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MP-MLA के खिलाफ मामले वापस लेने से पहले हाईकोर्ट की मंजूरी लें, SC का कड़ा रुख


  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने से पहले सरकारों को संबंधित उच्च न्यायालय की मंजूरी लेनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के मामलों को वापस लेने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन उच्च न्यायालय को ऐसे मामलों की जांच करनी चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, दुर्भावनापूर्ण अभियोजन होने पर हम मामलों को वापस लेने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उच्च न्यायालय में न्यायिक अधिकारी द्वारा इसकी जांच की जानी चाहिए, यदि उच्च न्यायालय सहमत होता है तो मामले वापस लिए जा सकते हैं,

जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों में तेजी लाने की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया को 2016 में अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका में एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र नियुक्त किया गया था, जिसमें मौजूदा पूर्व सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे में तेजी लाने के निर्देश की मांग की गई थी, हंसरिया ने शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट दायर की है, इस मामले में अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने सहयोगी के तौर पर उनकी मदद की है, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने न्याय मित्र को सूचित किया है कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित 510 मामले मेरठ क्षेत्र के पांच जिलों में 6,869 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए थे. इनमें से 175 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया, 165 मामलों में अंतिम रिपोर्ट पेश की गई 170 मामलों को हटा दिया गया.