बाल मुकुन्द ओझा
आज भी दुनिया परिवार और संयुक्त परिवारकी अहमियतको लेकर विवादोंमें उलझी है। भारतमें संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन समयसे ही विद्यमान रही है। वह भी एक जमाना था जब भरा पूरा परिवार हंसता खेलता और एक-दूसरेसे जुड़ा रहता था। बच्चोंकी किलकारियोंसे मोहल्ला गूंजता था। पैसे कम होते थे परन्तु उसमे भी बहुत बरकत होती थी। घरमें कोई हंसी खुशीकी बात होती थी तो बाहरवालोंको बुलानेकी जरूरत ही नहीं पड़ती थी। आज परिवार कितने छोटे हो गये हैं और टूटते जा रहे हैं, हमारे रिश्ते बिखरते जा रहे हैं। संयुक्त परिवारकी आजके समयमें महती आवश्यकता है।
संयुक्त परिवारोंके अभावमें भाईचारा एवं पारिवारिक वातावरण खत्म होने लगा है। संयुक्त परिवार प्रथा भारतीय संसकृतिका हिस्सा रही है। ऐसी फैमिलीकी बुनियाद उनके बीचका प्यार है, जो सबको एस साथ जोड़कर रखती है। आजकल भारतके साथ ही दूसरे देशोंमें भी लोग संयुक्त परिवारमें एक साथ रहने लगें हैं। आज हम आपकों ऐसी फैमिलीमें रहनेवाले फायदोंके बारेमें बतायंगे। संयुक्त परिवारोंके कई फायदे हैं, जब कभी भी जरूरत है आपको परिवारके सदस्योंका पूरा समर्थन मिलता है, जब आप नौकरीके लिए जाते हैं तो आपके बच्चे घरमें अकेले नहीं रहेंगे, आप उनके साथ अपने सुख और दुख साझा कर सकते हैं। कई बार दिनके समयमें घरमें चोरियां हो जाती हैं, क्योंकि घरमें कोई भी उपलब्ध नहीं होता है, इसलिए यदि वहां एक संयुक्त परिवार होगा, चोरियोंके मामलोंमें भी कमी होगी। यदि परिवारके सभी सदस्यको एक साथ रह रहे हैं तो हमें दूसरोंसे मदद मांगनेकी जरूरत नहीं है।
भारतमें संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन समयसे ही विद्यमान रही है। साधारणत: संयुक्त परिवार वह है जिसमें पति-पत्नी, सन्तान, परिवारकी वधुएं, दादा-दादी, चाचा-चाची, अनके बच्चे आदि सम्मिलित रूपसे रहते है। संयुक्त परिवारमें माता-पिता, भाई-बहनके अतिरिक्त चाचा, ताऊकी विवाहित संतान, उनके विवाहित पुत्र, पौत्र आदि भी हो सकते हैं। संयुक्त परिवारसे घरमें खुशहाली होती है। साधारणत पिताके जीवनमें उसका पुत्र परिवारसे अलग होकर स्वतंत्र गृहस्थी नहीं बसाता है। यह अभेद्य परंपरा नहीं है, कभी-कभी अपवाद भी पाये जाते हैं। ऐसा भी समय आता है, जब रक्त संबंधोंकी निकटताके आधारपर एक संयुक्त परिवार दो या अनेक संयुक्त अथवा असंयुक्त परिवारोंमें विभक्त हो जाता है। असंयुक्त परिवार भी कालक्रममें संयुक्त परिवारका ही रूप ले लेता है और संयुक्त परिवारका क्रम बना रहता है। जिस फैमिलीमें दादा-दादी, माता-पिता, चाचा-चाची और खूब सारे भाई-बहन होते है उसे जॉइंट फैमिली (संयुक्त परिवार) कहां जाता है। ऐसी फैमिलीकी बुनियाद उनके बीचका प्यार है, जो सबको एस साथ जोड़कर रखती है। इसमें बूढ़ोंसे लेकर बच्चे कर अपना सुख-दुख एक साथ बाटते है।
संयुक्त परिवारके सदस्योंके पास आपसी सामंजस्यकी समझ होती है। एक बड़े संयुक्त परिवारमें, बच्चोंको एक अच्छा माहौल और हमेशाके लिए समान आयु वर्गके मित्र मिलते हैं इस वजहसे परिवारकी नयी पीढ़ी बिना किसी रुकावटके पढ़ाई, खेल और अन्य दूसरी क्रियाओंमें अच्छी सफलता प्राप्त करती हैं। संयुक्त परिवारमें विकास कर रहे बच्चोंमें सोहार्दकी भावना होती है अर्थात् मिलनसार तथा किसी भी भेदभावसे मुक्त होते हैं। परिवारके मुखियाकी बात माननेके साथ ही संयुक्त परिवारके सदस्य जिम्मेदार और अनुशासित होते हैं। परिवार चाहे संयुक्त हो या एकल, इसकी खुशियां सदस्योंकी सोच और व्यवहारपर ही निर्भर करती हैं। हर परिवारके सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष हैं। सुरक्षाकी दृष्टिसे संयुक्त परिवारकी खूबियां है तो सुविधाकी दृष्टिसे एकल परिवारके भी अपने फायदे हैं।
बदलते वक्त और जरूरतके हिसाबसे परिवार संयुक्त और एकल परिवारका रूप लेते हैं। सुरक्षा और सुविधा, दोनों ही दृष्टियोंसे संयुक्त परिवारके अपने फायदे हैं। संयुक्त परिवारमें यदि कभी किसीको कोई दिक्कत होती हैं तो सभी सहायताके लिए पूरा परिवार ही जुट हो जाता है। बच्चोंको छोड़कर कहीं बाहर जाना है तो भी निश्चिंतताके साथ जा सकते हैं। यहां बच्चोंकी जिम्मेदारी पूरे परिवारकी होती है। बच्चे परिवारके संस्कार भी सीखते हैं। संयुक्त परिवारका एक मुखिया होता है, जो परिवारके सभी सदस्योंके लिए नीतियां और निर्देश देता है। इन परिवारोंमें पुत्र विवाहके बाद अपने लिए अलग रहनेकी व्यवस्था नहीं करता। परिवारमें जन्मे बच्चोंके पालन पोषणके लिए एक स्वस्थ वातावरण निर्मित होता है जिसमें वह समाजमें घुल-मिल जानेके संस्कार, नीतियां, दायित्व आदि सीखता है। एकल परिवारमें जहां कुछ ही लोगोंका लाड़-दुलार मिलता है इसलिए परिवार वही बेहतर हैं जहां आपसमें प्रेम, विश्वास और एक-दूसरेके सुख-दु:खमें शामिल होनेका अपनापन है, वह चाहे संयुक्त परिवार हो या एकल।