बीएचयू में आयोजित व्याख्यान मालाको यूजीसी के चेयरमैनने किया संबोधित
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डी. पी. सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महामना का शैक्षिक चिंतन प्रतिबिंबित होता है। उनकी सोच दिखाई देती है और समग्र शिक्षा का महामना का भाव इसमें दिखता है। कई समितियां एवं विशेषज्ञ समूह नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए सक्रियता से लगे हुए हैं और जल्दी ही इसे लागू करने की योजना देश के सामने होगी। प्रोफेसर सिंह बुधवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित महामना मदनमोहन मालवीय जी की जयंती पौष कृष्ण अष्टमी पर मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र द्वारा आयोजित व्याख्यान माला को वेब लिंक के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मालवीय जी मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण होना चाहिए। उनकी सोच थी कि बौद्धिक विकास से अधिक महत्वपूर्ण चारित्रिक विकास है और इन्हीं विचारों को आधार बनाकर उन्होंने विश्वविद्यालय की संकल्पना को मूर्त रूप दिया। महामना की इसी दृष्टि को आज नए विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों की स्थापना के केन्द्र में रखना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाइस चांसलर प्रोफेसर राकेश भटनागर ने कहा कि महामना ने राष्ट्र निर्माण के लिये शिक्षा को एक माध्यम चुना। उनका ये मानना था कि शिक्षा एक ऐसा प्रकाश है जो गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा के अंधकार को दूर करता है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर आशा राम त्रिपाठी ने किया।