सम्पादकीय

मनुष्यकी अंतरचेतनाका विकास


 डा. भरत झुनझुनवाला

चाल्र्स डार्विनका जन्म १२ फरवरीको १८०९ में हुआ था। डार्विनने दक्षिण अमेरिकाके गालापागोस द्वीपमें कछुओंके क्रमसे विकासका गहन अध्यन किया। अध्ययनके आधारपर उन्होंने विचार बनाया कि वर्तमान मनुष्यकी उत्पत्ति क्रमसे बन्दरोंसे हुई है। उस समय पाश्चात्य जगतमें मान्यता थी कि गॉडने मनुष्यको बनाया है जैसे छेनी-हथौड़ी लेकर मूर्तिकार एक मूर्तिको बनाता है। डार्विनके विचारसे गॉडकी इस भूमिकापर प्रश्नचिह्न उठता था। उनका कितना विरोध हुआ। यह १८६० में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीमें एक चर्चाकी घटनासे पता लगता है। बिशप सैमुएल विल्बरफार्सने डार्विनके समर्थक हक्सलेसे पूछा कि यदि वह अपनेको बन्दरोंसे उत्पन्न हुआ मानते हैं तो वह बंदर उनके दादाके पूर्वज थे अथवा दादीके। उत्तरमें हक्सलेने कहा कि वह अपनेको बन्दरके वंशज माननेमें ज्यादा प्रसन्न होंगे, बल्कि इससे कि वह ऐसे मनुष्यके वंशज हो जो वैज्ञानिक तथ्योंका मजाक उड़ाता है। डार्विनके विचारोंसे इसाई जगतमें गॉडकी भूमिकाका सीधा खंडन होता दिखता था। यद्यपि उस समय यह बात नहीं उठी, लेकिन जिस प्रकार अब्राहमी (यहूदी, इसाई एवं मुसलमान) धर्मोंमें गॉड द्वारा मनुष्यको बनाया गया बताया गया है, उसी प्रकार हिंदू धर्ममें ब्रह्मा द्वारा मनुष्यको बनाया गया बताया गया है। जैसे बाइबिलकी किताब जेनेसिस १.७ में कहा गया कि गॉडने मनुष्यको अपनी ही प्रतिमाके रूपमें बनाया। इसीके सामानांतर वायु पुराण ८.३७ में कहा गया कि ब्रह्माने हजार-हजार पुरुष और स्त्रीके जोड़ोंके चार समूह बनाये। बाइबिलमें कहा गया कि गॉडने धूल, राख अथवा कूड़ेसे पुन: जीवन्त मनुष्यको बनाया (जेनेसिस २.७)। इसीके समानांतर वायु पुराणमें कहां गया कि ब्रह्माने अंधकारसे राक्षसों, देवताओं, मनुष्य आदिको बनाया (९.६)। बाइबिलमें कहा गया कि गॉडने ईवको अदमकी हड्डियोंसे बनाया (जेनेसिस २.२१-२२)। इसीके समानान्तर वायु पुराणमें कहा गया कि ब्रह्मïने अपने शरीरको विभक्त कर स्वयंभू और उनकी पत्नी शतरूपाको बनाया (१०.७-८)। बाइबिलमें कहा गया कि गॉडने अदमको गार्डन ऑफ ईडन (अदनकी वाटिका) से निष्कासित किया और अदम खेती करने लगे। इसीके समानांतर वायु पुराणमें कहा गया कि किसी समय वृक्ष मरने लगे थे और मनुष्योंने इस विषयपर चिन्ता की और उसके बाद वृक्ष उनके घरमें पुन: उगने लगे (८.८३-९०)। अत: डार्विनने जिस प्रकार गॉड द्वारा मनुष्यके बनाये जानेका खंडन किया उसी प्रकार उन्होंने हिंदू धर्ममें भी ब्रह्मा द्वारा मनुष्यको बनाये जानेका खंडन किया भले ही हम इसका संज्ञान न ले।

मेरी समझसे डार्विनके विचारोंसे बाइबिल और वायु पुराणका खंडन नहीं होता है। विषय इस बातपर टिकता है कि गॉड अथवा ब्रह्माको हम किस प्रकार समझते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि किसी समय सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ब्लैक होलमें समाया हुआ था। फिर उसमें एक विस्फोट हुआ। उसके बाद क्रमसे हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि तत्व बने और उसके बाद धरती, सूर्य, आकाश, पानी, वनस्पतियां, पशु और मनुष्यकी उत्पत्ति हुई। प्रश्न उठता है कि जब सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ब्लैक होलमें था उस समय गॉड अथवा ब्रह्मा कहां थे। एक संभावना है कि उस समय गॉड, ब्रह्मा और ब्रह्माण्ड एकमय थे। उस एकमय गॉड-ब्रह्मा-ब्रह्माण्डने स्वयं ब्लैक होलमें अपने शरीरको प्रस्फुटित किया अथवा विभाजित किया और ब्लैक होलसे वे निकल पड़े जैसे कोई बंद कमरेसे एकदमसे बाहर निकल आये। हिंदू शास्त्रोंमें कहा गया कि किसी समय ब्रह्मïने सोचा कि मैं अकेला हूं और अनेक हो जाऊं। इस कथनका समन्वय गॉड-ब्रह्मा-ब्रह्माण्डके ब्लैक होलसे निकलनेमें पूर्णतय: हो जाता है। लेकिन इस समझके विपरीत हम माने कि गॉड-ब्रह्मा ब्लैक होलसे बाहर कहीं थे और उन्होंने ब्लैक होलको प्रस्फुटित किया जैसे उसमे रीजेंट दाल कर अथवा उसे छेनीसे मारकर तो प्रश्न उठता है कि जब ब्रह्माण्डमें ब्लैक होलको छोड़कर कुछ था ही नहीं तो गॉड-ब्रह्मा कहां थे। इसलिए यह विचार ज्यादा सही दिखता है कि गॉड-ब्रह्मा-ब्रह्माण्ड उस समय एकसार ही थे। इस विचारधाराको ‘मोनिस्ट’ कहा जाता है। इसके विपरीत बाहरी गॉडकी विचारधाराको ‘मोनोथीएस्ट’ कहा जाता है। अत: डार्विनने ‘मोनोथीएस्ट’ गॉडका खंडन किया, ‘मोनिस्ट’ गॉडका विचार डार्विनसे मेल खाता है।

फिलहाल हम ‘मोनिस्ट’ गॉडके विचारको माने तो डार्विन और विज्ञान आपसमें पूर्णत: मेल खाने हैं। तब डार्विनका कथन कि मनुष्य बन्दरसे बना है, को हम इस प्रकारसे समझ सकते हैं कि बन्दरकी अंतर्चेतनाने स्वयंका विकास किया और वह मनुष्य रूपमें आ गया अथवा वायु पुराणमें कहा गया कि ब्रह्माने अन्धकारमें अपने तामसिक शरीरको विभक्त कर स्वयंभू और शतरूपाको बनाया। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि हजार-हजार पुरुष और स्त्रीके जोड़ोंके चार समूह ब्रह्मा पहले ही बना चुके थे। लेकिन उन जोड़ोंने अपनी चेतनाको स्त्री और पुरुषके भौतिक एवं मानसिक कार्योंमें विभक्त नहीं किया था जैसे पशुओंमें नर और मादाके भौतिक एवं मानसिक कार्योंमें अन्तर नहीं होता है। अत: ब्रह्माने अपने शरीरको विभक्त कर स्वयंभू और शतरूपाको बनायाका अर्थ हो सकता है कि उन जोड़ोंने आपसमें स्त्री-पुरुषके कार्यों और चेतनामें अन्तर किया। इसी प्रकार जब बाइबिलमें कहा गया कि गॉडने पुरुषके शरीरसे हड्डी निकालकर उससे ईव बनाया तो हम इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि मनुष्यके अंतर्मनमें विद्यमान सर्वव्यापी चेतनाने उन मनुष्योंको प्रेरित किया कि वह स्त्री और पुरुषके भौतिक और मानसिक कार्योंमें विभाजन करें। वर्तमान समयमें बाइबिलके धर्मशास्त्रियोंका मानना है कि अदमकी हड्डीसे ईवको बनाये जानेका सही अर्थ स्त्री-पुरुषके बीच विवाहका शुरू होना है अथवा उनके बीच कार्यके विभाजनका शुरू होना है। पहले कोई भी स्त्री किसी भी पुरुषसे समागम करती थी। किसी समय यह व्यवस्था बनी कि एक स्त्री, एक पुरुषसे ही समागम करेगी। उनके बीच कार्यका विभाजन हुआ। यह विचारधारा डार्विनसे मेल खाती है। चाल्र्स डार्विनने हमारी संस्कृतिमें एक बहुत बड़ा पड़ाव लाया है जिसमें गॉड अथवा ब्रह्माको किसी बाहरी छेनीकी हथौड़ीकी शक्तिके स्थानपर अन्तर चेतनासे जोडऩेका काम किया है यद्यपि यह कार्य अब भी जारी है और हमें इस दिशामें और विचार करना चाहिए।