देशमें कोरोनाके नये मामलों और मृतकोंकी संख्यामें निरन्तर गिरावटकी प्रवृत्ति बनी हुई और ऐसा प्रतीत होता है कि दूसरी लहर अन्तिम दौरमें है। मंगलवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें ३४ हजार ७०३ नये मामले आये और ५५३ मरीजोंकी मृत्यु हुई जबकि ५१ हजार ८६४ मरीज स्वस्थ हुए। इसके बावजूद १६ राज्योंके ७७ जिलोंकी स्थिति अब भी चिनताजनक बनी हुई है। इन राज्योंमें अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, केरल, मणिपुर, त्रिपुरा, नगालैण्ड, सिक्किम, ओडिशा, असम, आंध्रप्रदेश, हिमाचल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, लक्षद्वीप, पुडुचेरी शामिल हैं। यहां टेस्ट पाजिटिविटी दर दस प्रतिशतसे अधिक है। उत्तरपूर्वके सात राज्योंकी स्थिति अधिक खराब है। यहांके ४८ जिलोंके हालात चिन्ताजनक है। १६ राज्योंके ७७ जिलोंमें सख्त कदम उठानेकी जरूरत है। एक दूसरी चिन्ता तीसरी लहरको लेकर है। वैज्ञानिक अभी एक मत नहीं हुए हैं कि तीसरी लहर कब आयगी और इसका स्वरूप कैसा होगा लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ताजा शोध रिपोर्टमें अनुमान व्यक्त किया गया है कि अगस्तमें तीसरी लहर आ सकती है और सितम्बरमें यह चरमपर पहुंच सकता है। अगस्तके मध्यमें मरीजोंकी संख्यामें दोबारा वृद्धि शुरू हो सकती है। वैश्विक आंकड़ोंके आधारपर यह भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर दूसरी लहरसे अधिक खतरनाक हो सकती है। तीसरी लहरका सामना करनेके लिए केन्द्र और राज्य सरकारोंने काफी तैयारी की है जिससे कि दूसरी लहरके दौरान उत्पन्न भयावह स्थितिकी पुनरावृत्ति नहीं हो सके। इन उपायोंमें टीकाकरणको प्रमुख माना जा रहा है। इसके लिए २१ जूनसे नयी नीति लागू की गयी है, जिससे कि अधिकसे अधिक लोगोंको टीके लगाये जा सकें। प्रारम्भमें टीकाकरणमें तेजी अवश्य आयी लेकिन अब इसकी गति कमजोर पड़ गयी है। अनेक टीका केन्द्रोंपर पर्याप्त मात्रामें टीके उपलब्ध नहीं हैं। वैज्ञानिकोंका मानना है कि तीसरी लहरको रोकनेके लिए प्रतिदिन ८६ से ८७ लाख लोगोंका टीकाकरण आवश्यक है। देशमें इस वर्ष दिसम्बरतक १३० करोड़से अधिक आबादीके कमसे कम ६० प्रतिशतको टीकेकी दोनों खुराक लगानेकी जरूरत है। भारतमें अबतक ३५ करोड़ २८ लाख लोगोंको टीके लगाये जा चुके हैं। ऐसी स्थितिमें टीकाकरणके लिए युद्ध स्तरपर कार्य करनेकी आवश्यकता है। साथ ही आम जनताको भी कोरोना प्रोटोकालका कड़ाईसे पालन करना होगा।
संकटमें अफगानिस्तान
अफगानिस्तानमें लगातार बिगड़ते हालातके बीच तालिबानका कंधार एवं अन्य प्रान्तोंके तीन और जिलोंपर कब्जा उसकी बढ़ती ताकत और दिनों-दिन अफगानिस्तानपर मजबूत होती पकड़का संकेत है। पिछले २४ घण्टेमें कंधारके महत्वपूर्ण जिले पंजवेई और यवानपर कब्जा कर आतंकियोंने पूरे राज्यको अपने कब्जेमें लेनेकी मंशा साफ कर दी है। कंधारके किसी जिलेपर कब्जा तालिबानकी बड़ी जीत है, क्योंकि इसी प्रान्तसे तालिबानका अभ्युदय माना जाता है, जहां उसने १९९६ से लेकर २०२१ तक राज किया। इस जीतके बाद तालिबानी लड़ाकोंका हौसला बुलन्द है। यहां बीस सालतक चले युद्धके बाद अमेरिकी सैनिकोंकी वापसीके साथ आतंकी संघटन तालिबानका खौफ बढ़ गया है। लगातार मिल रही सफलतासे एक ओर जहां आतंकियोंके हौसले बुलन्दीपर है वहीं दूसरी ओर अफगान सैनिकोंके हौसले पस्त होते दिख रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण रविवारको यवानमें कब्जेके दौरान १५० अफगान सैनिकोंका आत्मसमर्पणके बाद तालिबान आतंकवादियोंके साथ शामिल होना है। अफगान सरकारके अधिकारी भी इस बातको स्वीकार कर रहे हैं कि अफगान सैनिक आतंकियोंको देखकर युद्ध क्षेत्रसे भाग रहे हैं। यह बेहद चिन्ताजनक स्थिति है। इससे बड़ी चिन्ता अफगान सैनिकोंका आतंकी संघटनमें शामिल होना है, क्योंकि इससे सेनाकी गुप्त जानकारियां और रणनीति आतंकियोंतक पहुंचनेकी प्रबल आशंका है। तेजीसे बदलते हालातसे अफगानिस्तानमें संकट गहराता जा रहा है। तालिबानने दावा किया है कि देशके चार सौ जिलोंमेंसे एक सौ जिलोंपर उसने कब्जा कर लिया है। हालांकि सरकारने तालिबानके इस दावेका खण्डन किया है, लेकिन यदि यह सत्य है तो स्थितिकी गम्भीरताको आसानीसे समझा जा सकता है। वैसे मौजूदा हालात चाहे जो भी हों, लेकिन यह आतंकी संघटन पांव पसार रहा है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी बढ़ती ताकत और सक्रियता पूरे विश्व समुदायके लिए खतरनाक है। इसपर अंकुश लगानेकी जरूरत है। शान्तिके पक्षधर राष्टï्रोंका दायित्व है कि इसके विरुद्ध एकजुट खड़े हों। भारतको विशेष सतर्क रहनेकी जरूरत है।