पटना

विदेश मंत्रलय के तत्वावधान में दिल्ली में नालंदा विश्वविद्यालय के 17 सदस्य देशों की बैठक


विश्वविद्यालय के बहुआयामी विकास की सदस्य देशों ने की सराहना

बिहारशरीफ। भारत सरकार के विदेश मंत्रलय ने बीते दिनों नालंदा विश्वविद्यालय के 17 सदस्य देशों के मिशन प्रमुखों की बैठक की मेजबानी की। सदस्य देशों के राजनीतिज्ञों के साथ यह उच्च स्तरीय बैठक दिल्ली में आयोजित की गयी थी। इस बैठक में कंबोडिया, लाओस-पीडीआर, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनोई-दारूसलम, मॉरीशश, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, थाइलैंड, पुतर्गाल, इंडोनेशिया, चीन और सिंगापुर के प्रतिनिधि मौजूद थे। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति के नेतृत्व में प्राध्यापकों एवं अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल बैठक में शिरकत की।

बैठक की शुरुआत विदेश मंत्रलय पॉलिसी प्लानिंग एवं रिसर्च प्रभाग के संयुक्त सचिव डॉ॰ अनूप रे के उद्घाटन से हुआ। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय जो अब तक हमारे विचारों में था अब एक वास्तविकता है। उन्होंने वैश्विक उपलब्धि के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय को भविष्य में भी सहयोग देने को विदेश मंत्रलय की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय आपका ओर हमारा अपना विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस विश्वविद्यालय के पुर्ननिर्माण को एक अप्रत्याशित उपलब्धि बताया।

बैठक में कुलपति ने विकास कार्यों की विस्तृत प्रस्तुति दी और विश्वविद्यालय के अकादमिक स्थापत्य से अवगत कराया। इस अवसर पर मौजूद  सदस्य देशों के मिशन प्रमुखों ने नालंदा विश्वविद्यालय में हुए विकास कार्यों की सराहना की और राजगीर स्थित विश्वविद्यालय परिसर भवन की इच्छा जाहिर की, जिसपर कुलपति ने नालंदा यात्र के लिए निमंत्रण दिया।

बताते चले कि इस विश्वविद्यालय में 31 देशों के छात्र नामांकित है। नालंदा विश्वविद्यालय के भूतपूर्व वियतनामी छात्र ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए लिखा है कि ‘‘नालंदा विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन के दौरान मुझे कई अविस्मरणीय अनुभव हुए। राजगीर जैसे पवित्र बौद्ध स्थान की दिव्य अनुभूति के साथ नालंदा विश्वविद्यालय में यहां के उच्चस्तरीय अध्ययन का समग्र आनंद लिया।’’