डा. जयंतीलाल भंडारी
कोरोना महामारीने अकल्पनीय मानवीय और आर्थिक आपदाएं निर्मित की हैं, लेकिन इन आपदाओंके बीच भारतने वैश्विक स्तरपर खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओंको पूरा करनेके मद्देनजर कृषि उत्पादोंके निर्यात बढ़ानेका अवसर मु_ियोंमें लिया है। इतना ही नहीं, भारत दुनियामें खाद्य पदार्थोंकी आपूर्ति हेतु एक सुसंगत और विश्वसनीय निर्यातक देशके रूपमें उभरकर सामने आया है। हालमें २१ अप्रैलको कृषि मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके मुताबिक पिछले वित्त वर्ष २०२०-२१ के अप्रैलसे फरवरीके ११ महीनोंके दौरान देशसे २.७४ लाख करोड़ रुपयेके कृषि उत्पादोंका निर्यात किया गया। यह सालभर पहलेकी इसी अवधिके २.३१ लाख करोड़ रुपयेकी तुलनामें १६.८८ फीसदी ज्यादा रहा है। यद्यपि इसी अवधिमें कृषि एवं संबंधित वस्तुओंका आयात भी तीन फीसदी बढ़कर १.४१ लाख करोड़ रुपयेपर पहुंच गया है। लेकिन इसके बावजूद भारतके पक्षमें कृषि व्यापार संतुलन बढ़कर १.३२ लाख करोड़ रुपयेपर पहुंच गया है। यदि हम कृषि निर्यातके आंकड़ोंको देखें तो चावल, गेहूं, मोटे अनाजके निर्यातमें अप्रैलसे फरवरी २०२१ की अवधिके दौरान तेज वृद्धि हुई है।
क्योंकि दुनियाके कई खाद्य निर्यातक देश कोरोना महामारीके व्यवधानके कारण चावल, गेहूं, मक्का और अन्य कृषि पदार्थोंका निर्यात करनेमें पिछड़ गये ऐसेमें भारतने इस अवसरका दोहन करके कृषि निर्यात बढ़ा लिया। भारतसे गेहूंके निर्यातमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी है। गेहूंका निर्यात सालभर पहलेके ४२५ करोड़ रुपयेसे बढ़कर ३२८३ करोड़ रुपयेके स्तरपर पहुंच गया। खास तौरसे अफगानिस्तानको ५० हजार टन और लेबनानको ४० हजार टन गेहूं निर्यात किया गया है। गैर-बासमती चावलका निर्यात १३०३० करोड़ रुपयेसे बढ़कर ३०२७७ करोड़ रुपयेपर पहुंच गया है। भारतने ब्राजील, चिली जैसे कई नये बाजारोंमें पकड़ बनायी है। खास बात यह भी है कि चीनने भी भारतसे बासमती चावल खरीदना शुरू किया है। खाद्यान्नके अलावा अन्य कृषि उत्पादोंके निर्यातमें भी डालर मूल्योंके आधारपर अच्छी वृद्धि हुई है। इनमें खास तौरसे प्रसंस्कृत सब्जियोंमें करीब ३६.५ प्रतिशत, मिल्क प्रोडक्ट्समें करीब ३४.३ प्रतिशत, प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओंमें करीब ३०.२ प्रतिशत, दलहनमें करीब २६.३ प्रतिशत, ताजा सब्जियों और बीजमें करीब १२.२ प्रतिशत तथा ताजे फलोंमें करीब ६.४ फीसदी वृद्धि उल्लेखनीय है। नि:संदेह कोरोनाके बीच दुनियाभरमें लाकडाउन और कोरोनाके प्रकोपको नियंत्रित करनेके लिए यात्रा प्रतिबंध लगाये जानेसे खाद्य पदार्थोंके वैश्विक खरीदारोंके साथ जुडऩा मुश्किल काम था। ऐसेमें कृषि निर्यात संबंधी विभिन्न चुनौतियोंसे निबटनेके लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरणने विशिष्ट वर्चुअल वैश्विक कृषि व्यापार मेलों और देशके कृषि पदार्थोंके निर्यातकोंके साथ वैश्विक खरीददारोंकी अलग-अलग इंटरेक्शन मीट आयोजित की।
इतना ही नहीं, एपीडाने कृषि निर्यातसे विभिन्न विभागोंके साथ निकट समन्वय स्थापित किया और निर्यातको बढ़ानेके लिए दिन-प्रतिदिनके आधारपर कृषि निर्यातकोंके साथ संपर्क बनाये रखा। इसके साथ केला, अंगूर, प्याज, आम, अनार, पुष्प आदिके लिए निर्यात संवर्धन मंचकी भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। उल्लेखनीय है कि कृषि पदार्थोंके निर्यात बढ़ानेमें भारतके कृषि, अनुसंधान और कृषि मानकोंकी वैश्विक मान्यताने भी अहम भूमिका निभाई है। भारतके पास खाद्यान्न, ताजे फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत उत्पाद आदिसे संबंधित करीब १३० भौगोलिक संकल्प हैं। ज्ञातव्य है कि भौगोलिक संकेत उत्पादकी विशेषताओंको दर्शाता है। देशसे कृषि निर्यात बढऩेके कई अन्य कारण भी दिखाई दे रहे हैं। सरकारने नयी कृषि निर्यात नीतिके तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यातको बढ़ावा दिया है। निर्यात किये जानेवाले कृषि जिंसोंके उत्पादन एवं घरेलू दाममें उतार-चढ़ावपर लगाम लगानेके लिए रणनीतिक कदम उठाये हैं। कृषि निर्यातकी प्रक्रियाके मध्य खराब होनेवाले सामान और कृषि पदार्थोंकी साफ-सफाईके मसलेपर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। साथ ही राज्योंकी कृषि निर्यातमें ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्समें सुधार और नये कृषि उत्पादोंके विकासमें शोध एवं विकास गतिविधियोंको प्रोत्साहन दिया है। पिछले वर्ष २०२० से शुरू हुई किसान ट्रेनोंने भी कृषि निर्यात बढ़ानेमें अहम भूमिका निभाई है। अब एक बार फिर कोरोनाकी दूसरी लहरके बीच देशसे कृषि निर्यात और अधिक बढ़ाये जानेकी चमकीली संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। एक ओर देशमें रिकॉर्ड कृषि उत्पादनका परिदृश्य दिखाई दे रहा है तो दूसरी ओर देशके कृषि निर्यात संबंधी कमियां दूर की जा रही हैं। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमरके मुताबिक फसल वर्ष २०२०-२१ के लिए मुख्य फसलोंके दूसरे अग्रिम अनुमानमें खाद्यान्नके उत्पादन रिकॉर्ड स्तरपर पहुंचते हुए ३०३.३४ मिलियन टन अनुमानित है।
चावलका उत्पादन १२०.३२ मिलियन गेहूंका उत्पादन १०९.२४ मिलियन टन, मोटे अनाजोंका उत्पादन ४९.३६ मिलियन टन, दलहन उत्पादन २४.४२ मिलियन टन तथा तिलहन उत्पादन ३७.३१ मिलियन टन अनुमानित हुआ है। नि:संदेह चालू वित्त वर्ष २०२१-२२ में कृषि निर्यातको रिकॉर्ड ऊंचाईपर पहुंचानेके लिए कई कृषि निर्यात अवरोध दूर किये जाने होंगे। उदाहरणके लिए पशुधनके मामलेमें आयात करनेवाले कई देश मांस और दूधसे बने उत्पादोंके लिए फूड एंड माउथ रोग मुक्त स्थितिकी शर्त लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ देशोंकी शर्त यह भी है कि निर्यात की जानेवाली उपज कीट मुक्त क्षेत्रोंसे होनी चाहिए। इन अवरोधोंको दूर करनेके लिए संबंधित देशोंके साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचोंके माध्यमसे वार्ताएं तेजीसे आगे बढ़ानी होगी। अब कृषि निर्यात बढ़ानेपर कई और बातोंपर भी ध्यान देना होगा। कृषि निर्यातकोंके हितोंके अनुरूप मानकोंमें उपयुक्त बदलाव किया करना होगा, ताकि कृषि निर्यातकोंको कार्यशील पूंजी आसानीसे प्राप्त हो सके। सरकारको अन्य देशोंकी मुद्राके उतार-चढ़ाव सीमा शुल्कमें मुश्किलें जैसे कई मुद्दोंपर भी ध्यान देना होगा। देशके चिह्नित फूड पार्कोंमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा, शोध सुविधाओं और परीक्षण प्रयोगशालाओंको मजबूत बनाना होगा। १५वें वित्त आयोग द्वारा गठित कृषि निर्यातपर उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूहने जो सिफारिशें सरकारको सौंपी हैं, उनका क्रियान्वयन भी लाभप्रद होगा। हम उम्मीद करें कि देशसे कृषि निर्यात बढऩेपर देशके कुल निर्यातमें वृद्धि होगी। इससे किसानोंकी आदमनी एवं ग्रामीण क्षेत्रकी समृद्धि बढऩेके साथ रोजगारके अवसरोंमें भी वृद्धि होगी।