे बताया जा रहा है। सोशल मीडियामें फाइव-जी टेस्टिंगपर प्रतिबंध लगाये जानेकी मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। जनताका मत है कि फाइव-जी टेस्टिंगकी वजहसे ही लोग बीमारियोंसे ग्रसित हो रहे हैं जिन्हें बादमें कोरोना वायरस पीडि़त बताया जा रहा है। विकसित देश अमेरिका इस वायरसकी वजहसे हुए नरसंहारसे आहत होकर विश्व स्वास्थ्य संघटनको दी जानेवाली आर्थिक मदद न दिये जानेका ऐलान कर चुका है। वहीं महामारीके दौरके चलते विश्व स्वास्थ्य संघटनकी कमान भारतीय स्वास्थ्यमंत्रीको सौंपे जानेका खेल समझना भी पेंचीदा है।
स्वस्थ व्यक्ति जब कोरोना वायरससे बचावको लेकर पूरा दिन मुंहपर मास्क बांधकर रखेगा तो क्या वह भविष्यमें कभी स्वस्थ रह सकता है। मास्क, ग्लब्जका इस्तेमाल अक्सर चिकित्सक एवं मेडिकल स्टाफ ही किया करता था। आज प्रत्येक व्यक्तिको मुंहपर मास्क पहनकर निकलनेका सख्त कानून बन गया है। घरसे बिना मास्क पहने निकलनेवालोंको भारी-भरकम जुर्मानेकी अदायगी भी मजबूरन करनी पड़ रही है। इनसान नाकसे आक्सीजन ग्रहण करता और मुंहसे विषैली कार्बनडायक्साइड बाहर छोड़ता है। मुंहपर सदैव मास्क बांधकर रखनेसे स्वयं स्वस्थ व्यक्तिके संक्रमित होनेका खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि गरीब आदमी पेटकी आग बुझाये या फिर मास्क, ग्लब्ज खरीदकर अपनी जान बचाये। विश्व स्वास्थ्य संघटन अपनी एडवाइजरीमें कोई भी बात स्पष्ट रखनेमें फिलहाल कामयाब नहीं हो पा रहा है। इसी वजहसे चिकित्सकीय स्टाफ और आम जनतामें असमंजस बना हुआ है। इस संक्रामक रोगसे बचावको लेकर क्या अहतियात बरती जाय और कैसे इससे उबरा जाय, इसको लेकर इनसान उलझकर रह गया है। विश्व स्वास्थ्य संघटनका दावा है कि यदि किसी व्यक्तिमें कोरोना वायरसके लक्षण नहीं पाये जाते तो वह बीमार नहीं, इसलिए सभीको मुंहपर मास्क पहनकर रखनेकी जरूरत नहीं है। संघटनने कुछ ही दिनोंके बाद अपनी एडवाइजरीमें फेरबदल करते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्तिमें कोरोना वायरसके लक्षण नहीं भी पाये जाते, तब भी वह इस वायरसको फैला सकता है। नित दिन बदलती जा रही एडवाइजरीको लेकर स्वास्थ्य जानकार बेहद सकतेमें चल रहे हैं।
आज इस महामारीकी आड़में कितने दवाखानोंको जुर्माना भरना पड़ा है, जो नकली मास्क बनाकर लोगोंके स्वास्थ्यसे खिलवाड़ करके मोटी कमाई करनेकी फिराकमें लगे हुए थे। ऐसेमें घरेलू निर्मित मास्क जनताको बांटनेकी अनुमति स्वास्थ्य विभाग भी कभी नहीं देगा। कोरोना वायरसकी वजहसे आम व्यक्तिके जीवनयापनपर विपरीत असर पड़ा है। दिनोंदिन यह संक्रामक रोग लोगोंको भयभीत किये जा रहा है। कोरोना वायरस तो एक बहाना नजर आता है, असली सच कहीं अपनी अर्थव्यवस्थाके राजको छिपाना है। संक्रामक रोग किसी व्यक्तिको जल्दी अपनी चपेटमें नहीं ले सकता और न ही जल्द इससे कोई छुटकारा पा सकता है। कोरोना वायरस आखिर किस तरहका संक्रामक रोग है जो पाजीटिव व्यक्तिको बहुत जल्द रोगमुक्त किये जा रहा है। लोग सेनेटाइजर, मास्क, ग्लब्ज और पीपीई किटें खरीदनेमें अपना घरेलू बजट खर्च करते जा रहे हैं। इस महामारीसे बचावके लिए आम जनमानसको अपने भोजनमें अदरक, लहसुन, काली मिर्च, दाल चीनी, हल्दी, तुलसी और सलादमें नींबूका सदैव उपयोग करना चाहिए। सामाजिक दूरी हमेशा बनाये रखते हुए पानी एवं साबुनसे हाथ बार-बार धोने चाहिए।