मऊ

घनघनाया कंट्रोल का फोन, ट्रेन में मचा खरमंडल…खर्राटे ले रही आरपीएफ एस्कोर्ट की नींद टूटी तो दुम दबाकर भागे अराजक तत्व


मऊ। एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगायी गयी आरपीएफ एस्कोर्ट की लापरवाही शनिवार को सामने आयी,जब एस्कोर्ट टीम ने केन्द्रीय कंट्रोल रूम का फोन नहीं उठाया।जब बनारस कंट्रोल रूम ने एस्कोर्ट टीम का फोन कई बार घनघनाया,तब जाकर एस्कोर्ट टीम की निद्रा टूटी और महकमे में खरमंडल मच गया।बताया जाता है कि ट्रेन नम्बर 15004 चौरी-चौरा एक्सप्रेस ट्रेन के बोगी संख्या एस4 में बीती रात 2.50बजे एक भाई-बहन सवार हुए।लेकिन उनकी बर्थ पर तीन अनाधिकृत शरारती तत्व पहले से ही बैठे हुए थे।जो अधिकृत यात्रियों के पहुंचने पर भी एक-दूसरे की ओर देख कर हंस रहे थे और सीट खाली नहीं कर रहे थे।सीट छोङने की बात पर कहा-सुनी पर उतर आये और सीट खाली नहीं कर रहे थे।जिसको लेकर काफी शोर-शराबा के बावजूद ट्रेन में तैनात आरपीएफ एस्कोर्ट टीम सोती रही।केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष को सूचना देने और वहां से फोन आने पर भी एस्कोर्ट टीम खर्राटे लेती रही।जिसकी नींद तब टूटी जब बनारस कंट्रोल रूम में तैनात मंजू ने लगातार कई बार फोन किया।उधर औङिहार चौकी के जवान भी लापरवाह बने रहे।लेकिन, बनारस कंट्रोल रूम की सक्रियता ने ऐसा खरमंडल किया कि मौके पर एस्कोर्ट टीम को पहुंचना पङा और उसके पहुंचते ही अनाधिकृत यात्रियों को उस कोच से दुम दबाकर भागना भी पङा।यही नहीं,भाई-बहन को सुरक्षित रेल सफर की गारंटी भी मिली और फोन से परिजनों से बात भी करायी गयी कि उनके पाल्य पूरी तरह से सुरक्षित हैं।इस प्रकार बनारस कंट्रोल रूम में तैनात मंजू की कर्तव्य परायणता ने न सिर्फ भाई-बहन में सुरक्षा का विश्वास भरा,बल्कि उनके परिजनों का भी दिल जीत लिया।जिसने फीड बैक में एक्सलेंट मेरिट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।रे प्रशासन को चाहिए कि मंजू जैसी कर्मचारी को शाबासी और लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कङी काररवाई करना सुनिश्चित करे।ताकि भविष्य में रेल यात्रियों की सुरक्षा के प्रति वे भी मंजू जैसा ही संवेदनशील रहें।