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नेपाल की नई सरकार का भारत और चीन को लेकर कैसा रहेगा दृष्टिकोण, ओली के आगे क्या झुकेंगे प्रचंड


काठमांडू, । नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सोमवार को शपथ ग्रहण किया। उनके नेतृत्व में नई सरकार अपने निकटतम पड़ोसियों चीन और भारत के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश करेगी, क्योंकि वह दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार नेपाल में आर्थिक विकास चाहती है। पुष्प कमल दहल अपने पिछले गठबंधन को छोड़ने और विपक्षी कम्युनिस्ट यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (यूएमएल) पार्टी और पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन हासिल करने के बाद रविवार को अप्रत्याशित रूप से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।

 

चीन समर्थक माने जाते हैं ओली

यूएमएल नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। नेपाल दक्षिण एशियाई देशों में से एक है, जहां भारत और चीन दोनों प्रभाव चाहते हैं। भारत ने लंबे समय से हिंदू-बहुसंख्यक नेपाल, जहां की आबादी 30 मिलियन (यानी 3 करोड़) है, को अपने करीबी ऐतिहासिक संबंधों और लंबी खुली सीमा के आधार पर एक प्राकृतिक सहयोगी के रूप में माना है।

उप प्रधानमंत्री बने श्रेष्ठ

प्रचंड की माओवादी सेंटर पार्टी (Prachanda’s Maoist Centre party) के एक वरिष्ठ सदस्य नारायण काजी श्रेष्ठ (Narayan Kaji Shrestha) ने बताया, ‘हम अपने दोनों पड़ोसियों के साथ समान निकटता के संबंध बनाए रखेंगे।’ श्रेष्ठ को बाद में उप प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया।

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर देना होगा ध्यान

श्रेष्ठ ने कहा, ‘हमें तुरंत मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, भंडार बनाए रखने, पूंजीगत व्यय बढ़ाने, व्यापार घाटे को कम करने और ब्याज दरों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।’

आर्थिक चुनौतियां

प्रचंड ने यूएमएल पार्टी के बिष्णु प्रसाद पौडेल (Bishnu Prasad Paudel) को प्रमुख वित्त विभाग दिया। पौडेल इससे पहले दो बार वित्त मंत्री रह चुके हैं। टेलीविजन टॉक शो होस्ट रबी लामिछाने (Rabi Lamichhane) को गृह मंत्री बनाया गया है। प्रचंड ने विदेश मंत्रालय अपने पास रखा है।

पीएम मोदी ने प्रचंड को दी बधाई

चीन और भारत नेपाल को समय-समय पर सहायता देते रहे हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने नेपाल में अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है, जो पनबिजली पैदा करने की क्षमता से समृद्ध है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) प्रचंड को उनकी नियुक्ति पर बधाई देने वाले पहले विदेशी नेताओं में से एक थे। गौरतलब है कि नेपाल में भारतीय मूल के लाखों लोग रहते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों के बीच गर्मजोशी भरे संबंधों पर आधारित है।’

चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने भी दी बधाई

दूसरी तरफ, काठमांडू में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने भी ट्वीट कर प्रचंड को प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी। प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।’

अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत

विश्लेषकों ने कहा कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) से उबर रही नेपाल की 40 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पर नई सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है, जिसे निवेशकों और व्यवसायों का विश्वास हासिल करने के साथ-साथ उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। मुद्रास्फीति 8% से अधिक है, जो छह वर्षों में सबसे अधिक है। बुनियादी वस्तुओं के आयात पर बढ़ती निर्भरता के साथ नेपाल भी घटते विदेशी मुद्रा भंडार का सामना कर रहा है।

सीमेंट जैसे विनिर्माण उत्पादों को देना चाहिए बढ़ावा

पूर्व वित्त मंत्री युबा राज खातीवाड़ा (Yuba Raj Khatiwada), जिन्होंने ओली के अधीन काम किया, ने कहा कि प्रचंड को निर्यात के लिए सीमेंट जैसे विनिर्माण उत्पादों को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए और आयात को प्रतिस्थापित करने के लिए कृषि को भी बढ़ावा देना चाहिए।

माओवादी संघर्ष में 17 हजार लोगों की मौत

1996 से नेपाल की तत्कालीन राजशाही के खिलाफ एक दशक लंबे माओवादी विद्रोह का नेतृत्व करने वाले प्रचंड ने 2006 में एक शांति समझौते के तहत मुख्यधारा में शामिल होने के बाद साम्यवादी हठधर्मिता को त्याग दिया और उदारीकरण को गले लगा लिया। संघर्ष के कारण 17,000 मौतें हुईं। 2008 में 239 साल पुरानी राजशाही को खत्म किए जाने के बाद से नेपाल में 10 सरकारें बदली जा चुकी हैं।