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असमः कोरोना के चलते तीन महीनों के लिए प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन ULFA (I) ने किए सभी ऑपरेशन रद्द,


  • प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम- स्वतंत्र (उल्फा-आई) ने शनिवार को राज्य में मौजूदा कोरोनावायरस की स्थिति को देखते हुए तीन महीने के लिए एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की. उल्फा (आई) के कमांडर-इन-चीफ परेश बरुआ ने मीडिया को ई-मेल के जरिए यह जानकारी दी. बयान में कहा गया कि संघर्ष विराम तुरंत प्रभाव से लागू होगा और इस तीन महीने की अवधि के दौरान संगठन किसी भी ऑपरेशन से परहेज करेगा.

उसने कहा, “हमने अगले तीन महीनों के लिए सभी ऑपरेशनों को स्थगित करने का निर्णय लिया है क्योंकि लोगों को महामारी के कारण भारी कठिनाइयों और पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है.” कोरोना की दूसरी लहर के दौरान असम में कोरोना के तेजी से मामले बढ़े. अब तक राज्य में 3.15 लाख से अधिक लोग कोविड की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से 1984 संक्रमितों की मौत हो चुकी है. राज्य में इस समय कोरोना के 42144 मामले सक्रिय हैं.

परेश बरुआ ने शुक्रवार को तिंगराई में हुए ग्रेनेड विस्फोट में संगठन की संलिप्तता से इनकार किया है, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई और दो अन्य घायल हो गए. उसने आरोप लगाया, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में लोगों के सामने ऐसे मुश्किल समय में सुरक्षाबलों का एक वर्ग संगठन को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है.” तिनसुकिया जिले के डिगबोई थाना क्षेत्र के तिंगराई में शुक्रवार को हार्डवेयर की दुकान के सामने दो मोटरसाइकिल सवारों ने ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए.

परेश बरुआ से की सीएम ने शांति वार्ता की अपील

शपथ लेने के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा ने बरुआ से शांति वार्ता के लिए आगे आने की अपील की थी. दरअसल, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनसीजी) के तीन कर्मचारियों को 21 अप्रैल को शिवसागर जिले के लकवा से अगवा कर लिया गया था, यह स्थान नगालैंड सीमा के करीब है. हालांकि, तीन दिन बाद संदिग्ध उल्फा-आई उग्रवादियों ने दो कर्मचारियों को छोड़ दिया लेकिन रितुल अब भी उनके चंगुल में हैं. पुलिस ने 28 अप्रैल को दावा किया था कि रितुल अब भी उल्फा (आई) उग्रवादियों के चंगुल में है और वे नगालैंड के मोन जिले में छिपे हैं.