शशांक द्विवेदी
आशंका जतायी जा रही है कि भारत किसी जैविक युद्धका शिकार तो नहीं हुआ है जिसने अचानक चिकित्सा तंत्रको ध्वस्त करके इतनी बड़ी तबाही मचा दी हो। कोरोना वायरस कैसे और कहांसे आया इसको लेकर कई बातें पिछले एक सालसे की जा रहीं हैं लेकिन हालमें ही इससे जुड़े कुछ चौकानेवाले तथ्य सामने आये हैं कि इस वायरसको चीनने अपनी लैबमें तैयार किया है। चीन कोरोना वायरसके माध्यमसे कई देशोंके खिलाफ एक जैविक युद्ध लड़ रहा है। चीनके वैज्ञानिकोंने कोरोना महामारीसे पांच साल पहले कथित तौरपर कोरोना वायरसको हथियारके तौरपर इस्तेमाल करनेके बारेमें जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारसे लडऩेका पूर्वानुमान लगाया था। अमेरिकी विदेश विभागको प्राप्त हुए दस्तावेजोंके हवालेसे मीडिया रिपोर्टोंमें यह दावा किया गया है। ब्रिटेनके द सन अखबारने ‘द ऑस्ट्रेलियनÓ की तरफसे सबसे पहले जारी रिपोर्टके हवालेसे कहा कि अमेरिकी विदेश विभागके हाथ लगे विस्फोटक दस्तावेज कथित तौरपर दर्शाते हैं कि चीनकी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे। अमेरिकी अधिकारियोंको मिले दस्तावेज कथित तौरपर वर्ष २०१५ में उन सैन्य वैज्ञानिकों और वरिष्ठ चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गये थे जो कि कोरोनाकी उत्पत्तिके संबंधमें जांच कर रहे थे। चीनी वैज्ञानिकोंने सार्स कोरोना वायरसका जैविक हथियारके नये युगके तौरपर उल्लेख किया था, कोरोना जिसका एक उदाहरण है। पीएलएके दस्तावेजोंमें दर्शाया गया कि जैव हथियार हमलेसे दुश्मनके चिकित्सा तंत्रको ध्वस्त किया जा सकता है। दस्तावेजोंमें अमेरिकी वायुसेनाके कर्नल माइकल जेके कार्योंका भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बातकी आशंका जतायी थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारोंसे लड़ा जा सकता है। दस्तावेजोंमें इस बातका भी उल्लेख है कि चीनमें वर्ष २००३ में फैला सार्स एक मानवनिर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आंतकियोंने जानबूझकर फैलाया हो। सांसद टॉम टगेनधट और आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसनने कहा कि इन दस्तावेजोंने कोरोनाकी उत्पत्तिके बारेमें चीनकी पारदर्शिताको लेकर चिंता पैदा कर दी है। हालांकि बीजिंगमें सरकारी ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्रने चीनकी छवि खराब करनेके लिए इस लेखको प्रकाशित करनेको लेकर दी आस्ट्रेलियनकी आलोचना की है।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्टके अनुसार चीनने कोरोना वायरसको जैविक हथियारके रूपमें इस्तेमाल किया है। ताकि दुश्मन देशोंकी अर्थव्यवस्था और चिकित्सा तंत्रको ध्वस्त कर सके। चीन, अमेरिकाके साथ ट्रेड वॉर और हांगकांग आन्दोलनको काबूमें करना चाहता था इसके लिए डोनाल्ड ट्रम्पको रास्तेसे हटाना जरुरी था ऐसेमें कोरोनाकी पहली और दूसरी लहरने अमेरिकामें बड़ी तबाही मचायी, इसी वजहसे ट्रम्प राष्ट्रपतिका चुनाव भी हार गये। वास्तवमें डोनाल्ड ट्रम्प चीनकी तेज रफ्तारमें कांटा बनकर खड़े थे। जबकि इधर एशियामें भारत मोदीके नेतृत्वमें अंतराष्ट्रीय पटलपर तेजीसे उभर रहा था। मोदी सरकारके पहले कार्यकालमें भारतीय सेनाने २०१५ में म्यांमारकी सीमामें घुसकर आतंकियोंको मार गिराया था, जो चीन द्वारा पाले-पोसेे जाते थे। उसके बाद २०१६ और २०१९ में पाकिस्तानमें सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक, पिछले साल गलवान घाटीसे अपने इरादे साफ जता दिये थे कि अब यह नया भारत है। हालमें चीनके साथ गलवान घाटीमें सैन्य संघर्षके बाद दोनों देशोंके बीच स्तिथियां तनावपूर्ण हो गयी थी। इसके कुछ महीने बाद ही भारतमें कोरोनाकी दूसरी लहर आयी जिसने पूरे चिकित्सा तंत्रको लगभग ध्वस्त कर दिया। इस लहरमें कोरोनाने पूरे देशमें बड़ी तबाही मचायी ऐसेमें चीनपर शक गहराता जा रहा है कि कही भारत जैविक युद्धका शिकार तो नहीं हुआ। हालिया वैश्विक रिपोर्ट इस बातकी पुष्टि भी कर रहें है। अमेरिकासे बदला, भारत और मोदी सरकारकी तेज रफ्तारको रोकनेके लिए चीनने जैविक अस्त्र चाइनीज वायरसको पहले वुहानमें ड्रामैटिक शेप दिया। जब पूरी दुनिया चीनके इस खतनाक मंसूबेसे अनजान ५जी, अन्य तकनीकी पहलुओं और आतंकवादपर ध्यान केंद्रित किये हुई थी, तब चीन अपने सार्स जैविक हथियारको पैनापन एवं अपडेशन दे रहा था। चीनने चाइनीज वायरसका केंद्र बिंदु वुहानमें ही रखा। जहां दुनियाभरके लोग काम करते हैं। बाकी चीनके अन्य शहरोंमें इसका असर नहीं पहुंचा। लेकिन चाइनीज वायरस वुहानसे अन्य देशोंमें छोड़ा गया और देखते ही देखते तबाही मचा कर रख दी। क्योंकि जब वुहानमें हालात बिगडऩे लगे या कहें बिगाड़े तो दूसरे देशोंके लोग अपने देशको भागनेपर मजबूर हो गये। भारत और अमेरिकाने अपने नागरिकोंको एयर लिफ्ट किया। इसके साथ चाइनीज वायरस भी एयर लिफ्ट हुआ और लोगोंकी आम जिन्दगीमें घुल-मिलकर जिन्दगियां बर्बाद करना शुरू कर दिया।
अंतत: ब्राजीलने भी चीनपर आरोप लगाकर अमेरिकाके पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पके दावोंपर मुहर लगा ही दी कि यह महामारी प्राकृतिक नहीं, बायोलॉजिकल वार फेयर है। कोविडकी पहली लहरमें ही जापानके नोबेल प्राइज विजेता वायरोलॉजिस्टने भी कहा था यह मानव निर्मित वायरस है। २०१९ तक लगातार तीन वर्षसे चीन की जीडीपी नीचे गिर रही थी, लेकिन कोरोना महामारी आनेके बाद चीनकी जीडीपीमें तेजीसे उछाल आया और अब तक उसमें ७० प्रतिशतवृद्धि हो चुकी है, जबकि पूरे विश्वकी अर्थव्यवस्थाका बहुत बड़ा भाग चीनी वायरससे लडऩेमें व्यय हो रहा है। एक रिपोर्टके अनुसार चीनमें प्री-पैंडेमिक वैक्सीनका रिसर्च चल रहा था, इसी क्रममें कुछ अनपेक्षित हुआ और वायरस चीनके वुहानमें ही फैल गया। इटली चीनी भाइ-भाईके चक्करमें इटलीमें भी कोरोनाने बड़ी तबाही मचायी। अमेरिकाने पहली लहरको हल्केमें लिया और चीनकी योजना बिना किसी परिश्रमके सफल हो गयी, अमेरिका जैसा देश रुक गया और अपने लाखों नागरिकोंकी मृत्युका साक्षी बना। दूसरी ओर इसके फैलनेके तुरंत बाद चीनकी वैक्सीन बाजारमें आ गयी, पूरा विश्व हैरान रह गया कि अभी तो वायरसका विश्लेषण भी आरम्भ नहीं हुआ था, वैज्ञानिक वैक्सीनपर रिसर्च ही कर रहे थे और चीनने वैक्सीन बेचना भी शुरू कर दिया। चीनने सबसे पहले वुहानमें लॉकडाउन लगाया था तो अमेरिका हैरान था कि चीनको यह कैसे पता कि लॉकडाउन लगानेसे कोरोना खत्म हो सकता है। उसी लॉकडाउनमें चीनने अपने सभी नागरिकोंको वैक्सीन लगा दी थी और कुछ ही महीनोंमें पूरे चीनमें वैक्सिनेशनका कार्य पूर्ण हो गया। चीनने अपने लोगोंमें पहले ही टीका लगाकर बचाव भी कर लिया और दुनियाभरमें अपना सामान भी बेच लिया। वुहानसे शुरू होनेवाला चाइनीज वायरस दुनियाके अन्य देशोंमें अभीतक काल बना हुआ है। थमनेका नाम नहीं ले रहा है। जबकि चीनने मात्र छहसे आठ महीनेमें ही इस वायरससे छुटकारा पा लिया। जिन्दगीको पहलेकी तरह पटरीपर आ गयी। भारतमें दूसरी वेबने तबाही मचा दी, जो २०२० की पहली वेब न कर पायी थी। यकीनन चीन चाइनीज वायरसको बराबर अपडेट कर रहा है और अपने दुश्मन देशोंको हेल्थ सिस्टममें उलझाकर रखना चाहता है। इससे देशोंकी रफ्तार कछुये जैसी हो चली है। इसने अर्थव्यवस्था और हेल्थ सिस्टमको बेबस कर दिया है। भारतमें दूसरी वेबके माहौलमें चीन बगुला भगत बनकर मददकी पेशकश कर रहा है। जबकि इस समस्याकी असली जड़ चीन ही है। जैविक अस्त्रका प्रयोग करके, चीनने गुरिल्ला वॉरकी शुरुआत कर दी है। कल कोई दूसरा देश ऐसा करेगा। ऐसेमें अब पूरी विश्व बिरादरीको चीनके विरुद्ध एकजुट होना होगा साथ ही भविष्यमें जैविक हथियारों या जैविक युद्धसे निबटनेके लिए भी बड़ी तैयारी करनी होगी।