Post Views: 637 डा. शंकर सुवन सिंह योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया हैं। योग शरीर, मन और आत्माको एक सूत्रमें बांधती है। योग जीवन जीनेकी कला है। योग दर्शन है। योग स्वके साथ अनुभूति है। योगसे स्वाभिमान और स्वतंत्रताका बोध होता है। योग मनुष्य एवं प्रकृतिके बीच सेतुका कार्य करती है। योग मानव जीवनमें परिपूर्ण सामंजस्यका […]
Post Views: 1,124 संयुक्त राष्ट्रकी पीड़ा कोरोना वैश्विक महामारीसे पूरी दुनिया आक्रान्त है। १८० से अधिक राष्ट्र इसकी चपेटमें हैं। इससे अर्थव्यवस्थाके साथ ही जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसका सामना करनेके लिए जो दौड़ चली उनमें विकसित राष्ट्र अपनी बढ़त बनानेकी दिशामें काफी सक्रिय रहे। अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओंने भी अपनी भागीदारी की लेकिन इन […]
Post Views: 674 हृदयनारायण दीक्षित भारतीय परंपराको अंधविश्वासी कहनेवाले लज्जित हैं। कथित प्रगतिशील श्रीराम, श्रीकृष्णको कल्पना बताते थे। वे हिन्दुत्वको साम्प्रदायिक कहते थे। राजनीतिक दलतंत्रका बड़ा हिस्सा भी हिन्दुत्वको साम्प्रदायिक बताता था। कथित प्रगतिशील देवोंकी निन्दा, देव आस्थासे जुड़े उत्सवोंका भी मजाक बनाते थे। लेकिन अचानक देशकी संपूर्ण राजनीतिमें हिन्दू हो जानेकी जल्दबाजी है। संप्रति […]