मऊ

घोसी में हारी सत्ता,जीती जनता… पूर्वांचल से बही विपक्षी एकता की बयार, सूबे की सियासत में मची हलचल,भाजपा का प्रयोग असफल: रिपोर्ट/ऋषिकेश पांडेय


  • घोसी से बही विपक्षी एकता की बयार
    सूबे की सियासत में मची हलचल,भाजपा का प्रयोग असफल
    मऊ। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर घोसी विधानसभा उपचुनाव परिणाम ने विपक्षी दलों को उत्साहित और सत्ता पक्ष को हतोत्साहित किया है। सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को ४२६७२मतों से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।इस उपचुनाव में कांग्रेस और बसपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। जिसका सीधा लाभ सपा उम्मीदवार को मिला। कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवार भी अगर मैदान में होते तो न सिर्फ जीत कर अंतर इतना नहीं होता बल्कि भाजपा उम्मीदवार की जीत की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता था।इस जीत से इंडिया गठबंधन को लोकसभा चुनाव में फायदा मिलने का संकेत साफ-साफ दिख रहा है। हालांकि वर्ष २०२२के चुनाव में भाजपा सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था और वे चुनाव जीत भी गये थे। लेकिन, फिर भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक सियासी चाल चलते हुए सपा विधायक दारा सिंह चौहान को भाजपा में शामिल किया और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवा कर फिर अपना उम्मीदवार बनाकर उपचुनाव में उतार दिया। हालांकि ऐसा करने से जहां पार्टी में भी सब कुछ ठीक -ठाक नहीं था और कार्यकर्ता भी विरोध पर उतर आये थे। वहीं अकारण उपचुनाव का बोझ लादने से जनता में भी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। इसके बावजूद सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद आदि से गठबंधन कर भाजपा ने जो प्रयोग किया। उसमें उसे असफलता ही हाथ लगी।इस उपचुनाव परिणाम ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और दल बदल में महारथ हासिल करने वाले दारा सिंह चौहान के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। बहरहाल,इस उपचुनाव परिणाम पर देशभर की निगाहें टिकी हुई थीं।इस प्रकार यह चुनाव परिणाम जो आगामी लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा था। भाजपा को आगामी रणनीति को लेकर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। जिससे सूबे की सियासत में हलचल मचने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।