रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। पूर्णिया-भागलपुर जिले के सीमांत रूपौली प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी छोड़ पर अवस्थित भौवा प्रबल पंचायत के बिंदटोली गांव का अस्तित्व तो लगभग अन्तिम स्थिति में आ पहुंचा है। जबकि कारी कोसी के तेज कटाव के परिणाम स्वरूप टोपरा गांव भी अपनी अस्तित्व के खतरे से परेशान हो चुका है। पिछले कुछ दिनों से मानसून की लगातार बारिश होने से नदी का जल स्तर काफी तेजी से बढ़ टोपरा गांव का कटाव कर अपने आगोश में लेना शुरू कर दी है।
टोपरा गांव के निवासी अब खासे परेशान हो रतजगा करने को विवश हो गए हैं। टोपरा गांव के मंटू शर्मा ,छोटेलाल पासवान, धर्मेंद्र कुमार, जोगन शर्मा आदि ने बताया कि समय रहते अगर इस कटाव को नहीं रोका गया तो बचा बिंद टोली गांव का अस्तित्व कब समाप्त हो जाएगा किसी को पता नहीं है। जबकि समीप के टोपरा गांव पर भी संकट के बादल से इनकार नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों ने बताया कि कारी कोशी नदी का जलस्तर पिछले दिनों से लगातार हो रहे बारिश से बढ़ा है।
वहीं बिंदटोली गांव के निवासियों ने बताया कि विस्थापित सभी परिवार साहू परबत्ता स्टेट की जमीन पर वर्षों से घर बना कर गुजर-बसर कर रहे हैं। हर साल बाढ़ की विभीषिका और कोसी नदी से हो रहे कटाव को झेलने को विवश हैं। अब थोड़ा सा ही गांव बचा हुआ है ।आज तक उन्हें घर का एक अदद वासगीत पर्चा तक नहीं बन पाया है। अब तक जिला प्रशासन के द्वारा हमलोगों के लिए किसी प्रकार का स्थायी समाधान नहीं किया जा सका है। बिना कागजात के ही घर बनाकर रहने को मजबूर हैं।
जिला प्रशासन की कुंभकर्णी निंद का परिणाम बिंदटोली कटाव
ग्रामीणों के अनुसार लगभग 400 घरों की आबादी बिंदटोली गांव की थी जो हर बर्ष नदी कटाव,बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर थी। पिछले साल हुए नदी के तेज कटाव ने गांव के लगभग एक तिहाई घरों को अपने आगोश में लेकर कोशी नदी में विलीन कर दिया। तब वे परिवार नया टोला टोपरा से जंगल टोला जाने वाली प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क के दोनों किनारे अपनी झोपड़ी डालकर तो कुछ परिवार के लोग बिंदटोली अंझरी सड़क के दोनों किनारे अपनी झोपड़ी डालकर और कुछ लोग तुलसीपुर के समीप रिंग बांध पर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं। अब लगभग 20 से 25 परिवारों की आबादी इस गांव में बचा है।
अंचलाधिकारी रुपौली राजेश कुमार ने बताया कि बिंद टोली गांव के समीप शुरू हुए कोसी नदी से कटाव की रिपोर्ट विभाग को भेज दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि जल संसाधन विभाग की ओर से कटाव निरोधक कार्य पिछले साल किया गया था।लेकिन तेज कटाव के आगे कटाव निरोधक कार्य कारगर साबित नहीं हो पाये जो तेज नदी कटाव में विलीन हो गया।