पटना

पटना: सरकारी जमीन पर किया कब्जा, तो जेल


डीएम और कमिश्नर को काररवाई करने का आदेश

पटना (आससे)। राज्य में सरकारी जमीन या जलस्रोतों पर अतिक्रमण करने वालों को जेल जाना पड़ेगा। अर्थदंड भी 20 हजार रुपये तक भरना होगा। इसके लिए सरकार ने अंचल अधिकारी से अनुमंडल अधिकारी तक के अधिकारी को समाहर्ता का अधिकार दे दिया गया। ये अधिकारी भी अतिक्रमणकरियों से जवाब-तलब कर सकेंगे।

राज्य सरकार ने सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान तेज करने का फैसला किया है। इसी के साथ राज्य के सभी जल निकायों को भी अतिक्रमणमुक्त करना है। यह आदेश राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पहले ही जारी किया था, लेकिन कार्य में शिथिलता को देखते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने एक बार फिर सभी प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को पत्र दिया है। नये पत्र में जेल और अर्थदंड की व्यवस्था को प्रभावी बनाने का सख्त निर्देश दिया गया है।

राजस्व विभाग के पास सरकारी जमीन का पूरा ब्योरा नहीं है। लिहाजा सभी विभागों से जमीन का रिकार्ड मांगा गया है। सर्वे निदेशालय को मिली जानकारी के अनुसार सरकारी विभागों ने अबतक 90688 प्लॉट की जानकारी दी है। इनमें सबसे अधिक 44532 प्लॉट राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ही हैं। उसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का नंबर है जिसके द्वारा अबतक कुल 12866 प्लॉट की जानकारी दी गई है। जिले में सरकारी भूमि की मिल्कियत वाला तीसरा विभाग शिक्षा है जिसके द्वारा अबतक 10325 प्लॉट की जानकारी दी गई है। जिन सरकारी विभाग के पास जमीन है उनसे कहा गया है कि वे सर्वेक्षण कर्मियों से मिलकर अपने नाम से खाता खुलवा लें। सभी विभागों से अतिक्रमित जमीन का भी आंकड़ा जुटाने के लिए कहा गया है।

सरकार ने सरकारी जमीन को बेचने से रोकने का भी प्रावधान किया है। प्रावधान के अनुसार राज्य का कोई भी जालसाज अब सरकारी जमीन को बेच नहीं सकेगा। किसी व्यक्ति के नाम से इसकी रजिस्ट्री ही नहीं हो सकेगी। सरकार किसी जरूरतवश रजिस्ट्री कराना चाहे तो उसपर रोक नहीं रहेगी। इसके लिए राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने राज्य के सभी सरकारी भूखंडों की जानकारी निबंधन विभाग को देगा। निबंधन विभाग उस प्लॉट की जानकारी जिलावर अपने कार्यालयों को भेज देगा और उस भूखंड की रजिस्ट्री बिना सरकारी अनुमति के रोक लगा देगा।

राजस्व विभाग ने इस नये फंडे से पहले भी अधिकारियों पर शिकंजा कसने की व्यवस्था की थी। उस समय जारी आदेश के अनुसार सरकारी जमीन पर विवाद का मुकदमा हारने पर लापरवाह कर्मियों से राशि वसूलने का आदेश दिया था। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग अपने क्षेत्र के सभी सरकारी भूखंडों की सूची बनाने का आदेश सभी अचंलों को दे दिया है। इससे जुड़ा पत्र सभी डीएम को दिया गया है ताकि वह पूरी व्यवस्था पर नजर रख सकें। सूची तैयार हो जाने पर उसे निबंधन कार्यालय को उपलब्ध करा दिया जाएगा।

कषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, पिछड़ा एवं अत्यंत पिछड़ा कल्याण, भूदान, भवन निर्माण, कैबिनेट सचिवालय, कॉमर्शियल टैक्स, सहकारिता, उद्योग, विधि, राजस्व एवं भूमि सुधार, विज्ञान एवं प्रादयौगिकी, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, उर्जा, पर्यावरण और वन, वित, सामान्य प्रशासन, श्रम और सूचना एवं जनसपर्क विभाग को भूमि का ब्योरा देना है।