पटना

पटना: नक्सल पर दिल्ली बैठक में बोले सीएम- केन्द्र बिहार के प्रस्ताव को स्वीकारे


नक्सल उग्रवाद पर चले केंद्र और राज्य का संयुक्त अभियान, पुलिस सुधार योजना में केंद्र व राज्य का अनुपात 90:10 हो

(आज समाचार सेवा)

पटना। दिल्ली में नक्सल उग्रवाद पर रविवार को मूख्यमंत्रियों की बैठक मे सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि नक्सल उग्रवाद पर प्रभावी नियंत्रण के लिए केंद्र को बिहार का प्रस्ताव मानना चाहिए। इसके लिए केंद्र और राज्य को संयुक्त अभियान चलाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि बिहार में विगत वर्षों में उग्रवादी हिंसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त होना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है। केन्द्र एवं प्रभावित राज्यों की सरकारों को इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष होनी चाहिए। नक्सली हिंसा देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है और यह विकासोन्मुखी सरकार की नीतियों के सफल क्रियान्वयन में बाधक बनता है।

बीते वर्षों में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबों का हित करना नहीं है, अपितु अलोकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग कर गरीबों को विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है। इनके कारण गरीब अपने वाजिब हक से तथा क्षेत्र में संचालित विकास योजनाओं के लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर हो जाते हैं परंतु इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनों में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं।

नक्सली संगठनों के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता को निष्प्रभावी करने के लिए इन क्षेत्रों में समावेशी एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं कार्यान्वित करनी होगी। हमने पुलिस को अधिक जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाया है। यदि लोगों की आस्था हमारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली में बढ़ेगी तो समाज में इसके सकारात्मक परिणाम होंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान में यह अत्यन्त आवश्यक है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएं। केन्द्र सरकार द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है। समय के साथ अब इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस योजना में केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 60:40 रखा गया है। बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90:10 किया जाना चाहिए।

रविवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में मुख्यमंत्री ने बिहार सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। सीएम नीतीश ने कहा कि बिहार में विगत वर्षों में उग्रवादी हिंसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त होना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है।

केन्द्र एवं प्रभावित राज्यों की सरकारों को इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप से हर वर्ष करनी चाहिए। बीते वर्षों में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबों का हित करना नहीं है, बल्कि अलोकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग कर गरीबों को विकास की मुख्यधारा से वंचित रखना है। लेकिन इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनों में शामिल लोग देश के ही अंश हैं।

सीएम ने कहा कि औरंगाबाद झारखंड के अति नक्सल प्रभावित पलामू का सीमावर्ती है और पहाड़ व जंगलों से आच्छादित है। अत: औरंगाबाद जिला को अतिउग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुन: शामिल करने की जरूरत है। अभी केवल तीन जिले गया, जमुई, लखीसराय ही इस श्रेणी में हैं।