चमकी से बचा चुकी हैं एक बच्चे की जान, गर्भवती महिलाओं का रखती हैं ध्यान
मुजफ्फरपुर। पानपुर हवेली की आंगनबाडी सेविका रानी कुमारी अपने काम को फर्ज की तरह अंजाम देती हैं। बच्चों के पोषण से लेकर उन्हें चमकी बुखार से बचाने में उनकी तत्परता उनके पोषक क्षेत्र में एक बेहतर मिसाल है। आंगनबाडी केंद्र के माध्यम से उन्होंने सबसे ज्यादा जोर बच्चों के पोषण पर ही दिया है। रानी कुमारी कहती हैं कि कुपोषण के कारण ही बच्चे चमकी बुखार जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए वह सभी अभिभावकों को जागरूक करती हैं कि शुरू से ही बच्चों के पोषण पर ध्यान दें।
घर-घर जाकर बच्चे की मां और दादी को विशेष रूप से बताती हैं कि बच्चे के पोषण में किसी तरह की लावरवाही न बरतें। उनके प्रयासों का बेहतर परिणाम भी दिखा है। कुपोषण के कारण होने वाली बीमारी चमकी का एक भी मामला इस साल अब तक उनके पोषक क्षेत्र में नहीं आया है। रानी कुमारी इसे अपनी सबसे बडी सफलता मानती हैं। उनका कहना है कि उनके कारण अगर किसी परिवार के बच्चे की जान बच जाए तो उनके लिए इससे बडा इनाम क्या हो सकता है।
सेवा की बेहतरीन मिसाल:
रानी कुमारी ने बताया कि उनके पोषक क्षेत्र में संतोष पासवान के तीन वर्षीय बेटे की तबियत खराब हुई। घर के अभिभावकों ने बताया कि बच्चे को बुखार और दस्त हो रहा है। सुबह के करीब चार बज रहे थे। रानी कुमारी बिना एक पल देर किए उस बच्चे के घर पहुंच गई। देखा बच्चा बुखार से तप रहा है। उन्होंने तुरंत पानी की पट्टी चढानी शुरू कर दी। बच्चे को ओआरएस का घोल पिलाया और तुरंत एम्बुलेंस बुलाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई। उनकी तत्परता से बच्चे की जान बच गई। यहीं पर रानी कुमारी का काम खत्म नहीं हो गया, बल्कि वह लगातार बच्चे का फॉलोअप करती रहीं और उसके अभिभावक को बच्चे के पोषण पर विशेष ध्यान देने के लिए जागरूक किया।
गर्भवती महिलाओं की करती हैं सतत निगरानी:
रानी कुमारी ने बताया कि वह गर्भवती महिलाओं का नाम रजिस्टर में दर्ज कर लगातार उनका फॉलोअप करती हैं। साथ ही उन्हें कैल्शियम और आयरन की गोली लेते रहने की सलाह देती हैं। गर्भवस्था के दौरान महिलाओं को खानपान पर विशेष ध्यान देने को लेकर जागरूक करती हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने पोषण क्षेत्र में सबको समझाती हैं कि अस्पताल में ही प्रसव कराएं। घर पर प्रसव कराकर जच्चा और बच्चा देनों की जान जोखिम में न डालें। उन्होंने बताया कि जागरूक करने का असर भी दिख रहा है। गर्भवती महिलाओं के घर से उन्हें फोन आते हैं। रानी कुमार तुरंत एम्बुलेंस या कोई गाडी की व्यवस्था कर गर्भवती महिला को अस्पताल पहंचवाने में मदद करती हैं।
व्यक्तिगत परेशानियां नहीं बनी बाधक:
रानी कुमारी बताती हैं कि वह परिवार में अकेली हैं। दो-दो बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजने की जिम्मेवारी रहती है। घर में बीमार सास की देखभाल करनी होती है। घर के काम के अलावा वे दिन-रात अपनी जिम्मेवारी निभाती हैं। लॉकडाउन में भी उन्होंने लोगों को जागरूक करने का अभियान जारी रखा। कोरोना काल में घर से बाहर निकलना, फिर अपने परिवार के बीच आना काफी जोखिम भरा होता था। रानी बताती हैं कि वह खुद भी कोरोना संक्रमण से बचने के जरूरी एहतियात बरतती थीं और दूसरों को भी जागरूक करती थीं। उन्होंने कभी अपने काम को बोझ नहीं समझा। उनकी यही सोच उन्हें कार्य करने के लिए प्रेरित भी करती हैं और उनके भीतर सेवा भाव को भी जगाती है।