सम्पादकीय

आतंकी साजिश विफल


राजेश माहेश्वरी   

उत्तर प्रदेशमें सिलसिलेवार विस्फोटोंकी साजिशको १५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवससे पहले ही दो-तीन दिनोंके अंतरालमें, अमलीजामा पहनाया जाना था। लखनऊके बाद कानपुरसे संदिग्धोंका पकड़ा गया है। एसटीएफ राज्यके कई शहरोंमें छापेमारी कर पूरे तंत्रको तहस-नहस करनेमें जुटी है। अगले साल पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंडमें होने जा रहे विधानसभा चुनावसे पहले हिंसा फैलानेकी साजिशें सामने आ रही हैं। उत्तर प्रदेशमें अलकायदाके आतंकी पकड़े जानेके बाद अब पश्चिम बंगालमें बंगलादेशके आतंकवादी संघटनसे जुड़े तीन आतंकवादियोंको पकड़ा गया है। पिछले साल नवंबरमें दिल्लीको दहलानेकी बड़ी साजिश नाकाम हुई थी, जब दिल्ली पुलिसकी स्पेशल सेलने दो आतंकवादियोंको गिरफ्तार किया था। यह दोनों आतंकी, जैश-ए-मोहम्मदसे जुड़े थे। दोनों दिल्लीमें बड़ी साजिशको अंजाम देनेकी फिराकमें थे। कश्मीरमें सुरक्षाबलोंने आपरेशन ऑल आउट चला रखा है, जिससे बौखलाये आतंकी संघटन देशमें बड़ा धमाका करनेकी साजिशें बुन रहे हैं। देखा जाय तो कश्मीरमें जबसे सुरक्षाबलोंकी चौकसी और सख्ती बढ़ी है, तबसे देशके कई राज्योंमें आंतकी गतिविधियां बदले रूपमें सामने आने लगी हैं, जो बड़ी चिंताका विषय है।

पश्चिम बंगाल पुलिसकी एसटीएफको मुखबिरसे सूचना मिली थी कि हरिदेबपुर थानांतर्गत ईशान घोष रोडके ईशानगंज स्थित दो मकानोंमें तीन संदिग्ध किरायेसे रह रहे हैं। एसटीएफने छापा मारकर उन्हें पकड़ा। पकड़े गये आतंकवादियोंके नाम नजीउर रहमान, शब्बीर और रिजौल हैं। यह तीनों बंगलादेशके आतंकवादी संघटन जमात-उल-मुजाहिदीन बंगलादेशसे जुड़े हैं। इनके पाससे पुलिसने आगजनीके मकसदसे जमा करके रखे गये हथियार, बंगलादेशी पासपोर्ट और आतंकवादी संघटन जमात-उल-मुजाहिदीनके कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये हैं। इन लोगोंने यहां दो मकान किरायेपर ले रखे थे। इनमेंसे एक अपनी पहचान छिपाने फल बेचनेका काम कर रहा था। जबकि दो छतोंकी मरम्मतका काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रोंके मुताबिक यह आतंकवादी लंबे समयसे रह रहे थे। लेकिन इनके बारेमें पड़ोसियोंको कोई खास जानकारी नहीं थी। आशंका है कि यह किसी साजिशकी प्लानिंग कर रहे थे। लखनऊसे पकड़े गये आंतकियोंसे पूछताछमें जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक आंतकियोंके निशानेपर सभी बड़े धार्मिक नगर थे-प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या, आगरा, मेरठ और बरेली आदि। भाजपाके कुछ वरिष्ठï नेताओंको मारनेकी भी साजिश थी। दरअसल कुछ साल पहले लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद क्रमिक धमाकोंके दंश झेल चुके हैं। राजस्थानमें अजमेर, राजधानी दिल्लीके सरोजनी नगर बाजार, पहाडग़ंज और गोकुलपुरी बाजारमें भी सिलसिलेवार धमाके किये जा चुके हैं। महत्वपूर्ण और चिंतित सरोकार यह है कि जम्मू-कश्मीरसे आतंकवादने शिफ्ट होकर लखनऊ, कानपुरमें अड्डे खोल लिये हैं। उत्तर प्रदेशके अलावा, पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल और हरियाणा आदि राज्योंमें आतंकियोंके स्लीपर सेल पहलेसे ही सक्रिय हैं। पहले साजिशकार सिमी और इंडियन मुजाहिदीनके आतंकी थे, लेकिन अब नया विस्तार अलकायदा कर रहा है।

रिपेार्टके मुताबिक उत्तर प्रदेशमें भी अंसार गजवत-उल-हिंद आतंकवादी गतिविधियोंमें संलिप्त माना जा रहा है, जिसकी सक्रियता कश्मीरमें ज्यादा थी। यह अलकायदाका ही मॉड्यूल है। ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी सरीखे खूंखार दहशतगर्दोंके दौरमें ही भारतीय उपमहाद्वीपमें अलकायदाके आतंकी गिरोह स्थापित किये गये थे। ऐसे आतंकियोंकी संख्या सुरक्षा एजेंसियां १८०-२०० मानती रही हैं। आतंकियोंके तार एक तरफ पाकिस्तानकी खुफिया एजेंसी आईएसआईसे जुड़े हैं तो दूसरी ओर बगदादीका आईएसआईएस संघटन युवाओंके ब्रेन वॉश करके बरगला रहा है, नतीजतन असंख्य प्रयासोंके बावजूद आतंकवाद आज भी जिंदा है और मानवताके लिए क्रूर चुनौती बना है। फिलहाल लखनऊके काकोरी इलाकेकी साजिश तो बेनकाब हुई है। लखनऊमें जो विस्फोटक, असलहा, बम बनानेका सामान, प्रेशर कुकर आदि आतंकियोंसे बरामद किये गये हैं, उनसे कल्पना की जा सकती है कि विस्फोटक धमाके कितने घातक और जानलेवा साबित हो सकते थे! उत्तर प्रदेशके पुलिस अतिरिक्त महानिदेशक लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमारने खुलासा किया है कि आतंकियोंका सूत्रधार उमर हलमंडी था, जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डरपर पेशावर इलाकेमें मौजूद था और टेलीग्राम ऐपके जरिये आतंकियोंको निर्देश दे रहा था। दरअसल पाकिस्तान फाट्फकी ग्रे-सूचीके बाहर आ सके, लिहाजा आतंकियोंके मंसूबे बताये गये हैं कि आतंकवादके मोर्चेपर वह भारतको बदनाम करना चाहते हैं। बेशक नापाक साजिशको फिलहाल नाकाम करनेके लिए सुरक्षा एजेंसियों और बलोंकी पीठ थपथपानी चाहिए, लेकिन कुछ बेहद संवेदनशील सवाल भी मौजू हैं। सवाल यह भी है कि लखनऊ और कानपुरके इलाकोंमें संदिग्ध आतंकी लंबे वक्तसे सक्रिय थे, क्या स्थानीय पुलिसको भनकतक नहीं थी? बीते तीन-चार सालसे आतंकी गतिविधियां और साजिशें उन इलाकोंमें जारी थीं, क्या प्रशासन और पुलिसकी आंखें मुंदी हुई थीं?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि आतंकवादके यह संकेत हमारे लिए बेहद खतरनाक हैं। अभी तो उत्तर प्रदेश और कोलकातामें कुछ संदिग्ध आतंकी फरार हैं। वह देशके किसी भी हिस्सेमें जा सकते हैं। उनके पास विस्फोट कर आतंक फैलाने और लोगोंमें दहशत और अव्यवस्थाके हालात पैदा करनेके तमाम संसाधन मौजूद हैं। उन स्थितियोंको कैसे रोका जा सकता है? आतंकवादपर संयुक्त राष्टï्रने बीते साल एक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें चेताया गया था कि भारतीय उपमहाद्वीपमें अलकायदा और उसके सहयोगी संघटन आतंकी हमलेकी साजिशें रच रहे हैं। क्या इस साजिशको उसी संदर्भमें देखा जाना चाहिए? वहीं इस मसले पर जो राजनीति हो रही है, वह बंद होनी चाहिए। विपक्षको इस घटनाको विधानसभा चुनाव या राजनीतिक फायदेके लिए की जा रही कवायदके तौरपर प्रचारित करना ठीक नहीं है। असलमें यह राष्ट्रीय और आम जनमानसकी सुरक्षासे जुड़ा अहम मसला है। इसमें तुच्छ राजनीतिको शामिल नहीं करना चाहिए। आंतकी धर्म और जाति देखकर हमला नहीं करते हैं, यह जान लीजिए। उनका मकसद तबाही और दहशत मचाना होता है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंागलकी एसटीएफकी सर्तकताके चलते लखनऊ और कोलकातासे आंतकी पकड़े गये हैं, लेकिन अभी खतरा बरकरार है। सुरक्षा एजेंसियोंको और चौकन्ना होकर काम करनेकी जरूरत है।