Shiva-Parvati Ki Aarti : पंचांग के अनुसार इस बार शिव प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। प्रदोष का व्रत प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जबकि माह की शिवरात्रि का व्रत और पूजन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को करने का विधान है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 02 दिसंबर को एक साथ त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पड़ रही है। हालांकि चतुर्दशी तिथि का सूर्योदय 03 दिसंबर में होगा। लेकिन शिवरात्रि का पूजन रात्रि में होने के कारण इस माह की शिवरात्रि का पूजन 02 दिसंबर को ही किया जाएगा।
प्रदोष और शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने का विधान है। इस दिन रात्रि जागरण करने का विधान है। पूजन के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करनी चाहिए। मान्याता है कि ऐसा करने शिव-पार्वती सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद देते हैं तथा घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव…॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|