सम्पादकीय

अनियंत्रित हालात


कोरोना संक्रमणकी अनियंत्रित रफ्तारसे पूरा देश भयग्रस्त हो गया है। संक्रमितोंके आंकड़े थमनेका नाम नहीं ले रहे हैं और वह निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालयने सोमवारको जो ताजे आंकड़े जारी किया है, उससे लोगोंमें बेहद खौफ है। पिछले २४ घण्टोंमें एक लाख ६८ हजार ९१२ नये मामले आये और ९०४ लोगोंकी मृत्यु हो गयी। संक्रमितों और मृतकोंका यह सर्वाधिक आंकड़ा है। छह राज्योंकी स्थिति काफी चिन्ताजनक है, जहां नये मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोनाकी दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। इस बार वे जिले ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, जो पिछली बार कोरोनाकी मारसे बच गये थे। १६ राज्योंकी स्थिति चिन्ताजनक बनी हुई है। इनमें महाराष्टï्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तराखण्ड, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। रिकवरी रेटमें गिरावट भी चिन्ताका विषय बन गया था। कुछ समय पूर्व रिकवरी रेट ९८ प्रतिशत तक पहुंच गया था लेकिन वर्तमानमें यह गिरकर ९०.४४ प्रतिशत हो गया है। इसलिए रिकवरी रेटमें सुधार लानेकी दिशामें प्रयास होना चाहिए। यदि व्यवस्थागत खामियां हैं तो उसका तत्काल निराकरण आवश्यक है। विगत एक सप्ताहसे प्रतिदिन औसतन एक लाख २४ हजार ४७६ नये मामले सामने आते थे जबकि पहली लहरके दौरान अधिकतम ९७ हजारके अन्दर ही नये मामले दर्ज होते थे। इस समय देशमें संक्रमणके कुल मामलोंके दोगुने होनेकी अवधि लगभग ६० दिन है। महाराष्टï्रमें बिगड़ते हालातसे वहां लाकडाउनके बादल मंडरा रहे हैं और १४ अप्रैलके बाद इसपर निर्णय लिया जा सकता है। इसी प्रकार गुजरातमें भी स्थिति काफी नाजुक हो गयी है। गुजरात उच्च न्यायालयने स्थितिपर स्वत: संज्ञान लेने हुए जनहित याचिकापर काररवाई शुरू कर दी है। सर्वोच्च न्यायालयमें भी ५० प्रतिशत कर्मचारी कोरोनासे संक्रमित हो गये हैं। इससे वहां वीडियो कांफ्रेंसिंगसे सुनवाई करनेका निर्णय किया गया है, जो उचित है। संक्रमणके प्रसारको लगाम अब देनेके लिए राज्योंमें सख्त पाबन्दियां लगानेकी जरूरत है। प्रशासनिक तंत्रको भी सख्त होना पड़ेगा, क्योंकि ढिलाई और लापरवाही काफी बढ़ गयी है। जनताको काफी सतर्क रहनेकी आवश्यकता है, क्योंकि संक्रमणकी चपेटमें आनेसे सबसे अधिक क्षति उनके परिवारको ही उठानी पड़ती है। इसलिए बचावके अधिकतम उपाय किये जाने चाहिए।

आतंकियोंका शमन

जम्मू-कश्मीरमें पिछले ७२ घण्टेके दौरान चार मुठभेड़ोंमें १२ आतंकियोंका मारा जाना सुरक्षाबलोंकी बड़ी कामयाबी है। शोपियांमें गुरुवारसे शुक्रवार सुबहतक चली मुठभेड़में पांच आतंकवादी मारे गये थे। नेबुग त्रालमें शुक्रवारको हुई मुठभेड़में दो जबकि रविवारको शोपियां और अनन्तनागमें पांच आतंकियोंको ढेर कर दिया गया। इसमें अनन्तनागके बिजबेहरामें शुक्रवारको टेरिटोरियल आर्मीके जवानको शहीद करनेवाले दोनों आतंकी शामिल हैं। ये दोनों लश्कर-ए-तैयबासे जुड़े आतंकी हैं। इस प्रकार दो दिनके भीतर ही आर्मी जवानकी शहादतका बदला ले लिया गया। इसके पाससे तीन एके-४७ राइफल और दो पिस्तौल बरामद किये गये हैं। यह दोनों पिछले तीन-चार सालसे कश्मीरमें आतंकी गतिविधियोंमें सक्रिय थे। सुरक्षाबलोंकी सतर्कता और सक्रियतासे घाटीमें आतंकीघटनाओंमें कमी जरूर आयी है लेकिन अब भी जम्मू-कश्मीरमें आतंकी बहुत हैं, जिन्हें पाकिस्तानमें बैठे आतंकी संघटनोंके सरगनाओंसे आर्थिक मदद मिल रही है। इनके लिए सघन अभियान चलानेकी जरूरत है। मिशन कश्मीरके विफलतासे पाकिस्तान और उसके पोषित आतंकी संघटन बौखलाये हुए हैं। इनकी स्थिति अब सांप-छछूंदरकी हो गयी है। न तो ये अपना मिशन बंद कर पा रहे हैं और न ही भारतीय सुरक्षाबलोंके आगे टिक पा रहे हैं। आतंकियोंको घुसपैठ करानेके लिए भी इन्होंने अपनी रणनीति बदली है। अब सुरंगके रास्ते आतंकियोंको सीमापारसे घुसपैठ कराया जा रहा है लेकिन सुरक्षाबलोंकी सक्रियतासे उसमें भी आंशिक सफलता ही मिल रही है। कश्मीरमें आतंकियोंकी स्लीपिंग सेलको सक्रिय करने और भारतको असहज करनेकी गतिविधियोंमें तेजी आयी है। सुरक्षाबलोंपर घात लगाकर हमला करनेकी घटनाएं बढ़ी हैं इसके लिए आपरेशन आल आउट अभियान चलानेकी जरूरत है। अमरनाथकी पवित्र यात्रा शुरू होनेवाली है, इसलिए निगरानी तंत्रको और सुदृढ़ करनेकी जरूरत है।