Post Views: 628 डा. भरत झुनझुनवाला जलविद्युतके उत्पादनके लिए नदियोंको अवरोधित किया जा रहा है और मछलियोंकी जीविका दूभर हो रही है। लेकिन मनुष्यको बिजलीकी आवश्यकता भी है। अक्सर किसी देशके नागरिकोंके जीवन स्तरको प्रति व्यक्ति बिजलीकी खपतसे आंका जाता है। अतएव ऐसा रास्ता निकालना है कि हम बिजलीका उत्पादन कर सकें और पर्यावरणके दुष्प्रभावोंको […]
Post Views: 888 अभिनय आकाश सत्ताके लिए नैतिकताके मूल्य जानबूझकर तोड़े गये, भाषाकी मर्यादा भी टूटती रही। महाभारत क्या है। सत्ताके लिए निरन्तर टूटती मर्यादाएं। महाभारतके युद्धके वक्त तमाम तरहके कायदे तय हुए थे जैसे सूर्यास्तके बाद कोई शस्त्र नहीं उठायेगा, स्त्रियों, बच्चों और निहत्थोंपर कोई वार नहीं करेगा। महाभारत तो परम्पराओंकी कहानी है लेकिन […]
Post Views: 683 ओशो वनके हर क्षेत्रमें सत्यके सामने ठहरना मुश्किल है और झूठके सामने झुकना सरल। ऐसी उलटबांसी क्यों है। उलटबांसी जरा भी नहीं है, सिर्फ विचारमें जरा-सी चूक हो गयी है, इसलिए ऐसा दिख रहा है। चूक बहुत छोटी है, शायद एकदमसे दिखाई न पड़े। सत्यके सामने झुकना पड़ता है, झूठके सामने झुकना […]