सम्पादकीय

जीवनकी वास्तविकता


जग्गी वासुदेव

यदि कोई जीवनको ही नहीं समझता तो वह यह कैसे समझ सकता है कि मृत्यु क्या है। अभी तो जीवित हैं परन्तु यदि यह नहीं समझ पाते कि आप कहां हैं तो फिर उस बातको कैसे समझ पायंगे जो अभी होना बाकी है। मृत्यु जैसा कुछ भी नहीं है। यहां सिर्फ जीवन है। यदि आप जीवनको समझते हैं तो पता चलेगा कि आप जिसे मृत्यु कहते हैं, वह जीवनका बस एक और आयाम ही है। यदि मृत्युको जानने, समझनेकी कोशिश करेंगे तो बस कई तरहकी काल्पनिक कहानियां गढ़ लेंगे। आप मृत्युको समझ ही नहीं सकते क्योंकि आपके लिए यह अभी हुई ही नहीं है। यदि आप मृत्युको जानना चाहते हैं तो आप इसे बस अनुभव करके ही जान सकेंगे। यदि आप जीवनको इसकी पूर्णतामें जानते हो तो इसमें मृत्यु शामिल है और इसे जाननेका बस यही एक तरीका है। हमारे लिए यह कहना कि कोई व्यक्ति जीवित है और कोई व्यक्ति मर गया है, यह बस सामाजिक रूपसे ही कोई मतलब रखता है। इसका अस्तित्वकी दृष्टिसे कोई मतलब नहीं है। सामाजिक रूपसे हम स्पष्टतासे कह सकते हैं कि कोई व्यक्ति जीवित है या मर गया है। परन्तु अस्तित्वकी दृष्टिसे आप नहीं कह सकते कि कौन जीवित है और कौन मर गया है। आप नहीं जानते कि आप जागे हुए हैं या सपना देख रहे हैं। अस्तित्वकी दृष्टिसे यही सच है। यदि हम अस्तित्वकी दृष्टिसे जानना चाहते हैं कि क्या वास्तविक है और क्या अवास्तविक है तो हमें जीवनकी ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जीवन तो अभी है ही और हमारे पास यही एक दरवाजा है जिससे होकर जाननेका मार्ग मिलता है। आप वास्तविकताके बारेमें जो भी जानना चाहते हैं तो उसके लिए जो भी दरवाजा है। यह ऐसा है कि आप इसमें बस इसी पलसे प्रवेश कर सकते हैं। जीवन बस यहीं है। जो यहां अभी है आप सिर्फ उसतक ही अपनी पहुंच बना सकते हैं। जो यहां नहीं है, वह बस एक कल्पना है। यदि आप किसी ऐसी चीजके पीछे जानेकी कोशिश करते हैं, जो अभी नहीं है तो आप बस उल्टी सीधी कल्पनाएं ही करेंगे। परन्तु यदि आप उसकी तरफ ध्यान देते हैं जो अभी यहां है तो जो भी जानने योग्य है, उसे आप अभी समझ सकेंगे। कहनेका तात्पर्य यह है कि अपना ध्यान सदा वर्तमानपर केंद्रित करो न कि अतीत और भविष्यके बीच डुलायमान रहो। बदलाव ही जीवन है और प्रकृतिका नियम भी। जिसे हम चाहकर भी नकार नहीं सकते। व्यर्थके सवालोंमें उलझनेके बजाय अपने जीवनको एक उचित दिशामें ले जायं। पुरुषार्थको ही अपना ध्येय बनाकर प्रगतिके पथपर अग्रसर हो जायं।