श्रीश्री रवि शंकर
हम तत्व और आत्मा दोनोंसे बने हैं। आत्माको आध्यात्मिकताकी आवश्यकता है। शरीर (तत्व) को कुछ भौतिक चीजोंकी आवश्यकता होती है और हमारी आत्माका पोषण अध्यात्मसे होता है। आप जीवनको आध्यात्मिकताके बिना जी नहीं सकते। क्या आप शांति चाहते हैं। क्या आप खुशी चाहते हैं। क्या आप सुख चाहते हैं। हमें लगता है कि आध्यात्मिकताका अर्थ केवल मंदिर, गिरजाघर या मस्जिद जाना है। आध्यात्मिकता मानवीय मूल्योंका जीवनमें समावेश है। मानवीय मूल्योंके बिना जीवन व्यर्थ है। यदि कोई प्रश्न करता है कि आपको मानवीय मूल्योंकी आवश्यकता क्यों है तो आप कहेंगे, यह एक मूर्खतापूर्ण सवाल है। जब आप मनुष्य हैं तो जानवरों जैसा जीवन जीनेका कोई अर्थ नहीं है। मानवीय मूल्योंके साथ रहना मनुष्यता है। मनुष्यकी कुछ जरूरतें होती हैं और वह जिम्मेदारियां लेता है। जब जरूरतें कम और जिम्मेदारियां अधिक हों तो जीवन अच्छा होता है। जब जरूरतें अधिक और जिम्मेदारियां कम हों तो फिर जीवन इतना अच्छा नहीं होता। जब आपकी जरूरतें अधिक हों और आप बहुत ही कम जिम्मेदारी लेते हैं तो आप दुखी हो जाते हैं। यह आध्यात्मिक जीवन नहीं है। भरथियार, कामराज और गांधीजीने पूरे राष्ट्रकी जिम्मेदारी ली और उन्होंने कैसा जीवन व्यतीत किया। उनकी जरूरतें बहुत कम थीं। इसलिए अधिकसे अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यदि पिता अपने बच्चों और उनकी जरूरतोंकी जिम्मेदारी नहीं लेगा तो क्या बच्चे उसकी सुनेंगे। जो लोग जिम्मेदारी लेते हैं, उन्हें ही अधिकार प्राप्त होते हैं। जो लोग राजनीतिमें हैं, उन्हें तो पूरे राष्ट्रकी जिम्मेदारी लेनी होगी। परंतु यदि वह भ्रष्ट तरीकोंसे सत्तामें आये हैं तो पतन निश्चित है। जब हम और अधिक जिम्मेदारी लेते हैं तो उसका प्रबंधन कैसे करें। हमारी क्षमतासे परे जिम्मेदारी लेना और उसका प्रबंधन करना अध्यात्मसे आता है। हम अपनी बुद्धिका इस्तेमाल सिर्फ भ्रष्टाचारके लिए करते हैं, न कि एक अच्छे इनसान बननेके लिए। हम सोचते हैं कि हम अच्छे हैं और दूसरे बुरे हैं। कुछ अच्छाई हर किसी में होती है और अध्यात्मसे उसमें बढ़ावा होता है। जो लोग जिम्मदारी लेते हैं, उन्हें ही अधिकार प्राप्त होते हैं। जब छोटी कठिनाइयां हों तो उनसे भी हमें गहराई मिलती है। खुशीसे विस्तार मिलता है, कठिनाइयोंसे गहराई मिलती है। आधुनिक और प्राचीन दोनोंसे सीखें और आगे बढ़ें। अध्यात्म हमारी परंपरा और संस्कृतिकी बुनियाद है। बिना अध्यात्मके हम ज्ञानको प्राप्त करनेमें सक्षम नहीं होते। जीवनमें आगे बढऩेके लिए पहले अपनी जिम्मेदारियोंको निभाना जरूरी है।