सम्पादकीय

तीसरी लहरकी चुनौती


देशके लिए यह अवश्य राहत की बात है कि यहां कोरोना संक्रमितों और इससे होने वाली मौतोंकी संख्यामें कमी आयी है और रिकवरी रेट बढ़कर ९७.२८ प्रतिशत हो गयी है। इसी प्रकार पाजिटिविटी रेट भी घटकर १.९९ प्रतिशत हो गयी है। पिछले २५ दिनोंसे पाजिटिविटी रेट तीन प्रतिशत से कम बना हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओर से शुक्रवारको जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें कोरोना के ३८,९४९ नये मामले सामने आये और ५४२ लोगोंकी मृत्यु हुई। इस दौरान ४०,०२६ लोग स्वस्थ हुए। देशमें अबतक ४४ करोड़ से ज्यादा लोगोंकी कोरोना जांच हो चुकी है और ३९ करोड़ से अधिक लोगोंको टीके लगाये जा चुके हैं। भारतमें हर तीसरे वयस्क को कमसे कम टीकेका एक डोज लग चुका है। १८ वर्षसे अधिक उम्रके लोगोंकी आबादी ९८ करोड़ है। इनमें ३१.३५ करोड़ को टीकेका पहला डोज लग गया है। सात करोड़ ७८ लाख लोगोंको दोनो डोज लगाये जा चुके हैं। भारतकी बड़ी आबादीको देखते हुए इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। टीकाकरणमें और तेजी लानेकी जरूरत है और टीकेकी उपलब्धता और आपूर्ति भी बढऩी चाहिए क्योंकि तीसरे लहरका खतरा सामने है। विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेबरेसस का कहना है पूरा विश्व तीसरी लहरके प्रारम्भिक दौरमें है। डेल्टा वैरिएण्ट का कहर रफ्तार पकडऩे लगा है। यह दुर्भाग्य की बात है कि हम तीसरी लहरके प्रारम्भिक दौरेमें है। सामाजिक गतिविधियोंके बढऩे और रोकथामके उपायोंके प्रति बढ़ती लापरवाही से डेल्टा वैरिएण्टके पांव पसारनेके साथ ही नये मामलों और मरने वालोंकी संख्या भी बढ़ रही है। डेल्टा वैरिएण्ट अब तक १११ देशोंमें पहुंच गया है और शीघ्र ही यह पूरी दुनियामें हावी हो सकता है। भारतमें भी तीर्थ यात्राओं, पर्यटन और सामाजिक गतिविधियोंके बढऩेके साथ ही लोगोंकी लापरवाही भी काफी बढ़ गयी है, जो गम्भीर चिंताकी बात है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी लोगोंसे बचावके उपायोंके अनुपालनका बार-बार आग्रह करते हैं लेकिन जनताका उसपर कितना प्रभाव पड़ा है, यह सामने है। प्रधान मंत्री मोदीने शुक्रवारको भी तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, केरल और महाराष्ट्रके मुख्य मंत्रियोंके साथ कोरोनाके हालातपर विमर्श किया जिससे कि कोरोनाके खतरोंका सफलतापूर्वक सामना किया जा सके। जनताको अब पूरी तरहसे सतर्क और जागरूक रहनेकी जरूरत है तभी कोरोनाको परास्त करना सम्भव हो सकेगा।

भारतवंशियोंपर हमले

पाकिस्तान और बंगलादेशके बाद दक्षिण अफ्रीकामें भी हिन्दुओंकी सुरक्षापर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। भ्रष्टाचारके आरोपोंसे घिरे दक्षिण अफ्रीकाके पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमाकी गिरफ्तारीके बाद से वहांके कई शहरोंमें जबरदस्त हिंसा भड़क गयी है। हिंसामें भारतीय मूलके लोगोंके घरों और दूकानोंको निशाना बनाकर जमकर लूटपाट की जा रही है। हालात यह हो गयी है कि हिंसाग्रस्त क्षेत्रोंमें सेना की तैनाती करनी पड़ी है। साउथ अफ्रीका नेशनल डिफेंस फोर्सने हिंसाको रोकनेके लिए २५ हजार सैनिकोंकी तैनाती की है। इसके अलावा १२ हजार रिजर्व फोर्सको भी अलग-अलग जगहोंपर तैनात कर दिया गया है। डरवन, जोहानिसवर्ग, गौतेंग, क्वाजुलुनतालमें लूट, आगजनी, तोडफ़ोड़ की घटनाओंसे दक्षिण अफ्रीकाके कई हिस्सोंमें जरूरी सामानोंकी आपूर्ति ठप पड़ गयी है और वहां अराजकताका माहौल उत्पन्न हो गया है। दंगाई मोबाइल फोन टावरों और जलाशयोंको तबाह कर बुनियादी ढांचोंपर हमलाकर रहे हैं, जो दक्षिण अफ्रीकाकी सरकारके लिए खतरेकी घंटी है। यही कारण है कि दक्षिण अफ्रीकामें सम्पत्ति मालिकोंके शीर्ष निकायके प्रमुख नील गोपालने इन घटनाओंको तख्तापलटके प्रयास की आशंका बताते हुए राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से सम्पूर्ण लाकडाउन लगानेकी मांग की है, जबकि राष्ट्रपति रामफोसा ने देशके नाम सम्बोधनमें इसे राजनीतिक और नस्ली न मानकर आपराधिक घटना बताया है। उन्होंने कहा कि अवसरवादी लोग स्थितिका फायदा उठाकर लूटपाट कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकामें लगभग १४ लाख भारतीय रहते हैं और वहांके विकासमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनपर सिर्फ इसलिए हमला किया जाना कतई उचित नहीं है कि भारतसे ताल्लुक रखने वाले एक औद्योगिक घराने से पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा का सम्बन्ध था जो भ्रष्टाचारके आरोपोंमें जेल में कैद है। दंगाइयोंसे सख्ती ने निबटा जाना चाहिए और भारतीयोंकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। भारतको भी इसे गंभीरतासे लेना होगा। हालांकि परराष्ट्र मंत्री एस जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीकाके अपने समकक्षसे भारतकी चिंता जताते हुए भारतीयोंपर हो रहे हमले रोकने के लिए तत्काल सख्त कदम उठानेकी जरूरत पर बल दिया है।