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टैगोरका विजन आत्मनिर्भर भारतका भी सार


विश्व भारती यूनिवर्सिटीके शताब्दी समारोह को पीएम ने किया संबोधित
नयी दिल्ली (आससे)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की दृष्टि ही आत्मनिर्भर भारत के विचार का सार है। उन्होंने कहा है कि विश्व कल्याण का रास्ता आत्मनिर्भर भारत के विचार से ही गुजरता है। आज शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूदेव चाहते थे कि भारत में जो कुछ भी श्रेष्ठ है उसका पूरी दुनिया को लाभ मिले और उसी तरह बाकी दुनिया की श्रेष्ठ बातों का भारत को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि देश विश्वभारती का संदेश पूरी दुनिया में फैला रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वभारती ने हमें प्रकृति के साथ रहना सिखाया है। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जो पेरिस समझौते के तहत निर्धारित पर्यावरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में भी दुनिया में अग्रणी है। प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल की भक्ति परंपरा का उल्लेख करते हुये वहां के स्वतंत्रता सेनानियों का भी स्मरण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि वे स्थानीय हस्तशिल्प
वस्तुओं का सोशल मीडिया के जरिये प्रचार करें और वोकल फॉर लोकल अभियान को मजबूत बनायें। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण का समापन टैगोर की कविता ओरे गृहोबाशी खोल द्वार खोल से करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे नई संभावनाओं का द्वार खोलें और गुरूदेव के विचारों और दर्शन का प्रचार करें। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले दो महीने में पांच विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों में देश के युवा विद्यार्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रू-ब-रू हो रहे है। बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के समारोह को संबोधित किया था। इससे पहले 19 अक्टूबर को उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था और 12 नवम्बर को जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण समारोह को संबोधित किया था। 21 नवम्बर को प्रधानमंत्री ने गांधी नगर दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी और 25 नवम्बर को लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में भाग लिया था। बता दें कि 1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित, विश्वभारती को 1951 में संसद के अधिनियम द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था।