Post Views: 1,018 डा. प्रदीप कुमार सिंह कहा जाता है कि देशकी लोकतांत्रिक व्यवस्थामें कानूनका शासन है एवं कानून अपना कार्य स्वयं करता है। परन्तु महिलाओंके प्रति आपराधिक मामलोंमें कानून द्वारा काररवाईकी प्रतीक्षा नहीं की जाती। इसलिए गैरसत्ताधारी राजनीतिक दलोंके नेताओंके लिए कभी-कभी यह घटनाएं आपदामें अवसरके रूपमें विशेष आकर्षणका केन्द्र बन जाती हैं। देखा […]
Post Views: 1,334 ओशो अपनी आंखें बंद कर लो और अपनी रीढ़को आंखोंके सामने लाओ। इसका निरीक्षण करो और इसके बीचोंबीच एक तंतुको देखो, कमलके तंतु जैसा नाजुक, तुम्हारी रीढ़के खंभेमेंसे गुजर रहा है। रीढ़में बीचोंबीच एक रुपहला धागा है, यह शारीरिक तंतु नहीं है। यदि इसे खोजनेके लिए आपरेशन करोगे तो इसे नहीं पाओगे। […]
Post Views: 770 ओशो विचारकी वीणाके तार इतने खिंचे हुए हैं कि उनसे संगीत पैदा नहीं होता और मनुष्य विक्षिप्त हो गया है। यह विचारकी वीणाके तार थोड़े शिथिल करने अत्यंत जरूरी हो गये हैं, ताकि वह समस्थितिमें आ सकें और संगीत उत्पन्न हो सके। विचारका केंद्र मस्तिष्क है और भावका केंद्र हृदय है और […]