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जानिए कौन है दीप मल्होत्रा, जिनके ठिकानों पर पंजाब भर में पड़ी है ईडी की रेड


जालंधर। दिल्ली शराब नीति की आंच पंजाब तक आ पहुंची है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने राज्य में कई स्थानों पर दबिश दी है। कार्रवाई के केंद्र में हैं बड़े शराब कारोबारी दीप मल्होत्रा हैं। दीप मल्होत्रा वर्ष 2012 में फरीदकोट से अकाली दल के विधायक रह चुके हैं। हालांकि बाद में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। दीप मल्होत्रा का नाम दिल्ली और पंजाब के बड़े शराब कारोबारियों में शुमार किया जाता है। दोनों राज्यों में शराब के बड़े कारोबार पर उनके ही ग्रुप का कब्जा है। 

हाल में दिल्ली की नई शराब नीति को उपराज्यपाल ने स्क्रैप कर दिया था। इसके बाद सामने आया था कि इसमें कई कारोबारियों और दलालों को लाभ पहुंचा है। इसे लेकर ईडी ने दिल्ली, हैदराबाद के अलावा देश के अन्य हिस्सों में छापामारी की थी। इसी क्रम में अब ईडी ने दीप मल्होत्रा से जुड़े लोगों और आफिसों पर छापामारी की है। फरीदकोट में दो स्थानों के अलावा लुधियाना और मानसा में छापामारी की जा रही है।

पता चला है कि दीप मल्होत्रा की उन दो फर्म में पार्टनरशिप थी, जिन्होंने दिल्ली में तीन समूहों के लिए शराब की दुकानें हासिल की हैं। दीप मल्होत्रा के पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा फरीदकोट के रहने वाले थे। पिछले चार दशक से इस परिवार का पंजाब में शराब कारोबार पर दबदबा है।

सुखबीर ने किया था दीप मल्होत्रा को आगे

सूत्रो के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रदेश में लाए गए शराब कारोबारी पौंटी चड्ढा का वर्चस्व तोड़ने के लिए सुखबीर बादल ने दीप मल्होत्रा को आगे किया था। वर्ष 2012 में सुखबीर बादल ने दीप मल्होत्रा को फरीदकोट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज व पूर्व मंत्री अवतार सिंह बराड़ को हराया था।

दिल्ली सरकार के करीबियों में गिने जाते हैं मल्होत्रा

दीप मल्होत्रा वर्षों से शराब कारोबार में हैं। उनका दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में शराब का कारोबार होने के साथ ही फाइव स्टार व सेवन स्टार होटल हैं। मध्यप्रदेश के रतलाम के पास भी उनकी शराब की फैक्ट्री है। मल्होत्रा को वर्तमान समय में दिल्ली सरकार के करीबियों में माना जा रहा है। चर्चा है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में दीप ने आप को चुनावी फंड भी दिया था। बताया जा रहा है कि दीप मल्होत्रा को फायदा दिलाने के लिए ही दिल्ली की आबकारी नीति में बदलाव किया गया।