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अफगानिस्तान के आतंक पर भारत ने तोड़ी चुप्पी, UNSC की बैठक जारी


  • नई दिल्ली। तालिबान द्वारा 20 साल के युद्ध के बाद देश की सत्ता छीनने के बाद अफगानिस्तान में विकसित हो रहे हालात पर भारत ने अपनी चुप्पी तोड़ी। भारत ने कहा कि अगर तालिबान देश को आतंकवादी समूहों के लिए प्रजनन स्थल नहीं बनने देता तो अफगानिस्तान के पड़ोसी देश सुरक्षित महसूस करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, “अगर आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं किया जाता है, तो अफगानिस्तान के पड़ोसी सुरक्षित महसूस करेंगे।”
इन्होंने कहा कि हमने काबुल में हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बहुत दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य देखे हैं। महिलाएं और बच्चे संकट में हैं और गोलीबारी की घटनाएं हो रही हैं। तिरुमूर्ति ने यह बयान अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आपात बैठक में बोलते हुए दिया। विशेष रूप से, 200 से अधिक भारतीय अभी भी अफगानिस्तान के काबुल में फंसे हुए हैं, जो अब तालिबान के शासन में है।
काबुल में भारतीय दूतावास के अधिकारियों के साथ-साथ दूतावास में तैनात आईटीबीपी कर्मियों को भी निकाला जाना बाकी है। फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए भारतीय वायु सेना के C-17 ग्लोबमास्टर वाहक को कथित तौर पर स्टैंडबाय पर रखा गया है। हालांकि, तालिबान लड़ाके अब काबुल की सड़कों पर नियंत्रण कर रहे हैं, भारतीय अधिकारियों की चिंता दूतावास के कर्मचारियों को काबुल हवाई अड्डे तक ले जाने के संबंध में है।