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झारखंड में लागू होगा 1932 का खतियान, सीएम हेमंत सोरेन बढ़ा रहे कदम


रांची, Jharkhand 1932 Khatian राजनीति में मुर्दे गाड़े नहीं जाते, उन्हें जिंदा रखा जाता है ताकि टाइम आने पर वो बोल सकें। मशहूर फिल्मकार प्रकाश झा अगर अपनी फिल्म राजनीति का दूसरा पार्ट बनाएं तो मुर्दे की जगह मुद्दे को भी फिट कर सकते हैं, क्योंकि राजनीति में मुद्दे भी जिंदा रखे जाते हैं। झारखंड में सरकार की स्थिरता को लेकर असमंजस के दौर में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कुछ इसी ढ़र्रे पर है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने को लेकर कानूनी पेच की तरफ इंगित किया था।

1932 खतियान पर अब आगे बढ़ेंगे हेमंत सोरेन

उस वक्त यह लगा था कि अब यह पुराना राग समाप्त हो जाएगा, लेकिन बीते पांच सितंबर को विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान उन्होंने एक बार फिर इस मुद्दे को उभारकर सतह पर ला दिया है। इसके जरिए वे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान स्थानीयता के लिए लागू वर्ष 1985 के कट आफ डेट का राजनीतिक मैदान में 1932 के खतियान का मुद्दा सतह पर लाकर मुकाबला करना चाहते हैं। हेमंत सोरेन ने कहा कि आने वाले दिनों में सरकार 1932 को स्थानीयता का आधार बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

कैबिनेट में लिया जाएगा निर्णय : जगरनाथ महतो

इससे पहले गिरिडीह से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू इस मांग को रखते हुए कहा था कि कुछ जिलों की जनसांख्यिकी बदल रही है। धनबाद और बोकारो में ऐसा लगता है कि छपरा और सिवान में आ गए हों। हेमंत सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा है कि इस संबंध में जल्द ही कैबिनेट में निर्णय किया जाएगा।

मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए झामुमो की बड़ी चाल

उधर भाजपा ने इसे राज्य के ज्वलंत मुद्दों से आमजन का ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने कहा कि सरकार की विफलता हर मोर्चे पर दिख रही है। सरकार को अपने विधायकों पर विश्वास नहीं है, तभी उन्हें छत्तीसगढ़ ले जाकर रखा जाता है। संवैधानिक प्रविधानों को दरकिनार कर सरकार विश्वास प्रस्ताव सदन में लाती है।

जिसका 1932 के खतियान में नाम वहीं झारखंडी

झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने कहा है कि असली झारखंडी वही है जिसका 1932 के खतियान में नाम है। अपने विधानसभा क्षेत्र नाला के कुंडहित में सोमवार को सड़क शिलान्यास समारोह में उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार अब झारखंडियों को पहचान देगी और वह 1932 के खतियान के आधार पर होगा।

झामुमो के भीतर भी इसे लागू करने के लिए दबाव

1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के भीतर भी काफी दबाव है। मोर्चा के एक वरिष्ठ विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने इसे लेकर आक्रामक तेवर अख्तियार कर रखा है। वे इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खिंचाई से भी बाज नहीं आते। हेम्ब्रम के मुताबिक सरकार 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति व नियोजन नीति नहीं बना रही है। सरकार को सत्ता जाने का डर सता रहा है। विधायकों को बचाने के लिए रायपुर ले जाया गया। वे रायपुर नहीं गए, क्योंकि उन्हें राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों की चिंता है।