News TOP STORIES नयी दिल्ली महाराष्ट्र राष्ट्रीय

निर्वाचन आयोग ने शिवसेना और चुनाव निशान धनुष और तीर को किया फ्रीज


नई दिल्‍ली, निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के चुनाव निशान ‘धनुष और तीर’ को फ‍िलहाल फ्रीज करने का फैसला लिया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुटों को पार्टी के नाम ‘शिवसेना’ और उसके ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न को अगले आदेश तक इस्‍तेमाल करने पर रोक लगा दी है। यानी दोनों ही गुट (उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे) निर्वाचन आयोग के अगले आदेश तक पार्टी के नाम ‘शिवसेना’ और उसके चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ का इस्‍तेमाल नहीं कर पाएंगे।

 

अंतरिम आदेश में कही यह बात

निर्वाचन आयोग शनिवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा कि महाराष्‍ट्र में होने जा रहे उपचुनावों में दोनों धड़े नए नाम और आवंटित चुनाव चिह्न का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि अंधेरी पूर्व उपचुनाव में दोनों गुटों में से किसी को भी पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और उसके चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ का इस्‍तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी। दोनों गुटों को मौजूदा उप-चुनावों में उसकी ओर से अधिसूचित प्रतीकों की सूची में से ऐसे सिम्‍बल्‍स का आवंटन भी किया जाएगा जिसे वे चुन सकते हैं।

 

लंबी खिंचती नजर आ रही दोनों गुटों के बीच लड़ाई

निर्वाचन आयोग (Election Commission) के इस फैसले से साफ है कि शिवसेना पर काबिज होने को लेकर शिंदे और उद्धव गुट के बीच लड़ाई लंबी खिंचती नजर आ रही है। महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट ने महाराष्‍ट्र के अंधेरी पूर्व विधानसभा के होने वाले उपचुनाव में उसको तीर-धनुष चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को इस मामले में उद्धव गुट को नोटिस जारी कर आज (आठ अक्टूबर) को दो बजे तक अपना पक्ष रखने को कहा था।

 

लोक जनशक्ति पार्टी के मामले में सुना चुका है ऐसा फैसला

उल्‍लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में खाली हुई अंधेरी पूर्व विधानसभा के लिए उपचुनाव की घोषणा कर दी है। इस विधानसभा सीट के लिए सात अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 14 अक्टूबर तक चलेगी। तीन नवंबर को इस विधानसभा सीट के लिए चुनाव होने हैं। दोनों ही गुट इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं। सनद रहे लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर भी ऐसा ही विवाद सामने आया था जिसको लेकर निर्वाचन आयोग ने पार्टी का चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया था। बाद में दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किया था।