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- मिथिलाक्षरक मान्यता देबाक कोनो प्रस्ताव नहिं : चौधरी
- सरावगी, विनोद, अरुण, बचोल मिश्री पर भारी पड़लाह मंत्री
- मामला मिथिलाक्षर लिपिक संवर्धन एवं संरक्षणक
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(आज समाचार सेवा)
पटना। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी मिथिलांचलक विधायक लोकनी पर भारी पड़लाह। विधानसभा में खूब जमल मैथिली में मिथिलाक्षर लिपिक संरक्षण एवं संवर्धन कलक चलल पूरक सवाल ओकर जवाब। और उसके जवाब। वाकई बिहार विधानसभा के इतिहास में पहला मौका था जब अपनी मातृभाषा मैथिली की मूल लिपि मिथिलाक्षर के संवर्धन और संरक्षण को लेकर उसी भाषा में प्रश्नकर्ता और जवाब देने वाले हंसी-ठिठोली की सवालों का जवाब दे रहे थे।
भाजपा के संजय सरावगी, विनोद नारायण झा, हरिभूषण ठाकुर बचोल, रामचंद्र प्रसाद, मिश्री लाल यादव, वीरेंद्र कुमार एवं अरुण शंकर प्रसाद द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण के जवाब में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि महाकवि विद्यापति की रचनाएं बेशक मैथिली में थीं, परंतु उसकी लिपि देवनागरी रही है। सरकार मैथिली के प्रचार-प्रसार के लिए गंभीर है। मैथिली की पढ़ाई के लिए महाविद्यालयों में व्याख्याताओं की नियुक्ति प्रकिया में ४९ व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई है।
माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध नियोजन की प्रक्रिया शुरू है। यूपीएससी और बीपीएससी की तैयारी के लिए सभी आवश्यक पुस्तकें मैथिली अकादमी से प्रकाशित होती है। मिथिला स्नातकोत्तर शोध संस्थान जो काफी पुराना है वहां १५ हजार पांड़लिपी संरक्षित है। मैथिली भाषा देवनागरी में लिखी जाती है। यह उपयोगी है। संविधान की अष्ठम अनुसूची में भाषायें शामिल की जाती है, लिपि नहीं। प्राथमिक से उच्चतर शिक्षा तक मैथिली भाषा की पढ़ाई होनी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि मिथिला के उत्तरी क्षेत्र के लोग तो हमें मैथिल मानते ही नहीं है, जबकि हम भी उसी क्षेत्र से आते हैं। इसके जवाब में श्री सरावगी समेत अन्य सदस्यों ने कहा कि आप मैथिली भाषियों के दिल में बसते हैं। दक्षिणी छोर से आते हैं इसलिए गोल-गोल जवाब देकर बचना चाहते हैं।