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ताइवान के समीप चीन का सैन्‍य अभ्‍यास कहीं चेहरा बचाने की कोशिश तो नहीं


बीजिंग,। ताइवान को लेकर चीन की बढ़ती आक्रामकता ने दुनिया के सामने चिंता पैदा करने का काम किया है। हाल‍िया तनाव से यूक्रेन की तरह एक नए संकट की आशंकाएं पैदा हो गई हैं। हालांकि सुरक्षा मामलों के जानकार इसे चीन की चेहरा बचाने वाली कोशिश करार दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा को रोक नहीं पाए इस वजह से आवाम के सामने वह खुद को मजबूत साबित करने में लगे हुए हैं। इसी कवायद के तहत उन्होंने सेना को अधिक आक्रामक कदम के साथ सैन्‍य अभ्‍यास करने का आदेश दिया।

इस सैन्‍य अभ्‍यास से क्‍या हुआ हासिल

समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के सैन्य योजनाकार लंबे समय से ताइवान की नाकाबंदी पर मंथन करते रहे हैं। हालांकि अब तक इससे परहेज ही किया गया है। इसकी वजह यह है कि इस तरह के कदम को बेहद उकसावे वाली कार्रवाई के रूप में देखा जा सकता है। अब चूंकि अमेरिकी हाउस स्पीकर पेलोसी की यात्रा के बाद, चीनी सेना ने पहली बार ताइपे की ओर रुख करके मिसाइलें दागी हैं। सवाल यह कि चीन ने इससे क्‍या हासिल करने की कोशिश की।

ताइवान के धैर्य की परीक्षा ले रहा चीन

ताइवान ने अब तक जवाबी कार्रवाई से परहेज किया है और कहा कि चीनी सैन्‍य अभ्यास उसकी नाकाबंदी की कोशिश है। सिंगापुर में एस. राजारत्नम स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज (S. Rajaratnam School of International Studies) के एक एसोसिएट प्रोफेसर ली. मिंगजियांग (Li Mingjiang) ने कहा कि चीन की इन पहली कार्रवाइयों ने ताइवान की सुरक्षा यथास्थितियों को बदल दिया है। यह चीन की सेना के मनोबल को एक नया आधार देता है जिससे भविष्य के सैन्‍य अभ्यासों के बहाने और आगे तक बढ़ा जा सके।

इस गीदड़-भभकी से ताइवान में नहीं मची अफरा-तफरी

हालांकि दशकों से बीजिंग की धमकियों से परेशान ताइवान की जनता उसकी इस करतूत से बेफिक्र नजर आई। लेकिन कुछ पर्यवेक्षकों ने कहा कि चीन की इस हरकत से ताइवान के सैन्य अधिकारी चिंतित हो सकते हैं। माइकल चांग (जिन्होंने 1996 में ताइवान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव के रूप में चीनी आक्रामकता का मुकाबला किया था) ने मीडिया को बताया कि चीनी सेना का यह अभ्यास हमले के परिदृश्य का पूर्वावलोकन हो सकता है।

ताकतवर नेता के रूप में साबित करने की कोशिश

गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका और जापान जैसे सहयोगियों ने भी चीनी आक्रामकता पर शांति बनाए रखी। इससे सवाल यह भी कि ताइवानी नेता इन मित्र राष्‍ट्रों पर कितना भरोसा कर सकते हैं। चूंकि यह सैन्‍य अभ्‍यास अब समाप्‍त हो गया है… सवाल यह भी कि इस तनातनी में किसे क्‍या हासिल हुआ। सबसे पहले बात चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की… तो उन्‍होंने इस सैन्‍य अभ्‍यास के जरिए चीनी आवाम के बीच खुद को माओत्‍से तुंग के बाद खुद को ताकतवर नेता के रूप में साबित करने की कोशिश की।

चिनफ‍िंग की चेहरा बचाने वाली कोशिश

समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे में जब चिंनफ‍िंग अपनी जीरो कोविड नीति को लेकर आलोचकों के निशाने पर रहे हैं। उनकी सरकार ने इस सैन्‍य अभ्‍यास के जरिए खुद को कड़े फैसले लेने वाली सरकार के तौर पर साबित करने की कोशिश की है। चीनी मीडिया ने इस सैन्‍य अभ्‍यास की जिस तरह से तारीफ की उसे देख पर्यवेक्षकों ने इसे घरेलू स्तर पर पेलोसी की यात्रा पर आवाम की नाराजगी को रोकने की कोशिश करार दिया है। यह चिनफ‍िंग के लिए चेहरा बचाने वाली एक कोशिश थी।

पेलोसी यात्रा को रोकने में विफल रहा चीन

रायटर के मुताबिक ऐसे में जब च‍िनफ‍िंग इस साल होने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में तीसरा पांच साल का कार्यकाल हासिल करने की कोशिश करेंगे। यह केवल चेहरा चमकाने वाली कोशिश ही नजर आती है। सिंगापुर के पूर्व राजनयिक बिलाहारी कौशिकन ने कहा कि चीनी प्रोपेगेंडा शी चिनफ‍िंग के लिए चेहरा बचाने वाला प्रयास है। च‍िनफ‍िंग कांग्रेस के सामने कमजोर दिखने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। जबकि वास्‍तविकता यह है कि चीन पेलोसी यात्रा को रोकने में विफल रहा है।