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कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के लिए राहुल के इन्‍कार के बाद अशोक गहलोत क्यों हैं सबसे प्रबल दावेदार


नई दिल्ली। कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चल रहा सस्पेंस अब लगभग खत्म हो गया है। कांग्रेस कार्यसमिति 28 अगस्त को पार्टी अध्यक्ष के चुनाव कार्यक्रम के तारीखों का ऐलान करेगी। चुनावी तारीखों के लिए कार्यसमिति की बैठक बुलाने की घोषणा के साथ ही लगभग साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव पूर्व घोषित समयसीमा के अनुसार कराए जाने की तैयारी है। राहुल गांधी के दुबारा अध्यक्ष बनने से बार-बार किए जा रहे इन्कार के मद्देनजर पार्टी में गांधी परिवार से बाहर के कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी अब अध्यक्ष बनाए जाने के विकल्प पर विचार मंथन शुरू हो गया है।

इसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सबसे प्रबल वैकल्पिक दावेदार माने जा रहे हैं, जिन्हे पार्टी के मौजूदा शीर्ष नेतृत्व का भरोसा भी हासिल है। गहलोत के अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ, कुमारी सैलजा, मीरा कुमार और अंबिका सोनी जैसे नेताओं के नाम भी अन्य विकल्प के तौर पर उभर कर सामने आ रहे हैं।

28 अगस्त को कांग्रेस कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इलाज के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ विदेश रवाना हो गई हैं, मगर जाने से पहले पार्टी अध्यक्ष चुनाव के उहापोह को खत्म कर दिया। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को एलान किया कि 28 अगस्त को कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों को मंजूरी दी जाएगी। सोनिया गांधी विदेश प्रवास से ही बैठक की अध्यक्षता करेंगी।

इस ऐलान से स्पष्ट है कि जून 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद तीन साल से अधिक समय से टलते रहे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराकर पार्टी नेतृत्व की अपनी दुविधा के लंबे दौर का पटाक्षेप करेगी। संगठन चुनाव की घोषणा के दौरान 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने की बात कही थी और कमोबेश इसी अनुरूप् चुनाव कार्यक्रमों पर मुहर लगाएगी।

गांधी परिवार से बाहर नेतृत्व की पहली पसंद हैं गहलोत

पार्टी के उच्च सियासी हलकों से संकते मिल रहे हैं कि अशोक गहलोत, कमलनाथ, भूपेश बघेल से लेकर सिद्धारमैया जैसे दिग्गजों के प्रयासों के बावजूद राहुल अध्यक्ष बनने के लिए अभी तक तैयार नहीं हुए हैं। सेहत की चुनौतियों का सामना कर रहीं सोनिया गांधी पहले ही अगली पारी के लिए मना कर चुकी हैं। पार्टी के कुछ नेता ऐसे में प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम को आगे बढ़ाने के प्रयास में हैं मगर नेतृत्व ने परिवार से बाहर के विकल्प पर गौर करने का वरिष्ठ नेताओं को स्पष्ट इशारा कर दिया है। इसीलिए मौजूदा चुनौतीपूर्ण दौर में अशोक गहलोत को सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है।

सोनिया गांधी और अशोक गहलोत के साथ आधे घंटे की बैठक

चर्चा यह भी है कि विदेश रवाना होने से पूर्व मंगलवार को सोनिया गांधी ने गहलोत के साथ आधे घंटे की अपनी बैठक में अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव दिया। हालांकि गहलोत ने बुधवार को इस प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उनके पास राजस्थान के मुख्यमंत्री और गुजरात चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक की दो जिम्मेदारी है और वे गुजरात दौरे से पूर्व चर्चा के लिए केसी वेणुगोपाल के साथ मिलने गए थे।

गहलोत चाहे सोनिया गांधी के साथ बैठक को गुजरात की चर्चा तक सीमित बताएं, मगर पार्टी गलियारों में इस बात की सुगबुगाहट है कि गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाने की बढ़ती संभावनाओं के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री नेतृत्व की पहली पसंद हैं।

विकल्प के रूप में कमलनाथ, कुमारी सैलजा, मीरा कुमार और अंबिका सोनी के नाम भी चर्चा में

राजीव गांधी के काल से ही गांधी परिवार के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं और सोनिया और राहुल के भरोसेमंद नेताओं में उनकी गिनती रही है। कांग्रेस के मौजूदा संकट के दौर में नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवालों को थामने में भी गहलोत सबसे मुखर रहे हैं।

कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे जी 23 के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। राजनीति में सामाजिक समीकरण की कसौटी के लिहाज से भी ओबीसी समुदाय से जुड़े गहलोत पार्टी के लिए मुफीद हैं। हालांकि राजस्थान की सत्ता-सियासत को नहीं छोड़ने गहलोत का मोह अब भी खत्म नहीं हुआ है और इसीलिए अन्य वैकल्पिक चेहरों में कमलनाथ, कुमारी सैलजा, मीरा कुमार और अंबिका सोनी के नाम की चर्चाएं हैं।

खुल सकता है सचिन पायलट के भाग्य का पिटारा

वैसे कमलनाथ मध्यप्रदेश में अपने चार-पांच साल के राजनीतिक निवेश को इस मोड़ पर छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं। कुमारी सैलजा और मीरा कुमार महिला होने के साथ ही दलित वर्ग की नुमाइंदगी करती हैं और नेतृत्व की विश्वासपात्र भी हैं। अंबिका सोनी के नाम की चर्चा गांधी परिवार की सबसे करीबियों में होने के कारण है, लेकिन उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए मौजूदा चुनौतपूर्ण राजनीति के दौर में उन पर दांव लगाने का पार्टी जोखिम उठाएगी इसमें संदेह है। ऐसे में पार्टी की जरूरत, गांधी परिवार के भरोसे तथा अन्य तमाम सियासी कसौटियों पर अशोक गहलोत ही सबसे प्रबल दावेदार के रुप में उभर कर सामने आ रहे हैं।

गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान में सचिन पायलट के भाग्य का पिटारा भी खुल सकता है। वैसे गुजरात दौरे से लौटने के बाद दिल्ली में अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाओं से जुड़े पत्रकारों के सवाल पर गहलोत ने कहा कि ‘मीडिया में यह लंबे समय से चल रहा है। आप इसके बारे में बात करते रहते हैं। कोई नहीं जानता कि क्या फैसला होने वाला है।’ सोनिया गांधी की पेशकश को लेकर सवाल पर गहलोत ने कहा- ‘क्या एआईसीसी ने जानकारी दी है, किसी ने ऐसा नहीं किया है। मीडिया अटकलें लगाता रहता है। जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता, न तो आप और न ही मैं इस पर टिप्पणी कर सकते हैं।’ वैसे गहलोत के इस जवाब से भी साफ है कि वे अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं को खारिज नहीं कर रहे हैं।