पटना

कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं : सीएम


      • तेजी से स्पीडी ट्रायल चलता रहेगा तो राज्य में अपराध नियंत्रित रहेगा
      • नये शताब्दी भवन का निर्माण पुराने भवन के अनुरूप ही किया गया है, जिसकी लागत है 203.94 करोड़

(आज समाचार सेवा)

पटना। पटना हाईकोर्ट के शताब्दी भवन का आज भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने फीता काटकर और शिलापट्ट  अनावरण कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय के नवनिर्मित शताब्दी भवन परिसर में वृक्षारोपण भी किया।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सबसे पहले माननीय न्यायमूर्ति बोबडे जी और अन्य सभी माननीय न्यायाधीश के साथ ही आप सभी का स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि आज पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन का उद्घाटन हुआ है। यह गौरव का पल है। बसंत पंचमी के दिन ४ फरवरी, २०१४ को इसका शिलान्यास हुआ था। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मैं शिलान्यास और उद्घाटन दोनों कार्यक्रमों में शामिल हुआ। 203.94 करोड़ रुपये की लागत से इस शताब्दी भवन का निर्माण कराया गया है जो हाईकोर्ट के पुराने भवन के बगल में बनाया गया है।

विस्तारित भवन को पुराने भवन के अनुरूप ही बनाया गया है। शताब्दी भवन के दो खंड में 5 तल हैं। नये एवं पुराने भवन कनेक्टिंग ब्रिज से जुड़े हुए हैं। नये भवन का बुनियादी ढांचा बेहतर बनाया गया है। नये शताब्दी भवन की खासियत ये है कि इसमें 43 कोर्ट रूम, 57 चैम्बसै, लाइब्रेरी के साथ-साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित लॉन का निर्माण कराया गया है।

इसके अलावा हाईकोर्ट में बैठकों के लिए 6 कमिटी रूम एवं 90 व्यक्तियों के बैठने के लिए कॉन्फ्रेंस रूम का निर्माण कराया गया है। यहां १२९ गाडिय़ों की पार्किंग की भी व्यवस्था की गयी है। अधिवक्ताओं के बैठने के लिए १०.१७ करोड़ रुपये की लागत से एडवोकेट्स असोसियेशन भवन का भी निर्माण कराया गया है। कोरोना का दौर नहीं होता तो पिछले वर्ष ही शताब्दी भवन का उद्घाटन हो गया होता।

पटना हाईकोर्ट का पहले से ही ऐतिहासिक महत्व रहा है। पटना हाईकोर्ट की बिल्डिंग बिहार के लोगों को गौरवान्वित करती है। पटना हाईकोर्ट ने कई ऐतिहासिक फैसले भी दिये हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी एवं सच्चिदानंद सिन्हा जी पटना हाईकोर्ट से जुड़े रहे हैं। चंपारण सत्याग्रह में जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बिहार आये थे तो इन लोगों से उनकी मुलाकात हुई थी, जिसके बाद आजादी के आन्दोलन को गति मिली।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष २००६ में पटना हाईकोर्ट की ओर से एक मीटिंग में अपराध पर नियंत्रण और जल्द स्पीडी ट्रायल चलाने को लेकर चर्चा हुई थी। तेजी से सुनवाई होने के बाद बड़ी संख्या में अपराधियों को सजा मिली। सजा होने के कारण अपराध पर नियंत्रण हुआ, अपराध में कमी आयी। समाज में कुछ लोगों की गलत मानसिकता होती है। ज्यादातर लोग सही स्वभाव के होते हैं।

उन्होंने कहा कि कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें न्यायपालिका की भी अहम भूमिका है। न्यायपालिका किसी भी सही आदमी के साथ अन्याय नहीं होने देती। सभी के साथ न्याय करती है। गड़बड़ी करने वाले बच नहीं पाते हैं। तेजी से स्पीडी ट्रायल चलता रहेगा तो राज्य में अपराध नियंत्रित रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हर क्षेत्र में बेहतर काम किया है। सडक़ों के निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य, भवन निर्माण के क्षेत्र में काफी काम किये गये हैं। न्यायपालिका को लेकर हमारे पास जितने भी प्रस्ताव आते हैं, हम उसे स्वीकार करते हैं। हम आपको वचन देते हैं कि आपका आगे जो भी प्रस्ताव आयेगा उसे भी हम स्वीकार करेंगे। पिछले ५ वर्षों में २०३५ अधीनस्थ कर्मियों के पद सृजित किये गये हैं, इसके साथ ही सिविल जज के १०३३ पद भी सृजित किये गये हैं। आगे भी नियुक्ति से लेकर भवन निर्माण से संबंधित जो भी प्रस्ताव होंगे उस पर तेजी से काम करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका कानून का निर्माण करती है। कार्यपालिका उसे क्रियान्वयन कर अपनी जिम्मेदारी निभाती है। इसमें न्यायपालिका की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि बिहार में सम्राट अशोक कन्वेंशन केन्द्र का निर्माण कराया गया है। सम्राट अशोक कन्वेंशन केन्द्र में ज्ञान भवन, बाबू सभागार और सभ्यता द्वार का निर्माण कराया गया है। एफिल टावर के निर्माण में जितनी स्टील की मात्रा का उपयोग किया गया है, उससे ज्यादा मात्रा में इस भवन के निर्माण में स्टील का उपयोग किया गया है।

सरदार पटेल भवन भी देखने लायक है। ०९ रिएक्टर स्केल के भूकंप को भी सहने की यह क्षमता रखता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का बिहार म्यूजियम पटना में बना है। बिहार में इस तरह के कई आइकोनिक बिल्डिंग्स बनाये गये हैं। हम आप लोगों से अनुरोध करेंगे कि जब भी आप लोगों को मोका मिले इस भवनों को एक बार जाकर जरूर देखें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से आप सबों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक बार पुन: धन्यवाद देता हूं।

कार्यक्रम को केन्द्रीय मंत्री, विधि एवं न्याय श्री रविशंकर प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश  श्री नवीन सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश श्रीमती इंदिरा बनर्जी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री हेमंत गुप्ता, पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री संजय करोल, पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश श्री शिवाजी पांडेय ने भी सम्बोधित किया।

इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रविरंजन, पटना उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश, बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री श्री अशोक चौधरी, बिहार सरकार के विधि मंत्री श्री प्रमोद कुमार, महाधिवक्ता श्री ललित किशोर, बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा सहित सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशगण, पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशगण, वरीय अधिकारीगण, अधिवक्तागण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।