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- विधानमंडल में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश
- एनपीए में गिरावट और सीडी रेशियों में जबरदस्त उछाल
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(आज समाचार सेवा)
पटना। उप मुख्यमंत्री सह वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने शुक्रवार को विधानमंडल में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया। २०२१-२२ का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना संकट जैसे विपरित परिस्थितियों में विकास की नयी गाथा है। कृषि प्रक्षेत्र से जीडीपी मजबूत हुआ है। प्रति व्यक्ति आय में बिहार पहले पायदान पर रहा है। आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में ७० प्रतिशत खर्च हुआ है। सरकार के लगातार प्रयास से एक ओर एनपीए में गिरावट दर्ज की गयी है जबकि सीडी रेशियो में रिकार्ड ५२.०१ प्रतिशत हो गया है। आने वाले दिनों में बिहार का सीडी रेशियों राष्टय औसत के करीब पहुंच जायेगा।
रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के प्रभाव के कारण बिहार का सकल घरेलू उत्पाद २०२०-२१ में मात्र २.५ प्रतिशत बढ़ा। लेकिन यह प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था २०२०-२१ में वस्तुत: ७.५ प्रतिशत सिकुड़ गयी। वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय २०२०-२१ में ५० हजार ५५५ रुपये थी जबकि भारत ८६६५० रुपये थी। गत पांच वर्षों मे बिहार में प्राथमिक क्षेत्र २.३ प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र ४.८ प्रतिशत तथा तृतीय क्षेत्र सर्वाधित ८.५ की वार्षिक दर से बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड १९ महामारी के कारण २०२०-२१ कठिनाईयों वाला वर्ष था। राज्य सरकार ने इस चुनौती का जवाब अपने वित्तीय संसाधनों के सर्वोत्तम संभव उपयोग के जरिये दिया। २०२०-२१ में सरकार का कुल व्यय गत वर्ष की अपेक्षा १३.४ प्रतिशत बढ़ कर एक लाख ६५ हजार ६९६ करोड़ पहुंच गया। इसमें से २६२०३ करोड़ पूंजीगत व्यय था और एक लाख ३९ हजार ४९३ करोड़ राजस्व व्यय एवं सामान्य सेवाओं, सामाजिक सेवाओं और आर्थिक सेवाओं पर राज्य सरकार का व्यय गत वर्ष से क्रमश. ११.१ प्रतिशत, १०.०४ प्रतिशत और १०.०८ प्रतिशत बढ़ा। राज्य सरकार को अपने कर और करेत्तर श्रोतोंों से राजस्व २०१९-२० के ३३८५८ करोड़ से बढक़र ३६५४५ करोड़ हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों का लगातार विकास हुआ है। वर्ष २०१९-२० में सकल श्यय क्षेत्र ७२.९७ लाख हेक्टेयर था और फसल सघनता १.४४ प्रतिशत थी। गत पांच वर्षों मे कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र २.१ प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। बिहार में हाल के वर्षों में आशाजनक औद्योगिक विकास हुआ है। बिहार में औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने अनेक नीतिगत उपाय किये हैं और समर्पित संस्थानों की स्थापना की है। २०१७ से २०२१ के बीच राज्य को ५४७६१ करोड़ निवेश के १९१८ प्रस्ताव प्राप्त हुए। तीन आकर्षक उद्योग इथेनॉल, खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा हैं। दिसंबर २०२१ तक इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति बनायी गयी है। इसमें इथेनॉन क्षेत्र में कुल ३२४२४ करोड़ निवेश वाली १५९ इकाईयों को प्रथम स्तर की अनापत्ति दी गयी है। राज्य में चिकित्सा संबंधी प्रयोजनों के लिए ऑकसीजन के उत्पादन में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने ऑकसीन प्रोत्साहन नीति २०२१ लागू की है।
रिपोर्ट के अनुसार परिवहन विभाग ने नागरिक हितैषी सेवाओं पथ सुरक्षा आदि में सुधार लाने के लिए हाल के वर्षों में अनेक पहल किये हैं और २०१८ से २०२० तक तीन वर्षों के अंदर पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये हैं। गत दशक के दौरान देश में परिवहन, भंडारण एवं संचरण क्षेत्र में सर्वाधिक १४.४ प्रतिशत वृद्घि दर बिहार में दर्ज हुई है। यह सडक़ एवं पुल क्षेत्र में गत १५ वर्षों के दौरान किये गये उच्च सार्वजनिक निवेश का परिणाम है। सरकार ग्रामीण आवादी की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करती है। जीविका उनमें से एक है। ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ाने के लिहाज से रोजगार पाने वाले परिवारां की आमदनी बढ़ाने में मनरेगा प्रभावी भूमिका निभायी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग अधिसंरचना राज्य में आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बिहार में बैंकिंग क्षेत्र में मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बर्चस्व रहा है। निजी क्षेत्र की बैंकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। कोविड १९ के संकट ने विकास और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के आपसी संबंध को और अधिक फोकस में ला दिया है। पर्यावरण की सुस्थिरता को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेका कार्यक्रम चलाये गये हैं। जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत २०२०-२१ में लगभग ३.९२ करोड़ पौधे लगाये गये और करीब ४४३६ हेक्टेयर वन क्षेत्र का मृदा और नमी संरक्षण कार्य के तहत उपचार किया गया।