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असम चुनाव के नतीजों से पहले AIUDF के 17 नेता जयपुर में, टूट के डर से की गई बाड़ेबंदी


जयपुर. जयपुर की पांच सितारा होटल फेयरमांट फिर चर्चा में है. यह चर्चा दरअसल असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गठबंधन की पार्टी ऑल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फंट यानी एआईयूडीफ के 19 में से 17 प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी को लेकर हो रही है. असम में 126 सीटों पर चुनाव हुए. कांग्रेस ने 93 सीटों पर और एआईयूडीफ ने 19 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. मतदान हो चुका है. नतीजे 2 मई को आएंगे. नतीजों से 22 दिन पहले प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी को लेकर हर कोई हैरान है. अभी तय नहीं कि जिन प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी की गई, उनमें से चुनाव कितने जीत पाएंगे. कांग्रेस गठबंधन बीजेपी से आगे निकल पाएगा या नहीं. लेकिन इन सबसे पहले एआईयूडूीफ प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. असम के विधानसभा चुनाव में इस बार बदरुद्दीन अजममल तीसरे खिलाड़ी नजर आ रहे हैं. असम में बीजेपी की वापसी को रोकने के लिए कांग्रेस ने बदरुद्दीन अजमल से हाथ मिलाया. असम में मुस्लिम मतों पर बदरुद्दीन की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. कांग्रेस गठबंधन में सबसे अधिक जीत की संभवाना एआईयूडीफ और बोडोलेंड पीपुल्स फ्रंट के प्रत्याशियों की है. खुद कांग्रेस को अपने प्रत्य़ाशियों की जीत पर जितना भरोसा नहीं, उतना गठबंधन के दलों पर है. इसी वजह से कांग्रेस इन प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी में जुटी है. कांग्रेस को डर है कि अगर बीजेपी को असम में बहुमत नहीं मिला तो अजमल की पार्टी एआईयूडीफ और बीपीएफ के जीते विधायक टूट सकते हैं.
हेमंत बिस्व सरमा का डर

ग्रेस पार्टी की डर की वजह है बीजेपी नेता हेमंत बिस्व सरमा हैं. सरमा कभी कांग्रेसी थे. 2016 के चुनाव से पहले पाला बदल कर बीजेपी में आए और कांग्रेस असम की सत्ता से बाहर हो गई. इस बार भी हेमंत बिस्व सरमा की कोशिश की वजह से बीपीएफ का एक प्रत्य़ाशी चुनाव से पहले मैदान से हट गया और बीजेपी के साथ चला गया. कांग्रेस को डर है कि कहीं बीजेपी बहुमत से दूर रही तो महाजोत के विधायक न टूट जाएं.